एकनाथ शिंदे
एकनाथ सम्भाजी शिंदे (अंग्रेज़ी: Eknath Sambhaji Shinde, जन्म- 9 फ़रवरी, 1964) भारत के राजनीतिज्ञ और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री हैं। वह पहले महाराष्ट्र सरकार में शहरी विकास और लोक निर्माण (सार्वजनिक उपक्रम) के कैबिनेट मंत्री थे। एकनाथ शिंदे ठाणे के कोपरी-पाचपाखाड़ी विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से विधान सभा के सदस्य हैं। वह महाराष्ट्र विधान सभा में लगातार चार बार (2004, 2009, 2014 और 2019) निर्वाचित हुए हैं। महाराष्ट्र की राजनीति में लंबी खींचतान के बाद एकनाथ शिंदे राज्य के नए मुख्यमंत्री बनने में सफल हुए, क्योंकि उन्हें 40 से भी अधिक विधायकों का समर्थन प्राप्त था। वहीं महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट में शामिल होने से मना कर दिया था, क्योंकि उनके पास पर्याप्त विधायकों का समर्थन नहीं था। इस प्रकार एकनाथ शिंदे 30 जून, 2022 से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बन गए।
परिचय
महाराष्ट्र की राजनीति में चर्चा का केंद्र बिंदु बनने वाले एकनाथ शिंदे का जन्म साल 1964 में मुंबई में 9 फ़रवरी के दिन हुआ। उनके पिता का नाम संभाजी नवलू शिंदे और माता का नाम गंगुबाई शिंदे है। एकनाथ शिंदे का विवाह लता शिंदे से हुआ है। इन्हें संतान के तौर पर एक बेटा है जिसका नाम श्रीकांत शिंदे है। जब एकनाथ शिंदे पैदा हुए, तब इनके परिवार में काफी गरीबी थी और 16 साल की उम्र में अपने परिवार को आर्थिक तौर पर सहायता देने के लिए इन्होंने ऑटो रिक्शा चलाना प्रारंभ किया और काफी लंबे समय तक ऑटो रिक्शा चलाई। इसके साथ ही साथ यह पैसे कमाने के लिए शराब बनाने वाली एक फैक्ट्री में भी काम करने लगे।[1]
कहा जाता है कि साल 1980 के आसपास बाला साहब ठाकरे के भाषण और उनके विचारों से प्रभावित होकर एकनाथ शिंदे ने शिव सेना जॉइन कर ली। यह वह समय था जब शिव सेना ही एकमात्र में ऐसी पार्टी थी, जो कट्टर हिंदुत्व के मुद्दे के लिए जानी जाती थी। यहां तक कि कट्टर हिंदुत्ववादी नेताओं की अधिक संख्या भाजपा से ज्यादा शिव सेना में थी। साल 2004 में एकनाथ शिंदे को पहली बार विधायक बनने का मौका मिला और बाल ठाकरे की मृत्यु हो जाने के पश्चात यह तेजी के साथ कट्टर हिंदूवादी नेता के तौर पर महाराष्ट्र में उभर कर आए।
पुत्र व पुत्री की मृत्यु
साल 2000 में 2 जून का दिन एकनाथ शिंदे के लिए काफी दु:ख भरा रहा। दरअसल इसी दिन वह महाराष्ट्र के सतारा जिले में अपने 11 साल के बेटे दीपेश और 7 साल की बेटी शुभदा के साथ घूमने के लिए गए थे और बोटिंग करने के दरमियान एक भयानक एक्सीडेंट हुआ। इसी एक्सीडेंट में इनके बेटे और बेटी पानी में डूब गए। इस प्रकार साल 2000 का समय इनके लिए काफी दु:ख पूर्ण रहा। हालांकि अब इनके पास एक बेटा मौजूद है।
राजनीतिक शुरुआत
