अशोक चक्र (प्रतीक)
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अशोक चक्र | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- अशोक चक्र |
अशोक चक्र को भारत में 'धर्म चक्र' माना गया है। इस धर्म चक्र को 'विधि का चक्र' कहते हैं, जो तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में मौर्य सम्राट अशोक द्वारा बनाए गए सारनाथ मंदिर से लिया गया है। इस चक्र को प्रदर्शित करने का आशय यह है कि- जीवन गतिशील है और रुकने का अर्थ मृत्यु है।[1]
- मौर्य राजवंश के महान् शासक सम्राट अशोक के बहुत से शिलालेखों पर प्रायः एक 'चक्र' (पहिया) बना हुआ है। इसे 'अशोक चक्र' कहते हैं। यह चक्र धर्म चक्र का प्रतीक है। उदाहरण के लिये सारनाथ स्थित सिंह-चतुर्मुख एवं अशोक स्तम्भ पर अशोक चक्र विद्यमान है।
- भारत के राष्ट्रीय ध्वज में भी अशोक चक्र को दर्शाया गया है।
- अशोक चक्र में चौबीस तीलियाँ (स्पोक्स्) हैं, जो दिन के चौबीस घंटो का प्रतीक हैं।
- 'चक्र' का अर्थ संस्कृत में पहिया होता है। किसी बार-बार दुहराने वाली प्रक्रिया को भी 'चक्र' कहा जाता है। चक्र स्वत: परिवर्तित होते रहने वाले समय का प्रतीक है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार संसार को चार युगों से होकर गुजरना पड़ता है, जिन्हें सतयुग, त्रेता, द्वापर एवं कलि के नाम से जाना जाता है।
- कुछ लोग इन तीलियों का एक अन्य अर्थ भी लगाते हैं, जिसके अनुसार चक्र की चौबीस तीलियाँ भारतवासियों की एकता का पतीक हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भारतीय तिरंगे का इतिहास (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 16 जून, 2014।