गंगालहरी

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गंगालहरी एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- गंगालहरी (बहुविकल्पी)

गंगालहरी दो अलग-अलग रचनाओं का नाम है-

  1. पंडित जगन्नाथ तर्कपंचानन द्वारा संस्कृत में रचित 'गंगास्तव'। इसमें केवल 521 श्लोक हैं।{{#icon: Redirect-01.gif|ध्यान दें}}अधिक जानकारी के लिये देखें:- गंगालहरी (पंडित जगन्नाथ)
  2. हिंदी के प्रख्यात कवि पद्माकर की अंतिम रचना है।{{#icon: Redirect-01.gif|ध्यान दें}}अधिक जानकारी के लिये देखें:- गंगालहरी (पद्माकर)


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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