रमेश पोखरियाल

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माननीय मुख्यमंत्री, उत्तराखंड

डॉ. रमेश पोखरियाल "निशंक" एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं जो भारतीय जनता पार्टी से हैं और एक हिन्दी कवि भी हैं। वे उत्तराखण्ड राज्य के पाँचवे मुख्यमंत्री हैं, जिनका चुनाव भाजपा विधानमण्डल द्वारा किया गया।

जीवन परिचय

डॉ. रमेश पोखरियाल का जन्म 15 अगस्त, 1959 [1]को पिनानी ग्राम, तहसील चौबट़टाखाल, ज़िला पौड़ी गढ़वाल तत्कालीन उत्तर प्रदेश (अब उत्तराखण्ड) में हुआ था। उनके पिता परमानन्द पोखरियाल और माता विश्वम्भरी देवी हैं। इनकी पत्नी का नाम कुसुमकान्‍ता पोखरियाल है।

राजनीतिक पृष्‍ठभूमि

डॉ. रमेश पोखरियाल 1991 में पहली बार उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए कर्णप्रयाग निर्वाचन-क्षेत्र से चुने गए थे। इसके बाद 1993 और 1996 में पुनः उसी निर्वाचन-क्षेत्र से उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए। 1997 में वे उत्तर प्रदेश राज्य सरकार के उत्तरांचल विकास मंत्री बनें। सन 2002 में उन्होंने उत्तरांचल विधान सभा के लिए थालिसियाँ निर्वाचन-क्षेत्र से चुनाव लड़ा पर वे हार गए। फिर 2007 में वे उसी निर्वाचन-क्षेत्र से उत्तराखण्ड विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए। इसके अलावा इनकी महत्त्वपूर्ण राजनीतिक यात्रा निम्न प्रकार हैं-

  • पृथक उत्‍तराखण्‍ड राज्‍य निर्माण हेतु सन् 1978 से संघर्षरत।
  • सन 1987 में उत्‍तराखण्‍ड प्रदेश संघर्ष समिति के केन्‍द्रीय प्रवक्‍ता चयनित हुए।
  • उत्‍तराखण्‍ड राज्‍य निर्माण में सक्रिय भूमिका ।
  • खासतौर से उधमसिंह नगरहरिद्वार को उत्‍तराखण्‍ड में मिलाए जाने में उल्‍लेखनीय योगदान ।
  • सन 1991, 1993 व 1996 में लगातार तीन बार कर्णप्रयाग, विधानसभा क्षेत्र से उत्‍तर प्रदेश की गौरवशाली विधानसभा हेतु निर्वाचित।
  • उत्‍तर प्रदेश विधानसभा की अनेक समितियों के सदस्‍य तथा अध्‍यक्ष नामित।
  • सन 1997 में अविभाजित उत्‍तर प्रदेश में पर्वतीय विकास विभाग के कैबिनेट मंत्री रहे।
  • सन 1998 में अविभाजित उत्‍तरप्रदेश में संस्‍कृति, पूत, धर्मस्‍व व कला विभाग के कैबिनेट मंत्री रहे।
  • 9 नवंबर, 2000 को उत्‍तराखण्‍ड प्रदेश के गठन के उपरान्‍त उत्‍तराखण्‍ड सरकार में वित्‍त, ग्रामीण विकास, पेयजल, चिकित्‍सा शिक्षा व राजस्‍व सहित बारह विभागों के कैबिनेट मंत्री रहे।
  • सन 2007 में थलीसैंण विधानसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर उत्‍तराखण्‍ड की गौरवशाली विधानसभा हेतु निर्वाचित।
  • 2007 में उत्‍तराखण्‍ड सरकार में स्‍वास्‍थ्‍य, परिवार कल्‍याण, आयुष, आयुष शिक्षा, विज्ञान व प्रौद्योगिकी एवं भाषा विभाग के केबिनेट मंत्री रहे।
  • 27 जून, 2009 को उत्‍तराखण्‍ड के पाँचवे यशस्‍वी मुख्‍यमंत्री पद पर आसीन।
  • वे उत्तराखंड के सबसे युवा मुख्यमंत्री हैं।

साहित्यिक पृष्‍ठभूमि

डॉ. रमेश पोखरियाल एक भारतीय राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ हिन्दी के साहित्यकार भी हैं। इन्होंने अनेक कविता, उपन्यास और कथा संग्रह लिखे। इनकी कृतियाँ का संग्रह निम्न प्रकार है-

कृतियों के नाम प्रकाशित वर्ष
समर्पण (कविता संग्रह) 1983
नवांकुर (कविता संग्रह) 1984
मुझे विधाता बनना है (कविता संग्रह) 1985
तुम भी मेरे साथ चलो (कविता संग्रह) 1986 (पुनर्संस्‍करण 2009)
देश हम जलने न देंगे (कविता संग्रह) 1988 (पुनर्संस्‍करण 2009)
बस एक ही इच्‍छा (कथा संग्रह) 1989 (पुनर्संस्‍करण 2008)
जीवन पथ में (कविता संग्रह) 1989 (पुनर्संस्‍करण 2009)
मातृभूमि के लिए (कविता संग्रह) 1992 (पुनर्संस्‍करण 2009)
क्‍या नहीं हो सकता (कथा संग्रह) 1993 (पुनर्संस्‍करण 2008)
भीड साक्षी है (कथा संग्रह) 1993 (पुनर्संस्‍करण 2008)
रोशनी की एक किरण (कथा संग्रह) 1996
मेरी व्‍यथा, मेरी कथा (शहीदों के पत्रों का संकलन) सम्‍पादन 1998
कोई मुश्किल नहीं (कविता संग्रह) 2005
प्रतीक्षा (कविता संग्रह) 2005
खड़े हुए प्रश्‍न (कथा संग्रह) 2006
ए वतन तेरे लिए (कविता संग्रह) 2007
विपदा जीवित है (कथा संग्रह) 2007
मेरे संकल्‍प (कथा संग्रह) 2008
एक और कहानी (कथा संग्रह) 2008
निशान्‍त (उपन्‍यास) 2008
मेजर निराला (उपन्‍यास) 2008
बीरा (उपन्‍यास) 2008
पहाड से ऊंचा (उपन्‍यास) 2008
हिमालय का महाकुम्‍भ – नन्‍दा राजजात यात्रा 2008
छूट गया पडाव (उपन्‍यास) 2009
मील के पत्‍थर (कथा संग्रह) 2009
टूटते दायरे (कथा संग्रह) 2009
संघर्ष जारी है (कविता संग्रह) 2009

