रन बन व्याधि बिपत्ति में -रहीम

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:03, 2 जून 2017 का अवतरण (Text replacement - " दुख " to " दु:ख ")
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें

रन, बन व्याधि, बिपत्ति में, ‘रहिमन’ मरै न रोय ।
जो रक्षक जननी-जठर, सो हरि गए कि सोय ॥

अर्थ

रणभूमि हो या वन अथवा कोई बीमारी हो या विपदा हो, इन सबके मारे रो-रोकर मरना नहीं चाहिए। जिस प्रभु ने माँ के गर्भ में रक्षा की, वह क्या सो गया है?


पीछे जाएँ
पीछे जाएँ
रहीम के दोहे
आगे जाएँ
आगे जाएँ

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख