राधिकारमण प्रसाद सिंह

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राधिकारमण प्रसाद सिंह (जन्म- 10 सितम्बर, 1890, शाहाबाद, बिहार; मृत्यु- 24 मार्च, 1971) का हिंदी के आधुनिक गद्यकारों में प्रमुख स्थान है। आपने कहानी, गद्य, काव्य, उपन्यास, संस्मरण, नाटक सभी विद्याओं में साहित्य की रचना की।

परिचय

हिंदी के आधुनिक गद्यकारों में मुख्य स्थान रखने वाले राधिकारमण प्रसाद सिंह का जन्म 1890 में शाहाबाद (बिहार) के सूर्यपुरा नामक स्थान में हुआ था। आपने अपनी रचनाओं में अपने सामाजिक और राजनीतिक जीवन का सफल चित्रण किया है। लगभग 50 वर्षों तक हिंदी की सेवा की। आधुनिक हिंदी कथा साहित्य में आपका स्थान 'कानों में कंगना' के लिए स्मरणीय है।[1]

रचनाएं

राधिकारमण प्रसाद सिंह ने सभी विद्याओं में जो साहित्य की रचना की है, उसके प्रमुख ग्रंथ इस प्रकार हैं:

  1. कहानी संग्रह - 'कुसुमांजलि', 'अपना पराया', 'गांधी टोपी', 'धर्मधुरी'
  2. गद्यकाव्य - 'नवजीवन', 'प्रेम लहरी'
  3. उपन्यास - 'राम रहीम', 'पुरुष और नारी', 'संस्कार' 'चुंबन और चाय'
  4. संस्मरण - 'सावनी सभा', टूटातारा,' 'सूरदास'
  5. नाटक - 'अपना पराया', 'धर्मधरी'

गद्य कृतियां

कुछ गद्य कृतियां भी हैं, जैसे:

  1. 'नारी एक पहेली'
  2. 'पूरब और पश्चिम'
  3. 'हवेली और झोपड़ी'
  4. 'देव और दानव'
  5. 'वे और हम'
  6. 'धर्म और मर्म'
  7. 'तब और अब'

मृत्यु

24 मार्च, 1971 को राधिकारमण प्रसाद सिंह का देहान्त हो गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 720 |

बाहरी कड़ियाँ

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