कुमारश्रमणा

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
रविन्द्र प्रसाद (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:07, 10 अप्रैल 2018 का अवतरण (''''कुमारश्रमणा''' पाणिनिकालीन भारतवर्ष में स्त्रियो...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें

कुमारश्रमणा पाणिनिकालीन भारतवर्ष में स्त्रियों के प्रयोग की जाने वाली एक संज्ञा थी।

  • ज्ञानोपार्जन की प्रवृत्ति कभी-कभी इतनी बढ़ जाती है कि स्त्रियां आयु पर्यंत अविवाहित रहकर नैष्ठिक भिक्षुणियों का जीवन व्यतीत करती थीं। उनके लिए सूत्र में ‘कुमारश्रमणा’ पद आया है।[1][2]


इन्हें भी देखें: पाणिनि, अष्टाध्यायी एवं भारत का इतिहास


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कुमार श्रमणादिभि; 2/ 1/70; कुमारी श्रमणा कुमारश्रमणा
  2. पाणिनीकालीन भारत |लेखक: वासुदेवशरण अग्रवाल |प्रकाशक: चौखम्बा विद्याभवन, वाराणसी-1 |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 102-103 |

संबंधित लेख