तिघरा जलाशय

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
रविन्द्र प्रसाद (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 05:47, 17 अगस्त 2021 का अवतरण (''''तिघरा जलाशय''' (अंग्रेज़ी: ''Tigra Dam'') मध्य प्रदेश में...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें

तिघरा जलाशय (अंग्रेज़ी: Tigra Dam) मध्य प्रदेश में स्थित मीठे पानी का जलाशय है जो साँक नदी पर स्थित है।

सिंधिया राजवंश के शासक माधौ महाराज यानि माधवराव ग्वालियर स्टेट को विकसित देखना चाहते थे । इसके लिए उन्होंने करीब सौ साल पहले तिघरा जलाशय बनवाया। इस डैम को बनाने के लिए उन्होंने देश के महान इंजीनियर एम. विश्वेश्वरैया की मदद ली। तब से आज तक यह डैम ग्वालियर की प्यास बुझा रहा है।

मैसूर रियासत के चीफ इंजीनियर विश्वेश्वरैया को उन दिनों बांध बनाने के मामले में दुनिया सर्वश्रेष्ठ इंजीनियर थे। उस समय के ग्वालियर स्टेट के तत्कालीन महाराज माधौ महाराज ने उन्हें बांध बनाने की जिम्मेदारी दी। सर्वे के बाद तीन ओर से पहाड़ियों से घिरे सांक नदी के क्षेत्र को बांध के लिए चुना गया।

बांध 1916 में बन कर तैयार हो गया। करीब 24 मीटर ऊंचे और 1341 मीटर लंबे इस बांध की क्षमता 4.8 मिलियन क्यूबिक फीट है। इसमें विश्वेश्वरैया ने खुद के ईजाद किए फ्लड गेट लगाए थे, जिन्हे बाद में विश्वेश्वरैया गेट के नाम से पेटेंट भी कराया गया था। तिघरा बांध में 100 साल पहले लगे ये गेट आज भी कारगर साबित हो रहे हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

[[Category: