अनिल धस्माना
अनिल धस्माना (अंग्रेज़ी: Anil Dhasmana) भारतीय खुफिया एजेंसी 'रिसर्च एण्ड एनालिसिस विंग' (रॉ) की कमान सम्भालने वाले नवनियुक्त ऑफ़ीसर हैं। वर्ष 1981 में उनका आईपीएस में चयन हुआ था। उसके बाद वे मध्य प्रदेश में पुलिस में कई पदों पर रहे और फिर रॉ में शामिल हुए।
परिचय
तेज तर्रार अफ़सर अनिल धस्माना उत्तराखंड के एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता महेशानंद धस्माना सिविल एविएशन विभाग में काम करते थे। चार बेटे और तीन बेटियों के भरे-पूरे परिवार के साथ बाद में वह दिल्ली में बस गए। अनिल का बचपन शहर की चकाचौंध से दूर पहाड़ के एक दूरदराज गांव में बीता। छोटे से गांव से लेकर रॉ प्रमुख तक का सफर तय करने वाले आईपीएस अनिल धस्माना की उपलब्धियों पर उनके गांव वाले भी गर्व का अनुभव करते हैं। ऋषिकेश से 70 किलोमीटर दूर भागीरथी और अलकनंदा के संगम देवप्रयाग से अनिल धस्माना के गांव का रास्ता शुरू होता है। देवप्रायग से उनका तोली गांव 50 किलोमीटर दूर है। अनिल धस्माना की चाची और उनका परिवार आज भी तोली गांव में ही रहता है।[1]
अनिल धस्माना की चाची भानुमति बताती हैं कि- "बचपन में अनिल उनके साथ जंगल में घास और पानी लेने जाते थे। साथ ही घर के सारे कामों में अपनी दादी का हाथ बंटाया करते थे। अनिल धस्माना का बचपन गांव में काफी कठिनाइयों से गुजरा। चार भाई और तीन बहनों में अनिल सबसे बड़े थे। शुरुआती जिंदगी में काफी तंगी और मुश्किलें झेलने वाले अनिल सिर्फ मेहनत के बल पर ही आगे बढ़ते रहे। अपने पुश्तैनी मकान के जिस छोटे से कमरे में रहकर उन्होंने पढ़ाई की, आज उसमें उनके चाचा के बेटे और उनके बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। लेकिन अनिल की यादें आज भी घर में रची बसी हैं।"
शिक्षा
आठवीं तक की पढ़ाई गांव के पास ही दुधारखाल से पास करने के बाद अनिल धस्माना की बाकी की शिक्षा-दीक्षा दिल्ली में हुई और उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। अनिल के शिक्षक रहे शशिधर बताते हैं कि- "अनिल बचपन से ही विलक्षण प्रतिभा के धनी थे। जब वे तीसरी कक्षा में पढ़ते थे, तब ज़िला शिक्षा अधिकारी के सामने अनिल ने शानदार भाषण दिया था, जिसके लिए उन्हें 300 रुपये का वजीफा मिला था।" अपने दादी के साथ तोली गांव में रहकर कक्षा 8 की पढ़ाई करने वाले अनिल बाद में दिल्ली अपने परिवार के पास चले गये थे।
आईपीएस में चयन
घर में एकाग्रता का माहौल न मिलने पर अनिल अक्सर लोदी पार्क में लैंप पोस्ट के नीचे जाकर बैठ जाते थे। वहीं बैठकर उन्होंने अपने कंप्टीशन की तैयारियां कीं। उसी का नतीजा था कि 1981 में उनका आईपीएस में चयन हुआ। उसके बाद वे मध्य प्रदेश पुलिस में कई पदों पर रहे और फिर रॉ में शामिल हो गए।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ खुफिया एजेंसी रॉ के नये चीफ अनिल धस्माना (हिंदी) aajtak.intoday.in। अभिगमन तिथि: 14 जनवरी, 2017।
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