अपराजिता
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अपराजिता दुर्गा का पर्यायवाची नाम, जो उनको रौद्र रूप का द्योतक है। इसी रूप से उन्होंने अनेक का संहार किया था 'देवीपुराणा' तथा 'चंडीपाठ' में इस स्वरूप का विस्तृत वर्णन मिलता है और तंत्र सहित्य में अपराजिता की पूजा का विधान है। इसके अतिरिक्त अपराजिता नाम की विद्या का कालिदास ने 'विक्रमोर्वशीय' में उल्लेख किया है।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 137 |
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