रामभजदत्त चौधरी
रामभजदत्त चौधरी (जन्म- 1866, गुरदासपुर, पंजाब; मृत्यु- 1923) प्रसिद्ध राष्ट्रवादी और एक क्रांतकारी नेता थे। इनका विवाह रबींद्रनाथ टैगोर की भतीजी सरला देवी चौधरानी से हुआ था। उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलनों में भाग लिया और जेल में सज़ा भोगी।
परिचय
प्रसिद्ध राष्ट्रवादी नेता रामभजदत्त चौधरी का जन्म 1866 में पंजाब के गुरदासपुर जिले में हुआ था। उनके पिता चौधरी राधाकृष्ण दत्त एक बड़े जमींदार थे। रामभजदत्त की शादी रबींद्रनाथ टैगोर की भतीजी सरला देवी चौधरानी से हुई। उन्होंने शिक्षा पूरी करके लाहौर में वकालत की शुरुआत की थी। कुछ समय बाद कूका गुरु राम सिंह की प्रेरणा से सिख धर्म की ओर आकृष्ट हुए, किंतु बाद में आर्य समाज के प्रभाव में आ गए। 1888 ई. से ही उन्होंने कांग्रेस के कामों में भाग लेना भी आरंभ कर दिया था। वे सामाजिक जीवन के साथ-साथ अछूतोद्धार आदि कार्यों में रुचि लेने लगे।[1]
जेल यात्रा
रामभजदत्त चौधरी बड़े प्रभावशाली वक्ता थे और क्रांतिकारियों के प्रति सहानुभूति रखते थे। इन्हें कई आंदोलनों के कारण जेल जाना पड़ा। उस समय के प्रमुख नेताओं लाला लाजपत राय, डॉक्टर सतपाल, डॉक्टर किचलू आदि से उनकी निकटता थी।1907 ईस्वी में पंजाब के किसान आंदोलन में उन्होंने भी प्रमुख रूप से भाग लिया। पंजाब के देहात अंग्रेजों की सेना के महत्वपूर्ण भर्ती-केंद्र थे। इसलिए सरकार ने इस आंदोलन को दबाने के उद्देश्य से रामभज दत्त को गिरफ्तार करके डेरा गाजी खां भेज दिया। बाद में उन्हें आजीवन कैद की सजा हुई और उनकी संपत्ति भी जब्त कर ली गई। लेकिन कुछ समय बाद आम रिहाई में वे भी छोड़ दिए गए। चोरी चोरा की घटना के बाद गांधीजी द्वारा आंदोलन वापस लेने से उन्हें भी बड़ा असंतोष हुआ था।
मृत्यु
प्रसिद्ध राष्ट्रवादी नेता रामभजदत्त चौधरी का 1923 ईस्वी में इनका निधन हो गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 736 |
बाहरी कड़ियाँ
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