इंडियन रोड्स काँग्रेस
इंडियन रोड्स कांग्रेस दिंसबर, 1834 में स्थापित हुई। इसका मुख्य उद्देश्य था सड़कों के निर्माण एवं सुप्रबंध के विज्ञान और कला की उन्नति तथा प्रोत्साहन और भारत की सड़कों के इंजिनियरों की सड़क संबंधी समस्याओं पर सामूहिक विचाराभिव्यक्ति का उपयुक्त माध्यम होना। इस कांग्रेस में 1958 में प्राय:1,600 सदस्य थे जिनमें इंग्लैंड, आयरलैंड, ब्रिटिश, वेस्टइंडीज, कनाडा, पाकिस्तान, लंका, बर्मा आदि देशों के निवासी भी सम्मिलित थे।
यह कांग्रेस प्रति वर्ष एक महाधिवेशन करती है जिसमें देश भर से 250 से अधिक प्रतिनिधि विचारर्थ आमंत्रित किए जाते हैं। अपने 25 वर्षो के अब तक के जीवनकाल में इस कांग्रेस ने निम्नलिखित कार्य किए हैं:
(1) अपने सामान्य अधिवेशनों में टेकनिकल विषयों पर लिखे गए 200 से अधिक ऐसे निबंधों पर विचारविमर्श किया जो भारतीय सड़कों के विकास संबंधी विविध पहलुओं से संबंध रखते हैं।
(2) सड़क निर्माण एवं सड़कों की सुरक्षाविषयक ज्यामितीय तथा अन्य प्रकार की विशेषताओं के स्थिर प्रतिमान भी सुनिश्चित किए।
(3) सड़कों की प्राविधिक (टेकनिकल) तथा प्रशासन संबंधी समस्याओं पर विवेचन करने के लिए उसने 22 वार्षिक अधिवेशन तथा 52 साधारण सभाएँ कीं।
(4) प्राविधिक समस्याओं के विभिन्न पहलुओं के विस्तृत अध्ययनार्थ बहुत सी समितियाँ नियुक्त कीं।
इस कांग्रेस का प्राविधिक कार्य मुख्यत: इसकी समितियाँ एवं उपसमितियाँ करती हैं। उनकी बैठकें सामान्य अधिवेशनों पर और यदि संभव हुआ तो अन्य अवसरों पर भी होती हैं।
मुख्य समितियाँ इस प्रकार हैं: ब्योरा और प्रतिमान-निर्धारण समिति, पुल समिति (इस समिति ने पुलों के लिए प्रतिमानों का ब्योरा एवं रचना के नियम तैयार किए), प्राविधिक समिति (जिसने कलकत्ता में परीक्षण के लिए बनी सड़कों की सभी प्रकार की जाँचों की व्यवस्था की थी और जो सामान्यत: सड़कों के संबंध में अनुसंधान करती है) तथा मृत्तिका-अनुसंधान-समिति। अन्य समितियों के कार्यक्षेत्र में सड़कों के इंजीनियरों का शिक्षण, व्यावसायिक इजीनियरिंग, सड़कों की वास्तुकला की दृष्टि से व्यवस्था, यातायात की समस्याएँ, सड़क निर्माण के लिए यंत्रों के कारखाने, सड़क बनाने के कायाँ को यंत्रों द्वारा कराना, विभिन्न प्रकार की सड़कों आदि का आर्थिक दृष्टि से अध्ययन इत्यादि कर्तव्य समाविष्ट हैं। काउंसिल इस कांग्रेस का मुख्य संचालक अंग है। यह सामान्य अधिवेशनों में रखे गए एवं समितियों द्वारा प्रस्तुत सुझावों पर विचार करती है तथा राज्य एवं केद्रीय सरकार को इस संबंध में उचित परामर्श देती है।
कांग्रेस के दो नियमित प्रकाशन चलते हैं: 'जरनल' तथा 'ट्रासंपोर्ट कम्युनिकेशंस मंथली रिव्यू'। 'जरनल' त्रैमासिक प्रकाशन है जिसमें प्राविधिक निबंध, विचारविमर्श, अनुसंधानों के विवरण आदि रहते हैं। इनके अतिरिक्त इस कांग्रेस द्वारा सड़कों से संबंध रखनेवाली सामायिक विवरणिकाएँ (बुलेटिन्स) भी प्रकाशित की जाती हैं। कांग्रेस द्वारा इंजीनियरिंग विषयक साहित्य के एक पुस्तकालय की भी व्यवस्था की गई है जिसमें सड़क, पुल, यातायात आदि विषयों से संबद्ध पुस्तकें प्राप्त करने पर अधिक ध्यान दिया जाता है। सदस्यों तथा इंजिनियरों द्वारा सड़कों के संबंध में पूछे गए प्रश्नों का उत्तर भी दिया जाता है।
यह कांग्रेस सरकार के परिवहन एवं संचरण मंत्रालय के घनिष्ठ सहयोग से अपना कार्य संपन्न करती हैं। सड़क-विकास संबंधी भारत सरकार के परामर्शदाता इंजीनियर इसके स्थायी कोषाध्यक्ष हैं। इसका सचिवालय जामनगर हाउस, शाहजहाँ रोड, नई दिल्ली में स्थित है और इसका प्रबंध इंडियन रोड्स कांग्रेस के एक सचिव के हाथ में हैं।
इंडियन (भारतीय) रोड्स कांग्रेस के भूतपूर्व अध्यक्षों के नाम निम्नलिखित हैं:
डी.बी. मिच्ल्, सी.एस.आई.; सी.आई.ई., आइ.सी.एस. (1934); रायबहादुर छुट्टनलाल (1935-36); एम.जी. स्टब्स, सी.बी.ई., आई.एस.ई. (1936-38); सर केनेथ मिच्ल्, के.सी.आई.ई., सी.आई.ई., आई.एस.ई. (1939-42); जे.वसुगर, आई.एस.ई. (1943-45); सर आर्थर डीन, सी.आई.ई., एम.सी., ई.डी. (1945-46); एल ए.फ्रीक, आई.एक.ई. (1946); जे. चेंबर्स, सी.आई.ई. ,एम.सी.ओ.बी.ई., आई.एस.ई. (1946-47); सी.जी.काले, सी.आई.ई., आई.एस.ई. (1947-48); एस.एन.चक्रवर्ती, आई.एस.ई. (1948-49); रायबहादुर बृजमाहेनलाल, आई.एस.ई. (194950); रायबहादुर ए.सी.मुकर्जी, आई.एस.ई. (1950-51); जी.एम.मैक्केल्वी, सी.आई.ई., ओ.बी.ई., आई.एस.ई.(1951-52); टी.मित्र, आई.एस.ई. (1952-53); आर.के.वात्रा., आई.एम.ई. (1953-54); एच.पी.मथरानी, आई.एस.ई. (1954-55); के.के. मांबियार (1955-56); पी.एल.वर्मा. (1956-57); एम.एस. विष्ट (1957-58); डब्ल्यू.एक्स. मैस्कारेन्हास् (1958-59)।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 498 |