ठाकुर प्रसाद सिंह
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ठाकुर प्रसाद सिंह
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पूरा नाम | ठाकुर प्रसाद सिंह |
जन्म | 26 अक्टूबर, 1924 |
जन्म भूमि | वाराणसी, उत्तर प्रदेश |
कर्म भूमि | भारत |
मुख्य रचनाएँ | 'वंशी और मादल' (1977), 'महामानव' (प्रबन्धकाव्य) 1946, 'हारी हुई लड़ाई लड़ते हुए' (कविता-संग्रह) 1988 आदि। |
प्रसिद्धि | कवि तथा साहित्यकार |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | ठाकुर प्रसाद सिंह ने नाटक तथा उपन्यास भी लिखे। कविता के क्षेत्र में 'महामानव' एवं 'वंशी और मादल' विशेष चर्चित रहे। नवगीत विधा के कवियों में इनका प्रमुख स्थान है। |
इन्हें भी देखें | कवि सूची, साहित्यकार सूची |
ठाकुर प्रसाद सिंह (जन्म- 26 अक्टूबर, 1924, वाराणसी, उत्तर प्रदेश) का नाम भारत में नवगीत विधा के कवियों में प्रमुखता से लिया जाता है। अपनी कई कृतियों के लेखन के साथ ही इन्होंने अनेक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया। कई नाटक तथा उपन्यास भी ठाकुर प्रसाद सिंह ने लिखे।
- वाराणसी के ईश्वरगंगी मुहल्ले में 26 अक्टूबर, 1924 को ठाकुर प्रसाद सिंह का जन्म हुआ था।
- इन्होंने हिन्दी तथा प्राचीन भारतीय इतिहास व पुरातत्व में उच्च शिक्षा प्राप्त की थी।
- कई वर्षों तक अध्यापन और पत्रकारिता के बाद ठाकुर प्रसाद सिंह उत्तर प्रदेश के सूचना विभाग में चले गए। वहाँ हिन्दी संस्थान के निदेशक रहे।
- ठाकुर प्रसाद सिंह ने कई पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया। नाटक तथा उपन्यास भी लिखे।
- कविता के क्षेत्र में इनके 'महामानव (प्रबंध-काव्य) एवं 'वंशी और मादल (गीत-संग्रह) विशेष चर्चित रहे।
- 'नवगीत विधा' के कवियों में ठाकुर प्रसाद सिंह का प्रमुख स्थान है।
- ठाकुर प्रसाद सिंह की मुख्य रचनाएँ इस प्रकार हैं-
- महामानव (1946)
- वंशी और मादल (1977)
- कुब्जा सुन्दरी (1963)
- आदिम (1978)
- हिन्दी निबंध और निबंधकार (1952)
- पुराने घर नये लोग (1960)
- बाबू राव विष्णु प्राणकर (1984)
- स्वतंत्र आन्दोलन और बनारस (1990)
- 15 अगस्त
- पहिए
- कठपुतली
- गहरे सागर के मोती
- 'सेवक प्रकाशन', वाराणसी के सौजन्य से प्रकाशित 'मोर पंख' ठाकुर प्रसाद सिंह की प्रतिनिधि गद्य रचनाओं का उत्कृष्ट ग्रंथ है।
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