हेलियोडोरस

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हेलिओडोरस स्तंभ, विदिशा

हेलियोडोरस तक्षशिला के शासन एंटियोकस के राजदूत के रूप में भारत आया था। शुंग वंश के नौंवे शासक भागभद्र के शासन काल में हेलियोडोरस यवन भारत आया था। यवन होते हुए भी वह भागवत धर्म का अनुयायी हो गया था। उसने देवाधिदेव वासुदेव (विष्णु) का एक 'गरुड़ स्तम्भ' बनवाया था, जिसे 'हेलिओडोरस स्तम्भ' भी कहा जाता है।

हेलियोडोरस ने बेसनगर में भगवान विष्णु के मंदिरों के सामने एक स्तंभ को 'गरूड़ स्तंभ' के रूप में स्थापित किया था। इस स्तंभ के समीप चौथी सदी ईसा पूर्व विष्णु मंदिरों की पुष्टि यहां हुये उत्खनन में हो चुकी है। इस स्तंभ के साथ यहां की कई रोचक मान्यताओं को देशज भाषा में बहुत ही शानदार तरीके से भारतीय पुरातत्व विभाग ने व्यक्त किया है, जिस पर नजर डालने से मालूम होता है कि इस खंबे को 'खाम बाबा' कहते हैं और ज्यादातर धीमर लोग इसे पूजते हैं। इस पर दो बीजक खुदे हुये हैं, उनसे इनका असली हाल मालूम होता है। यह बीजक ब्राह्मी हरफों में हैं और उनकी बोली प्राकृत है।[1]

एक बीजक से मालूम होता है कि यह खंभा 'गरूड़ ध्वज' है, जिसको भगवान विष्णु के मंदिर के सामने हेलियोदर ने खड़ा किया था। हेलिओदर तक्षशिला का रहने वाला ग्रीक था।। वह पंजाब के आंतलिकित नाम के ग्रीक राजा की तरफ से मध्य देश के भागभद्र राजा के पास वकील था और उसने भागवत धर्म को स्वीकार कर लिया था। यह खंभा दो हजार साल से भी ज्यादा पुराना है अर्थात हजरत ईसा से भी 150 साल पहिले बना है। इस स्तंभ को सबसे पहले अलेक्जेंडर कनिंघम ने 1877 ई. में अपने लेखों के माध्यम से प्रकाश में लाया। यह स्तंभ स्थानीय तौर पर खाम बाबा के नाम से ही जाना जाता है। इस स्तंभ पर लिखे लेख के अनुसार हेलियोडोरस भागवत धर्म से अत्यधिक प्रभावित था। इस स्तंभ पर उत्कीर्ण लेखों की जानकारी भारतीय पुरातत्व विभाग ने बहुत ही विस्तार से दी है। स्तंभ पर अंकित लेख दो भागों में है। इन लेखों पर संस्कृत और प्राकृत भाषा का प्रभाव दिखलाई पड़ता है। लेख ब्राह्मी लिपि में खुदा हुआ है। लेख कुछ इस प्रकार है-

पहला भाग-

देवादेवासा वा(सुदे)वसा गरूड़ध्वजो अयम
करितो ई (आ) हेलिटोडोरेना भागा
वटेना दियासा पुतरेना तखासिलाकेना
योनादातेना अगातेना महाराजासा
अमतालिकितेसा उप(मा) ता सामाकसम रानो
कासीपूतासा (भा)गभद्रासा तरातारासा
वासेना (चातू)दासेना राजेना वधमानासा

दूसरा भाग-

तिरीनी अमूतपदानी (सू) अनुतिथानी
नयामति स्वागा दामो चागो अपरामदो

इन लेखों से भारत के अनजाने इतिहास की नयी जानकारियां प्राप्त होती हैं। यह लेख भारत के प्राचीन भागवत धर्म से संबंधित पहला महत्वपूर्ण लेख है। यह लेख दर्शाता है कि ईसा से दूसरी सदी पूर्व में पूरे दक्षिण एशिया में भागवत धर्म ग्रीक लोगों में काफी लोकप्रिय था। हेलियोडोरस ने भी भागवत धर्म स्वीकार कर लिया था, ऐसा अनुमान इन लेखों से होता है। हेलियोडोरस जिस यवन राजा का राजदूत था, उसका राज्य काफी विस्तृत था जो कि प्राचीन बैक्ट्रिया साम्राज्य का भाग था; जिसकी स्थापना सिकंदर ने की थी। यह लेख भारत और ग्रीकों के आपसी संबंधों का भी गवाह है। हेलियोडोरस का स्तंभ और उसमें अंकित लेख भारत के उस प्राचीन इतिहास का साक्षी है, जिस काल में भारत विश्वगुरु था। यहां की प्रचलित मान्यताओं को पूरा विश्व मानता था।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अनजाने इतिहास का साक्षी है .. हेलियोडोरस का स्तंभ (हिंदी) princeofpilgrims.blogspot। अभिगमन तिथि: 2 जनवरी, 2020।

बाहरी कड़ियाँ

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