देवकीनन्दन पाण्डे का परिचय
देवकीनन्दन पाण्डे का परिचय
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जन्म भूमि | कानपुर |
मृत्यु | 2001 |
अभिभावक | पिता-शिवदत्त पाण्डे |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | आकाशवाणी |
शिक्षा | स्नातक |
विद्यालय | इलाहाबाद विश्वविद्यालय |
प्रसिद्धि | रेडियो जॉकी |
नागरिकता | भारतीय |
संबंधित लेख | आकाशवाणी लखनऊ |
अन्य जानकारी | देवकीनंदन पाण्डे को अपनी शख़्सियत की लोकप्रियता का अंदाज़ उस दिन लगा जब श्रीमती इंदिरा गाँधी ने एक बार आकाशवाणी के स्टॉफ़ आर्टिस्टों को उनकी समस्या सुनने के लिये अपने निवास पर आमंत्रित किया। |
देवकीनन्दन पाण्डे आकाशवाणी के प्रसिद्ध समाचार वक्ता थे। उनकी आवाज़ बेहद कर्णप्रिय थी। आकाशवाणी लखनऊ पर मिले उर्दू के अनुभव ने उन्हें हमेशा स्पष्ट समाचार वाचन में लाभ दिया। देवकीनंदन पाण्डे मानते थे कि निश्चित रूप से देश की भाषा हिन्दी है, लेकिन वाचिक परंपरा में उर्दू के शब्दों के परहेज़ नहीं किया जाना चाहिए।
परिचय
कानपुर में पैदा हुए देवकीनंदन के पिता शिवदत्त पाण्डे अपने क्षेत्र के जाने-माने डॉक्टर थे। बेहद रहम दिल और आधी रात को उठकर किसी भी मरीज़ के लिए मुफ़्त में इलाज करने को तत्पर। मूलरूप से पाण्डे परिवार कुमाऊँ का था। शायद यही वजह है कि पाण्डे के स्वर में एक पहाड़ी ख़नक सुनाई देती थी। देवकीनंदन पाण्डे अपने स्कूली दिनों में कभी भी मेधावी छात्र नहीं रहे लेकिन वे कभी भी अपनी कक्षा में फेल नहीं हुए। घूमने-फिरने, नाटक करने और खेलकूद में उनकी गहन दिलचस्पी थी। पाठ्य पुस्तके उन्हें कभी भी रास नहीं आईं किंतु नाटक, उपन्यास, कहानियॉं, जीवन चरित्र और इतिहास की पुस्तकें उन्हें हमेशा से आकर्षित करती थीं। उनकी आरंभिक शिक्षा अल्मोड़ा में हुई। देवकीनंदन पाण्डे के पिता पुस्तकों के अनन्य प्रेमी थे। इस वजह से घर में किताबों का अच्छा ख़ासा संकलन था जिससे देवकीनंदन को पठन-पाठन में दिलचस्पी होने लगी।
कॉलेज के दिनों में उनके अंग्रेज़ी के अध्यापक विशंभर दत्त भट्ट देवकीनंदन को रंगमंच के लिये प्रोत्साहित करने लगे। अल्मोड़ा में देवकीनंदन ने कई दर्ज़न नाटकों में हिस्सा लिया इससे उनके आत्मविश्वास में मज़बूती आई। 40 के दशक में अल्मोड़ा जैसी छोटी जगह में केवल दो रेडियो थे। एक स्कूल के अध्यापक के घर और दूसरा एक व्यापारी के घर। युवा देवकीनंदन पाण्डे को दूसरे महायुद्ध के समाचारों को सुनकर बहुत रोमांच होता। वे प्रतिदिन सारा काम छोड़कर समाचार सुनने जाते। उन दिनों जर्मनी रेडियो के दो प्रसारकों लॉर्ड हो हो और डॉ. फ़ारूक़ी का बड़ा नाम था। दोनों लाजवाब प्रसारणकर्ता थे। उनकी आवाज़ हमेशा देवकीनंदन पाण्डे के दिलो-दिमाग़ में छाई रही। सन् 1941 में बी. ए. करने के लिए वह इलाहाबाद चले आए। यहाँ उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय जो कि पूरे देश में विख्यात है, से बी. ए. की डिग्री प्राप्त की।
निधन
आकाशवाणी के प्रसिद्ध समाचार वक्ता देवकीनंदन पांडे का वर्ष 2001 में निधन हो गया था।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
- देवकीनंदन पाण्डे की आवाज़ सुनें
- 'यह देवकीनंदन पांडे है. अब आप आकाशवाणी से...'
- देवकीनंदन पांडे कुमाऊं के गाँधी
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