संस्मरण को जिसने वरा है
संस्मरण को जिसने वरा है नामक इस किताब में बुंदेली भाषा, संस्कृति और समाज की चर्चित पत्रिका ‘ईसुरी’ के प्रकाशन और संपादन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका पर भी सामग्री है। इसका प्रकाशन अनुज्ञा बुक्स, दिल्ली द्वारा किया गया है। संस्मरण शिरोमणि मुक्तिबोध, हरिशंकर परसाई, आचार्य रजनीश, नंद दुलारे वाजपेयी, हरिवंश राय बच्चन, भवानी प्रसाद मिश्र, शानी, शरद जोशी, त्रिलोचन, दुष्यंत कुमार सरीखी कई दिग्गज शख्सीयतों पर अपने संस्मरणों के जरिये हिंदी साहित्य में तहलका मचाने वाले कांति कुमार जैन अब खुद संस्मरणों के घेरे में हैं। अद्भुत स्मृतियों वाले संस्मरणकार कांति कुमार जैन पर संभवत: पहली ऐसी किताब प्रकाशित हुई है, जिसमें उनके बारे में समकालीन साहित्यकारों और परिजनों के संस्मरण तो हैं ही, इसमें छत्तीस ऐसे लेख हैं, जिनमें एक संस्मरणकार के तौर पर उनकी भूमिका का मूल्यांकन किया गया है। ‘कांति कुमार जैन: संस्मरण को जिसने वरा है’ नामक इस किताब में बुंदेली भाषा, संस्कृति और समाज की चर्चित पत्रिका ‘ईसुरी’ के प्रकाशन और संपादन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका पर भी सामग्री है। सुरेश आचार्य और लक्ष्मी पांडेय इस पुस्तक के सम्पादक हैं।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ सुशांत, धर्मेद्र। कालजयी कृति (हिन्दी) हिंदुस्तान लाइव। अभिगमन तिथि: 14 मार्च, 2015।
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