अर्घ्‌

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
रविन्द्र प्रसाद (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:04, 4 नवम्बर 2023 का अवतरण (''''अर्घ्‌''' (भ्वा. पर.) [अर्धति, अर्धित] *मूल्यवान् होना,...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें

अर्घ्‌ (भ्वा. पर.) [अर्धति, अर्धित]

  • मूल्यवान् होना, मूल्य रखना, मूल्य लगाना,-परीक्षका पत्र न सन्ति देशे नावन्ति रत्नानि समुद्रजानि-सुभाषि।[1]


इन्हें भी देखें: संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेताक्षर सूची), संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेत सूची) एवं संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 102 |

संबंधित लेख