रस्किन बॉण्ड
रस्किन बॉण्ड (अंग्रेज़ी: Ruskin Bond, जन्म- 19 मई, 1934, कसौली, हिमाचल प्रदेश) अंग्रेज़ी भाषा के प्रसिद्ध भारतीय लेखकों में से एक हैं। उनकी प्रसिद्धि विशेष रूप से बाल साहित्य की रचना को लेकर है। भारत में सबसे ज़्यादा पढ़े जाने वाले बाल साहित्यकार रस्किन बॉन्ड मूल रूप से ब्रितानी मूल के हैं, पर आज़ादी के बाद उन्होंने भारत में ही रहने का फ़ैसला किया था। उनकी कहानियों में बच्चों के सपने, उनकी इच्छाओं का ज़िक्र तो होता ही है, बच्चों के संघर्ष की कहानियां भी होती हैं। उनके चरित्र ‘रस्टी’ और ‘अंकल केन’ आज के बाल साहित्य के सबसे मशहूर चरित्र माने जाते हैं। वर्ष 1999 में बाल साहित्य में योगदान के लिये वे 'पद्म श्री' से सम्मानित किये गये थे।
परिचय
रस्किन बॉण्ड का जन्म 19 मई, 1934 को हिमाचल प्रदेश के कसौली में हुआ था। उनके पिता रॉयल एयर फोर्स में थे। जब वह चार साल के थे, तब उनके माता-पिता में तलाक हो गया था, जिसके बाद उनकी मां ने एक हिन्दू से विवाह कर लिया। रस्किन बॉण्ड का बचपन जामनगर, शिमला में बीता। सन 1944 में पिता की अचानक मृत्यु के बाद वे देहरादून में अपनी दादी के साथ रहने लगे। उस समय उनकी उम्र तकरीबन दस साल थी।
शिक्षा तथा लेखन कार्य
रस्किन बॉण्ड ने अपनी पढ़ाई शिमला के बिशप कॉटन स्कूल से पूरी की। इसके बाद वे लंदन चले गये। बचपन से ही लिखने का शौक होने की वजह से वे कॉलेज तक आते-आते एक मंझे हुए लेखक बन गए। तब उन्होंने कई पुरस्कार भी जीते थे। उन्होंने 17 साल की उम्र में पहला उपन्यास ‘रूम ऑन द रूफ’ (Room On The Roof) लिखा। इसके लिये उन्हें 1957 में 'जॉन लिवेलिन् राइस पुरस्कार' से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार 30 साल से कम उम्र के कॉमनवेल्थ नागरिक को इंग्लैंड में प्रकाशित अंग्रेज़ी लेखन के लिये दिया जाता है।[1] रवीन्द्रनाथ टैगोर, रुडयार्ड किपलिंग और चार्ल्स डिकेन्स को बेहद पसंद करने वाले रस्किन बॉण्ड ने अब तक 500 से ज्यादा कहानियां, उपन्यास, संस्मरण और कविताएं लिखी हैं, जिनमें से अधिकतर बच्चों के लिए हैं और जो आज भी काफ़ी पढ़े जाते हैं।
पुस्तक 'The Best of Ruskin Bond' में रस्किन बॉण्ड की लघु कहानियां, वीभत्स कहानियां, निबन्ध, यात्रा वर्णन, गीत और प्रेम कवितायें हैं। यात्रा वर्णन में उनका एक लेख मथुरा के बारे में 'Mathura's Hallowed Haunts' शीर्षक से है। इसमें वे लिखते हैं[2]-
It has been said that, "if a man spend in Benaras all his lifetime, he has earned less merit than if he passes but a single day in the sacred city of Mathura."
