जयमंगला गढ़

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जयमंगला गढ़ (Jaymangla Garh) 52 शक्तिपीठों में से एक है। यह ज़िला बेगूूसराय, बिहार में स्थित है। यह ज़िला मुख्यालय से 20 किलोमीटर उत्तर काबर में स्थित है। गुप्त आषाढ़ी नवरात्र के अवसर पर यहां माता के मंगला एवं सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा होती है। कहा जाता है कि भगवती सती के वाम स्कंध का पात यहां हुआ था, जिससे यह सिद्ध शक्तिपीठ है।

मान्यता

माता का यह सिद्ध स्थल दुर्गा के नवम स्वरूप में विद्यमान है तथा सिद्धिकामियों को सिद्धि प्रदान करती है। जयमंगला गढ़ के भग्नावशेषों व शिलालेखों से अनुमान लगाया जाता है कि यहां का मंदिर सैकड़ों वर्ष पुराना है। इस मंदिर के गर्भगृह में माता की मूर्ति है। कहा जाता है कि मंगलारूपा माता जयमंगला किसी के द्वारा स्थापित नहीं, अपितु स्वतः प्रकट है। यहां देवी, दानवों के संहार एवं भक्तजनों के कल्याण के लिए स्वत: निर्जन वन में प्रकट हुई थी। बाद में यहां रहने वाले दानवों ने देवी जयमंगला को वश में करने की बहुत कोशिश और अंत में दैवीय शक्ति से शर्त हारकर भाग गए।[1]

वैसे तो यहां साल भर मंगलवार तथा शनिवार को वैरागन को माता का पूजा भक्तजन करते हैं, लेकिन सभी नवरात्र के अवसर पर श्रद्धालुओं का शैलाव उमड़ता है। प्रत्येक साल 1 जनवरी को नववर्ष का उत्सव मनाने के लिए बिहार के विभिन्न क्षेत्र से एक लाख से अधिक लोगों की भीड़ उमड़ती है। पुजारी एवं आने वाले भक्तों का कहना है कि मां की पूजा व दर्शन का विशेष महत्व है, यहां आने वाले हर श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। तभी तो अन्य जिलों व प्रांतों के श्रद्धालु भी मां के दर्शन को आते हैं और यहां आकर मन्नतें मांगने वालों की मुरादें अवश्य पूरी होती हैं।

महत्त्व तथा ऐतिहासिकता

नवरात्र में तात्रिकों द्वारा विशेष रूप से पूजा कर सिद्धि प्राप्त की जाती है। इसलिए यहां माता की पूजा का विशेष महत्व है। हालांकि स्थल की पौराणिकता देखने के बावजूद इसके विकास की ओर किसी का ध्यान नहीं है। खुदाई के दौरान पाल कालीन अवशेष मिलने के बाद इसकी ऐतिहासिकता को देखकर तत्कालीन मुख्यमंत्री बिंदेश्वरी दुबे के कार्यकाल में यहां एक गेस्ट हाऊस का निर्माण कराया गया था।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. यहां होती है मां के सिद्धिदात्री व मंगला स्वरूप की पूजा (हिंदी) m.dailyhunt.in। अभिगमन तिथि: 05 मार्च, 2020।

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