मंगलयान का इतिहास

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
आदित्य चौधरी (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:21, 10 फ़रवरी 2021 का अवतरण (Text replacement - "तेजी " to "तेज़ी")
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
मंगलयान विषय सूची
मंगलयान का इतिहास
मंगल कक्षित्र मिशन
मंगल कक्षित्र मिशन
विवरण 'मंगलयान' अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की महत्त्वाकांक्षी अन्तरिक्ष परियोजना है। इस परियोजना में मंगल ग्रह की परिक्रमा के लिये एक उपग्रह छोड़ा गया, जो 24 सितंबर, 2014 को ग्रह पर पहुँच गया।
मिशन प्रकार मंगल कक्षीयान
संचालक भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो)
कोस्पर आईडी 2013-060A
सैटकैट संख्या 39370
निर्माता इसरो उपग्रह केन्द्र
प्रक्षेपण तिथि 5 नवंबर, 2013
रॉकेट ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसऍलवी) सी-25
प्रक्षेपण स्थल सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र
अन्य जानकारी मंगलयान के जरिए भारत मंगल ग्रह पर जीवन के सूत्र तलाशने के साथ ही वहाँ के पर्यावरण की भी जाँच करना चाहता है। यह भी पता लगाया जायेगा कि लाल ग्रह पर मीथेन गैस मौजूद है या नहीं।
अद्यतन‎

इसरो के अध्यक्ष माधवन नायर द्वारा 23 नवंबर, 2008 को मंगल ग्रह के लिए एक मानव रहित मिशन की पहली सार्वजनिक अभिस्वीकृति की घोषणा की गई थी। भारत के मंगलयान मिशन की अवधारणा 2008 में चंद्र उपग्रह चंद्रयान-1 के प्रक्षेपण के बाद अंतरिक्ष विज्ञान और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान द्वारा 2010 में एक व्यवहार्यता अध्ययन के साथ शुरू हुई।

मंगलयान परियोजना

भारत सरकार ने इस परियोजना को 3 अगस्त, 2012 में मंजूरी दे दी थी। 'भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन' ने 125 करोड़ रुपये के ऑर्बिटर के लिए आवश्यक अध्ययन पूरा किया। परियोजना की कुल लागत 450 करोड़ रुपये हुई। अंतरिक्ष एजेंसी ने 28 अक्टूबर, 2013 को प्रक्षेपण की योजना बनाई, लेकिन प्रशांत महासागर में खराब मौसम के कारण इसरो के अंतरिक्ष यान, ट्रैकिंग जहाजों को पहुंचने में देरी हुई। इस कारण अभियान को 5 नवंबर, 2013 तक स्थगित कर दिया गया।

ईंधन की बचत के लिए होहमान्न स्थानांतरण कक्षा में प्रक्षेपण के अवसर हर 26 महीने में घटित होते हैं। पीएसएलवी-एक्सएल लांच सी25 वाहन को जोड़ने का कार्य 5 अगस्त, 2013 को शुरू हुआ था। मंगलयान को वाहन के साथ जोड़ने के लिए 2 अक्टूबर, 2013 को श्रीहरिकोटा भेज दिया गया। उपग्रह के विकास को तेज़ीसे रिकॉर्ड 15 महीने में पूरा किया गया। अमेरिका की संघीय सरकार के बंद के बावजूद नासा ने 5 अक्टूबर, 2013 को मिशन के लिए संचार और नेविगेशन समर्थन प्रदान करने की पुष्टि की। 30 सितंबर, 2014 को एक बैठक के दौरान नासा और इसरो के अधिकारियों ने मंगल ग्रह के भविष्य के संयुक्त मिशन के लिए मार्ग स्थापित करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए तथा दोनों देशों ने मंगलयान और मेवेन अंतरिक्ष यानों के आंकड़े को साझा करने का फैसला किया।

भारत ने लिक्विड मोटर इंजन की तकनीक से मंगलयान को मंगल की कक्षा में स्थापित किया। आमतौर पर चांद तक पहुंचने के लिए इसी तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन इतने लम्बे मिशन पर भारत से पहले किसी भी देश ने लिक्विड मोटर इंजन के इस्तेमाल का जोखिम नहीं उठाया था। मंगल यान को 5 नवंबर, 2013 को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपित किया गया था। बुधवार (24 सितंबर, 2014) की सुबह तय कार्यक्रम के मुताबिक मंगल यान को मंगल की कक्षा में स्थापित कर दिया गया।

गूगल डूडल

मंगलयान की सफलता पर जारी गूगल का डूडल

सर्च इंजन गूगल ने भारत के 'मार्स ऑर्बिटर मिशन' (मंगलयान) के मंगल की कक्षा में एक महीने की अवधि पूर्ण करने पर अपने भारतीय होमपेज पर डूडल बनाया था। इस डूडल में गूगल के दूसरे ‘ओ’ के स्थान पर भारत का मंगलयान दिखाई दे रहा है और पृष्ठभूमि में मंगल ग्रह का धरातल। गौरतलब है कि आमतौर पर गूगल किसी विशेष दिवस, जयंती-पुण्यतिथि इत्यादि के अवसर पर ही होमपेज पर डूडल बनाता है। यह डूडल गूगल के केवल भारतीय होमपेज पर ही दिखाई दे रहा था। इस डूडल के साथ शेयर बटन भी दिया गया था, जिसकी सहायता से कोई भी इसे सोशल नेटवर्किंग साइट पर शेयर भी कर सकता था। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 24 सितंबर, 2014 को मंगलयान को मंगल की कक्षा में प्रवेश कराया था और इसी के साथ भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया था, जो मंगल तक पहुंचे हैं। भारत पहले ही प्रयास में मंगल पर पहुंचने वाला विश्व का प्रथम देश है।[1]

नेशनल जियोग्राफिक मैगजीन पर मंगलयान

भारत में 2000 रुपये के नए नोट पर स्थान पाने के बाद मंगलयान ने एक और कामयाबी को उस समय छू लिया, जब उसके द्वारा भेजी गई मंगल ग्रह की तस्वीर को नेशनल जियोग्राफिक मैगजीन ने अपने कवर पृष्ठ पर छापा। भारत के मंगल ग्रह पर पहले मिशन के बाद मंगलयान के कैमरे द्वारा इस लाल ग्रह की तस्वीर ली गई। इस तस्वीर को अपनी उच्च गुणवत्ता वाली तस्वीरों के लिए प्रसिद्ध नेशनल जियोग्राफिक मैगजीन के कवर पेज पर स्थान दिया गया। मैगजीन में मंगलयान की लगभग एक दर्जन तस्वीरों को जगह दी गई थी। विशेषज्ञ स्वीकार करते हैं कि भारत के मंगलयान ने उम्दा तस्वीरें ली हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि मंगलयान से पहले के 50 से अधिक मिशन इतनी गुणवत्ता वाली संपूर्ण आकार की तस्वीरें लेने में सफल नहीं हुए।[2]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

मंगलयान विषय सूची