आयतन

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यशी चौधरी (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:00, 14 जून 2018 का अवतरण (''''आयतन''' 12 होते हैं - छह भीतर के और छह बाहर के। चक्षु, श्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें

आयतन 12 होते हैं - छह भीतर के और छह बाहर के। चक्षु, श्रोत्र, घ्रााण, जिह्वा, काय और मन - ये छह भीतर के आयतन हैं। इन्हें आध्यात्मिक आयतन भी कहते हैं। रूप, शब्द, गंध, रस, स्पर्श और धर्म-ये छह बाहर के आयतन हैं। इन्हें बाह्यतन भी कहते हैं। प्राणी की सारी तृष्णाओं के घर ये ही 12 हैं। इसी से उन्हें आयतन कहते हैं। आधुनिक विज्ञान में किसी पिंड का आयतन वह स्थान है जो पिंड छेंकता है और इसे घन एककों में नापा जाता है, जैसे घन इंचों या घन सेंटीमीटरों में।[1]



पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 397 |

संबंधित लेख