ओम प्रकाश शर्मा (लोक गायक)

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ओम प्रकाश शर्मा (लोक गायक)
ओम प्रकाश शर्मा
ओम प्रकाश शर्मा
पूरा नाम ओम प्रकाश शर्मा
अन्य नाम ओम दादा
अभिभावक पिता पंडित शालीग्राम
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र रंगमंच
पुरस्कार-उपाधि पद्म श्री (2024)
प्रसिद्धि लोक नाट्य गायक व लेखक
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी ओम प्रकाश शर्मा को भारत में 'माच' लोक रंगमंच का चेहरा माना जाता है। उन्होंने माच के लिए मालवी भाषा में कई नाटक लिखे हैं।
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ओम प्रकाश शर्मा (अंग्रेज़ी: Om Prakash Sharma) उज्जैन, मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध रंगमंच कलाकार हैं। उन्होंने नाट्य कला 'माच' को बचाने के लिए अपना जीवन लगा दिया। मालवा की इस 200 साल पुरानी नाट्य परंपरा को बचाने के लिए उन्होंने अपने जीवन के 7 दशक समर्पित कर दिए। ओम प्रकाश शर्मा ने माच थियेटर को बचाए रखने के लिए ना सिर्फ स्क्रिप्ट लिखे, इसके साथ ही संस्कृत के नाटकों का 'माच' स्टाइल में अनुवाद भी किया। भारत सरकार ने उन्हें पद्म श्री, 2024 से सम्मानित किया है।

परिचय

ओम प्रकाश शर्मा को भारत में 'माच' लोक रंगमंच का चेहरा माना जाता है। उन्होंने माच के लिए मालवी भाषा में कई नाटक लिखे हैं। ओम प्रकाश शर्मा को 'ओम दादा' के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने थियेटर प्रस्तुतियों के लिए संगीत भी तैयार किया और युवा कलाकारों को इस लोक कला का प्रशिक्षण भी दिया।

ओम प्रकाश शर्मा ने अपनी जिंदगी के 70 साल मालवा की 200 साल पुरानी इस पारंपरिक लोक नृत्य नाटिका को दिए हैं। माच गायन के अलावा उन्होंने 18 नाटक लिखे। मालवी माच गीत और नाटकों के साथ उन्होंने देशभर में कई प्रस्तुतियां दीं। उस्ताद कालूराम उनके दादा थे।

माच का अध्ययन

पंडित ओम प्रकाश शर्मा बचपन से ही माच लोक कला का अभ्यास करते रहे हैं। उन्होंने पांच वर्ष की छोटी उम्र से माच का अध्ययन और शास्त्रीय गायन की शिक्षा अपने पिता पंडित शालीग्राम से लेना शुरु कर दिया था। वे 'कालूराम लोक कला केन्द्र' के निदेशक हैं।

क्या है माच शैली

'माच' हिंदी शब्द 'मंच' का अनुवाद है। माच का प्रदर्शन पहले होली के त्योहारों के आसपास किया जाता है। 100-150 साल पहले मालवा क्षेत्र के अखाड़ों में माच का प्रदर्शन मनोरंजन के लिए होता था। बाद में ओम प्रकाश शर्मा के दादा दौलतगंज अखाड़े के उस्ताद कालूराम ने माच के लिए नाटक लिखे। उन्हें जयसिंह पुर अखाड़े के उस्ताद बालमुकुंद का साथ मिला।[1]

ओम प्रकाश शर्मा ने भी अपने दादा से ही माच गायन शैली सीखी और बाद में उन्होंने भी नाटक लिखना शुरू किया। धीरे-धीरे इस कला ने जोर पकड लिया और त्योहारों पर मालवा क्षेत्र में कलाकार इसे प्रदर्शित करने लगे। माच गीतों मेें बड़े ढोलक, सारंगी व अन्य वाद्य यंत्रों को उपयोग होता है। अब हारमोनियम का उपयोग भी कलाकार करते हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. मप्र में चार लोगों को पद्मश्री सम्मान (हिंदी) amarujala.com। अभिगमन तिथि: 22 फ़रवरी, 2024।

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