विंध्याटवी
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विंध्याटवी प्राचीन वन प्रदेश था, जिसका वर्णन वाणभट्ट ने 'हर्षचरित' में किया है। यह विंध्याचल का वन प्रदेश था।[1]
- अपने स्वामी गृहवर्मा के मारे जाने के पश्चात् राज्यश्री का विंध्याटवी के वन में प्रवेश करने का बाण ने उल्लेख इस प्रकार किया है-
'देव देवभूयं गते देवेराज्यवर्धने गुप्तनाम्ना च गृहीते कुशस्थले देवी राज्यश्रीः परिमृश्यबंधनाद्विंध्याटवीं सपरिवारा प्रविष्टेति।[2]
इन्हें भी देखें: हर्षवर्धन, वर्धन वंश एवं मौखरि वंश
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