पत्रकारिता व अन्य गतिविधियाँ

  • विगत तीस वर्षो से पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्यरत व 23 वर्षों से "दैनिक सीमान्‍त वार्ता" के प्रधान सम्‍पादक।
  • "नई चेतना" शोध संस्‍थान के संस्‍थापक निदेशक।
  • "नई राह नई चेतना" शोध पत्रिका के सम्‍पादक।
  • कई राष्‍ट्रीय व स्‍थानीय पत्र-पत्रिकाओं से सम्‍बद्व।
  • अनेक राष्‍ट्रीय एंव स्‍थानीय पत्र-पत्रिकाओं में निरन्‍तर कविताएं, कहानियां और लेख प्रकाशित।
  • परम हिमालय निधी न्‍यास के संस्‍थापक अध्‍यक्ष।
  • वर्तमान में दो दर्जन से अधिक सामाजिक, साहित्यिक, सांस्‍कृतिक संस्‍थाओं से जुडे हुए हैं।

सम्‍मान

  • देश हम जलनें न देंगे कृति हेतु तत्‍कालीन राष्‍ट्रपति श्री ज्ञानी जैल सिंह द्वारा राष्‍ट्रपति भवन में सम्‍मानित।
  • ‘मातृभूमि के लिए’ कृति हेतु तत्‍कालीन राष्‍ट्रपति डॉ. शंकर दयाल शर्मा द्वारा राष्‍ट्रपति भवन में सम्‍मानित।
  • ‘ऐ वतन तेरे लिए’ कृति के विमोचन के अवसर पर तत्‍कालीन राष्‍ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्‍दुल कलाम द्वारा राष्‍ट्रपति भवन में संस्‍कृति संस्‍था के सौजन्‍य से ‘साहित्‍य गौरव’’ सम्‍मान से सम्‍मानित।
  • अर्न्‍तराष्‍ट्रीय मुक्‍त विश्‍वविद्यालय, कोलम्‍बो (श्रीलंका) द्वारा आयुष के क्षेत्र में उल्‍लेखनीय कार्य हेतु दुनिया के 99 देशों के प्रतिनिधियों के मध्‍य सम्‍मान व ‘’डॉक्‍टर ऑफ साईन्‍स’’ की मानद उपाधि।
  • ‘राष्‍ट्रधर्मिता और कवि निशंक’ कृति के विमोचन अवसर पर तत्‍कालीन उपराष्‍ट्रपति श्री भैंरों सिंह शेखावत द्वारा सम्‍मानित।
  • ‘खड़े हुए प्रश्‍न’ कृति के विमोचन- अवसर पर भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेयी द्वारा ‘साहित्‍य भारती’ सम्‍मान।
  • ‘कोई मुश्किल नही’ कृति के विमोचन- अवसर पर प्रसिद्व् फिल्‍म निर्माता डॉ. रामानन्‍द सागर द्वारा ‘साहित्‍य चेता’ सम्‍मान।
  • राष्‍ट्रभक्ति से ओत-पोत रचनाओं हेतु राष्‍ट्रीय एवं अन्‍तर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर प्रख्‍यात महानुभावों एवं संस्‍थाओं द्वारा सम्‍मानित।
  • हैम्‍बर्ग विश्‍वविद्यालय जर्मनी के अतिरिक्‍त हॉलैण्‍ड, नॉर्वे, रूस सहित कई यूरोपीय देशों व विश्‍वविद्यालयों द्वारा साहित्‍य के क्षेत्र में उत्‍कृष्‍ट कार्य हेतु सम्‍मानित।
  • ‘भारत अर्न्‍तराष्‍ट्रीय मैत्री समिति’ द्वारा भारत गौरव सम्‍मान-2007
  • हिमालय लोक कला संस्‍थान, नई दिल्‍ली द्वारा साहित्‍य भूषण सम्‍मान।
  • उत्‍तराखण्‍ड उत्‍थान समिति, हरिद्वार द्वारा "गढ रत्‍न" सम्‍मान।
  • हिमालय रक्षा मंच, चण्‍डीगढ द्वारा "’हिमपुत्र" सम्‍मान।
  • उत्कृष्ट साहित्‍य सेवा के लिये अर्न्‍तराष्‍ट्रीय मुक्‍त विश्‍वविद्यालय, कोलम्‍बो (श्रीलंका) द्वारा ‘’डॉक्‍टर ऑफ लिटरेचर’’ सम्‍मान।
  • इनके अतिरिक्‍त देश-विदेश स्थित 300 से अधिक सामाजिक, सांस्‍कृतिक एवं साहित्यिक संस्‍थाओं द्वारा अनेक अवसरों पर सम्‍मानित।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