अर्गल:

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'अर्गल: (पुल्लिंग)-लम् (नपु.), अर्गला-ली (स्त्रीलिंग) [अजू+कलच् न्यङ्क्त्वादि° कुत्वं-तारा.]

1. अगड़ी, किल्ली या मूसल (यह दरवाजे को बन्द करके रोकने के लिए लकड़ी के बने यन्त्र हैं) ब्योंड़ा, सिटकिनी, आगल, पुरागंलादीर्घभुजो बुभोज-रघु. 184, 16 6, अनायतार्गलम्-मृच्छ.
2. ससंभ्रमेन्द्र द्रुतपातितार्गता निमीलिताक्षीव भियाऽमरावती-शि. 1. आलं. से यह शब्द बाधा, रोक या अवरोध के अर्थ में बहुधा प्रयुक्त होता है-इंप्सितं तदवज्ञानाद्विद्धि सार्गलमात्मनः-रघु. 1/79, बाधित-वार्यर्गलाभङ्ग इव प्रवृत्तः-5/45, कंठे केवल-मर्गलेव निहिता जीवस्य निर्गच्छतः-काव्य. 8, 'अनर्गल' भी, 2. तरंग वा झाल।[1]


इन्हें भी देखें: संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेताक्षर सूची), संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेत सूची) एवं संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 102 |

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