"कहा जाता है कि बनारस में पूरा जीवन बिताने पर भी, मथुरा में एक दिन व्यतीत करने से कम पुण्य मिलता है।"
'रस्किन बांड द मसूरी इयर्स'
हाल ही में रस्किन बॉण्ड पर आधारित अनोखी पुस्तक बाजार में आई है, जिसमें उनकी कुछ ऐसी अनसीन तस्वीरें हैं। 'रस्किन बांड द मसूरी इयर्स' नाम की इस पुस्तक में उनके बचपन से बड़े होने तक की कहानी हैं। रस्किन बॉण्ड पर लिखी गई ये किताब बहुत ही खास है, क्योंकि इसमें उनके जीवन की लिखित कहानी कम और तस्वीरें ज्यादा हैं। इस किताब को अगर पिक्टोरियल बायोग्राफी कहा जाए तो शायद गलत नहीं होगा। इस पुस्तक की शुरूआत उनके जन्म से शुरू होती है, जिसमें इस लीजेंड्री मैन के नवजात शिशु होने से लेकर बचपन में अपने दोस्तों के साथ खेलने की तस्वीरे मौजूद हैं। बात चाहे दिल्ली की हो, जमशेदपुर की या फिर उनके होम टाउन मसूरी की, इन सभी शहरों में बिताए गए उनके लम्हों की तस्वीरें इस किताब में मौजूद हैं।
ये पुस्तक भले ही पिक्टोरियल आधारित है, लेकिन इसकी कहानी सिर्फ कैप्शन तक ही सीमित नहीं है। पुस्तक में हर फोटो का जहां फोटो कैप्शन दिया गया है, वहीं दूसरी ओर उस तस्वीर के पीछे छिपी रस्किन बॉण्ड के जीवन की छोटी से छोटी कहानियां भी मौजूद हैं। जैसे कि कयौली में उनके जन्म की कहानी, दूसरे विश्व युद्ध के दौर दिल्ली में उनकी पढ़ाई। इसके अलावा उनके घर परिवार, उनके अजीज दोस्तों के चेहरे जो अक्सर अब तक उनके निजी दायरे में देखे गए हैं। ये मानी हुई बात है कि रस्किन बॉण्ड सबसे ज्यादा मसूरी के पहाड़ों और "वैली ऑफ दून" से बहुत प्रभावित रहे हैं। शायद यही वजह रही है कि उनके लेखन में कई बार न ही सिर्फ इन जगहों का जिक्र हुआ है, बल्कि उनकी कई रचनाओं के लिए वह खुद इन जगहों को प्रेरणाश्रोत मानते हैं। यहीं चीज इस किताब में भी पाएंगे। जहां रस्किन बॉण्ड के नटराज बुक शॉप, राजपुर जैसे कई क्षेत्र की तस्वीरें देखी गई है। इसके साथ ही दून में उनके बिताएं गए पलों की कई मीठी यादों की फोटो भी इसमें मौजूद है। पुस्तक में रस्किन बॉण्ड के मसूरी की सबसे ज्यादा तस्वीरें देखने को मिलेंगी।[3]
पुरस्कार व सम्मान
रस्किन बॉण्ड को साहित्य अकादमी के द्वारा 1992 में अंग्रेज़ी लेखन के लिये उनकी लघु कहानियों के संकलन 'Our Trees Still Grow in Dehra' पर 'साहित्य अकादमी पुरस्कार' भी मिल चुका है। 1999 में बाल साहित्य में योगदान के लिये वे 'पद्म श्री' से सम्मानित किये गये।
फ़िल्म निर्माण
रस्किन बॉण्ड की कई कहानियों पर फ़ल्में बन चुकी हैं। शशी कपूर की फ़िल्म 'जनून' 1857 की स्वतंत्रता की लड़ाई की घटना पर है। यह उनकी कहानी 'A Flight of Pigeons' पर आधारित है। फ़िल्म 'The Blue Umbrella' भी उनकी इसी नाम की कहानी पर बनी है। प्रियंका चोपड़ा के द्वारा अभिनीत की गयी फ़िल्म 'सात खून माफ', उनकी लघु कथा 'Susanna's Seven Husbands' पर बनायी गयी है।[2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ बच्चों के लिए रोचक कहानी रचने वाले आधुनिक दादाजी (हिंदी) days.jagranjunction.com। अभिगमन तिथि: 14 फ़रवरी, 2017।
- ↑ 2.0 2.1 रस्किन बॉन्ड - मथुरा में एक दिन, पूरे बनारसी जीवन पर भारी - मथुरा यात्रा (हिंदी) unmukt-hindi.blogspot.in। अभिगमन तिथि: 14 फ़रवरी, 2017।
- ↑ जिन्होंने रस्किन बॉण्ड नहीं देखा (हिंदी) inextlive.jagran.com। अभिगमन तिथि: 14 फ़रवरी, 2017।
बाहरी कड़ियाँ
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