पेरुनजेरल इरंपोरई
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- पेरुनजेरल इंरपोरई (लगभग 190 ई.), नेदुनजेरल आदन का पुत्र था।
- इंरपोरई ने सामन्तों की राजधानी तडगूर पर आक्रमण कर उसे जीत लिया।
- उसने विद्धान, अनेक यज्ञ को सम्पन्न कराने वाले एवं अनेक वीर पुत्रों का पिता होने का गौरव प्राप्त किया था।
- इसने 'अमरयवरम्वन' की उपाधि ग्रहण की थी, जिसका अर्थ होता है- हिमालय तक सीमा वाला, अर्थात् उसने समस्त भारत पर विजय प्राप्त की तथा हिमालय पर चेर वंश का चिह्न अंकित किया।
- इसकी राजधानी 'मरन्दई' थी।
- इरंपोरई का विरोधी तडगूर के राजा 'अदिगयमान' अथवा 'नडुमान' का महत्त्वपूर्ण कार्य था- दक्षिणी भू-भाग में सर्वप्रथम गन्ने की खेती को आरम्भ करवाना।
- इंरपोरई के विषय में कहा जाता है कि, उसने पाण्ड्य साम्राज्य तथा चोल वंश के शासकों से युद्ध किया और बहुत-सा धन अपनी राजधानी वांजि (कुरुवुर) लाया।
- टॉल्मी ने यहाँ अनेक रोमन सिक्के मिलने की बात कही है।
- संगम कालीन कवियों ने इरंपोरई को अन्तिम चेर शासक माना है।
- किंतु लगभग 290 ई. में एक और अंतिम चेर शासक, जिसका नाम 'शेय' (हाथी की आँख वाला) एवं जिसकी उपाधि 'मांदरंजीजल इरंपोरई' थी, का उल्लेख मिलता है।
- यह सुविख्यात कवयित्री औवैयार का समर्थक तथा उसके सात संरक्षकों में से एक था।
- औवैयार ने उसकी प्रशंसा में अनेक गीत लिखे हैं।
- इसके अतिरिक्त चेर वंश के अन्य राजा 'गजमुखशीय' का नाम भी उल्लेखनीय है। उसे मान्दरंजीरल इरम्पोरई (210 ई.) की उपाधि मिली थी।
- चोलों का प्राचीनतम उल्लेख कात्यायन ने किया है।
- ई.पू. दूसरी शती में 'एलारा' नामक चोल राजा ने श्रीलंका पर विजय प्राप्त की और लगभग 50 वर्षों तक वहाँ शासन किया।
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