एकनाथ शिंदे के माता-पिता द्वारा ठाणे शहर में मौजूद न्यू इंग्लिश हाई स्कूल में इनका एडमिशन करवाया गया। यहां से इन्होंने अपनी एजुकेशन थोड़े समय तक पूरी की। हालांकि यह अपनी प्रारंभिक एजुकेशन पूरी नहीं कर पाए और इन्होंने बीच में से ही अपनी प्रारंभिक पढ़ाई को छोड़ दिया और फिर अपने परिवार की आर्थिक सहायता करने के लिए ऑटो रिक्शा चलाने का काम करने लगे। इस समय इनकी उम्र 16 साल थी। साल 1980 के दशक के आसपास एकनाथ शिंदे की मुलाकात बाल ठाकरे और शिव सेना पार्टी के ठाणे के जिला प्रमुख आनंद दिघे से हुई और इस प्रकार इन्होंने शिव सेना पार्टी को ज्वाइन कर लिया। भाजपा और शिव सेना के गठबंधन वाली साल 2014 की सरकार बनने के पश्चात इन्हें मंत्री पद प्राप्त हुआ और उसके बाद उन्होंने फिर से एजुकेशन हासिल करने के उद्देश्य से वसंतराव चव्हाण मुक्त यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया और यहां से मराठी और राजनीति विषय में कला स्नातक की डिग्री हासिल की।[1]
गुरु की विरासत
साल 2001 में 26 अगस्त के दिन एक एक्सीडेंट में शिंदे के राजनीतिक गुरु आनंद की मृत्यु हो गई। हालांकि कुछ लोगों का ऐसा भी कहना है कि आनंद दिघे की मृत्यु नहीं हुई थी बल्कि राजनीतिक कारणों से उनकी हत्या करवाई गई थी। आनंद की मौत हो जाने के पश्चात ठाड़े के इलाके में शिव सेना का वर्चस्व कम होने लगा था और इस प्रकार पार्टी ने थाने इलाके में शिव सेना के वर्चस्व को बनाए रखने के लिए वहां की कमान एकनाथ शिंदे को दी। इस प्रकार एकनाथ शिंदे ने अपनी काबिलियत के दम पर थाणे इलाके में पार्टी का परचम लहराया।
कॅरियर
एकनाथ शिंदे को पहली बार पार्षद बनने का मौका साल 1997 में मिला। पहली बार यह ठाणे नगर निगम से पार्षद बने थे। सदन के नेता के पद के लिए ठाणे नगर निगम में इन्हें साल 2001 में चुना गया। ठाणे नगर निगम के पद पर वर्ष 2002 में इन्हें एक बार फिर से विजय हासिल हुई। महाराष्ट्र विधानसभा के लिए साल 2004 में एकनाथ शिंदे चुने गए।
शिवसेना पार्टी के द्वारा साल 2005 में ठाणे जिला प्रमुख के पद पर इन्हें नियुक्ति दी गई। साल 2009 में एक बार फिर से एकनाथ शिंदे को महाराष्ट्र विधानसभा के लिए चुना गया। एकनाथ शिंदे को महाराष्ट्र विधानसभा के लिए साल 2014 में एक बार फिर से चुना गया। साल 2014 के अक्टूबर के महीने से लेकर के साल 2014 के दिसंबर के महीने तक एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र विधानसभा के विपक्ष के नेता बने रहे। साल 2014 से लेकर के साल 2019 तक एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र गवर्नमेंट में कैबिनेट मंत्री बने रहे। साल 2014 से लेकर साल 2019 तक वह ठाणे जिला के संरक्षण मंत्री भी बने रहे।[1]
शिवसेना पार्टी का नेता इन्हें साल 2018 में नियुक्त किया गया। महाराष्ट्र स्टेट गवर्नमेंट में लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री इन्हें साल 2019 में बनाया गया। साल 2019 में इन्हें महाराष्ट्र विधानसभा के लिए चौथी बार चुना गया। शिवसेना के विधायक दल के नेता के तौर पर इन्हें साल 2019 में चुना गया। साल 2019 में 28 नवंबर के दिन इन्होंने महाविकास आघाडी के अंतर्गत कैबिनेट मिनिस्टर के तौर पर पद ग्रहण किया। एकनाथ शिंदे को साल 2019 में शहरी विकास और लोक निर्माण मंत्री बनने का मौका प्राप्त हुआ। साल 2019 में वह गृह मामलों के मिनिस्टर बने और साल 2020 में इन्हें ठाणे जिला का संरक्षक मंत्री बनाया गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 1.2 एकनाथ शिंदे का जीवन परिचय (हिंदी) deepawali.co.in। अभिगमन तिथि: 24 जुलाई, 2022।
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