अरुण योगीराज

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अरुण योगिराज (अंग्रेज़ी: Arun Yogiraj, जन्म- 1983) भारत के प्रसिद्ध मूर्तिकारों में से एक हैं। भारत में अरुण योगीराज की चर्चा हर ज़ुबान पर है, और हो भी क्यों ना। देशवासियों के रोम-रोम में बसने वाले 'रामलला' (भगवान श्रीराम) की ऐसी मूर्ति उन्होंने तराशी है, जिसे देखकर हर कोई भावुक है। उत्तर प्रदेश में अयोध्या के राम मन्दिर की मूर्ति अरुण योगीराज ने ही बनाई है। अरुण वह मूर्तिकार हैं, जिनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सराहना कर चुके हैं।

परिचय

मूर्तिकार अरुण योगीराज कर्नाटक के मैसूर में अग्रहारा के रहने वाले हैं। उनकी कई पीढ़ियाँ इसी काम से जुड़ी हुए हैं। उनके पिता योगीराज शिल्पी एक बेहतरीन मूर्तिकार हैं और उनके दादा बसवन्ना शिल्पी ने वाडियार घराने महलों में अपनी कला दिखाई थी। अरुण योगीराज का मैसूर राजा के कलाकारों के परिवार से संबंध है। शुरुआत में वह अपने पिता और दादा की तरह मूर्तिकार नहीं बनना चाहते थे और उन्होंने 2008 में मैसूर यूनिवर्सिटी से एमबीए की पढ़ाई करने के बाद एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी की। हालांकि, उनके दादा ने कहा था कि अरुण एक मूर्तिकार ही बनेगा और अंत में वही हुआ। अरुण एक मूर्तिकार बने और ऐसे मूर्तिकार, जिन्होंने साक्षात रामलला (अयोध्या के राम मन्दिर में स्थापित राम की प्रतिमा) की मूर्ति बनाई।[1]

व्यावसायिक यात्रा

अरुण योगीराज की व्यावसायिक यात्रा परंपरा, शिक्षा और उनकी जन्मजात प्रतिभा के प्रति अटूट प्रतिबद्धता का एक आकर्षक मिश्रण है। प्रसिद्ध मूर्तिकारों की पांच पीढ़ियों वाले परिवार में जन्मे अरुण योगीराज ने लगभग यह कर लिया था कि वह बनेंगे तो मूर्तिकार। एमबीए पूरा करने और कॉर्पोरेट जगत में थोड़े समय के लिए कार्य किया और फिर अपनी प्रतिभा को जगाने के लिए मूर्तिकला का आह्वान किया और अयोध्या में रामलला की मूर्ति बनाकर आज भारत ही नहीं पूरे विश्व में अपना नाम चर्चा में कर लिया। 2008 से वह देशभर में कला प्रेमियों के दिलों में अपनी जगह बना रहे हैं क्योंकि उनकी बनाई गई मूर्तियाँ हमेशा ही शुर्ख़ियों में रही हैं।

बनाई हैं कई मूर्तियाँ

अरुण योगीराज ने सिर्फ रामलला की ही मूर्ति नहीं बनाई है, बल्कि उन्होंने इससे पहले कई और भी मूर्तियां बनाई हैं, जिसके लिए उनकी तारीफ भी की गई है। अरुण योगीराज ने इंडिया गेट के पास स्थापित सुभाष चंद्र बोस की 30 फीट की मूर्ति बनाई है। इसके अलावा उन्होंने आदि शंकराचार्य की 12 फीट की मूर्ति बनाई है, जिसकी स्थापना केदारनाथ में की गई है। उन्होंने मैसूर में स्थापित हनुमान की 21 फीट की मूर्ति भी बनाई है।

अयोध्या के राम मन्दिर में 22 जनवरी, 2024 को अरुण योगीराज की ही बनाई हुई बालराम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हुई। आज जितना गर्व खुद की कला पर अरुण योगीराज को है, उतनी ही खुशी देश के करोड़ों रामभक्त के अलावा उकी मां को भी है। अरुण योगीराज की मां सरस्वती ने कहा कि "आज मैं बहुत खुश हूँ। काश उसके पिता जीवित होते तो वे भी बहुत खुश होते। पूरी दुनिया ने मेरे बेटे की कला को आज देखा है"।

सम्मान व पुरस्कार

  • संयुक्त राष्ट्र संघ के पूर्व महासचिव कोफी अन्नान ने व्यक्तिगत रूप से अरुण योगीराज की प्रशंसा की थी।
  • 2020 में मैसूर जिला प्रशासन ने नलवाड़ी पुरस्कार दिया।
  • 2021 में कर्नाटक शिल्प परिषद की मानद सदस्यता प्राप्त की।
  • 2014 में साउथ जोन यंग टैलेंटेड आर्टिस्ट अवार्ड, भारत सरकार द्वारा मिला।
  • मैसूरु जिला प्राधिकरण द्वारा राज्योत्सव पुरस्कार प्रदान किया गया।
  • माननीय कर्नाटक के मुख्यमंत्री द्वारा सम्मानित
  • मैसूरु खेल अकादमी द्वारा सम्मानित
  • अमरशिल्पी जकनाचार्य ट्रस्ट ने सम्मानित किया।
  • राज्य और राष्ट्रीय कला शिविरों में भाग लिया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कौन हैं मूर्तिकार अरुण योगीराज? (हिंदी) jagran.com। अभिगमन तिथि: 15 फ़रवरी, 2024।

बाहरी कड़ियाँ

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