राष्ट्रमंडल खेल

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  • राष्ट्रमण्डल खेल, ब्रिटिश राष्ट्रमण्डल देशों के अन्तर्गत आयोजित होने वाली खेल प्रतियोगिता है।
  • 19वें राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी नई दिल्ली को सौंपी गई है। इससे पहले भारत 1982 में एशियाई खेलों की मेजबानी कर चुका है। एशिया में भी यह 1998 के कुआलालमपुर, मलेशिया के बाद दूसरा बड़ा आयोजन है।

इतिहास

रिवरेंड एश्ले कूपर नाम के अंग्रेज़ अधिकारी ने ब्रिटिश हुकूमत वाले देशों में खेलों के एक महाआयोजन का विचार दिया था। उनका मानना था कि इससे इन देशों में खेल की भावना बढ़ेगी साथ ही लोगों के मन में ब्रिटिश हुकूमत के प्रति अच्छी भावना आएगी। इसके बाद सन 1928 में कनाडियाई मूल के एथीलिट बॉबी रॉबिनसन को पहले राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। यह खेल सन 1930 में ओंटारियो के हैमिलटन शहर में आयोजित किए गए थे, जिसमें ग्यारह देशों के 400 एथीलिटों ने हिस्सा लिया था। कनाडा इन खेलों का गवाह बना था। इसके बाद हर चौथे वर्ष राष्ट्रकुल खेलों का आयोजन किया जाने लगा था। सिर्फ दूसरे विश्व युद्ध के दौरान इनका आयोजन नहीं किया जा सका था। इन खेलों को कई नामों से जाना जाता था, जैसेः ब्रिटिश साम्राज्य खेल, मित्रता खेल तथा ब्रिटिश राष्ट्रकुल खेल। सन 1978 से इन खेलों को राष्ट्रकुल खेलों का स्थायी नाम दिया गया। सिर्फ एक प्रतिस्पर्धी खेलों का आयोजन रहने वाला यह समारोह कुआलालमपुर में आयोजित खेलों के बाद काफी बदल गया। 1998 में मलेशिया के कुआलालमपुर में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों में क्रिकेट, हॉकी तथा नेटबॉल जैसे अन्य प्रसिद्ध खेलों को भी इसमें पहली बार शामिल किया गया। 2001 से राष्ट्रकुल खेलों में मानवता, समानता तथा भाग्य को मूलमंत्र बना लिया गया। इन मूल्यों के आधार पर इन खेलों से हजारों लोगों को जोड़ने तथा इसे राष्ट्रमंडल के भीतर ही आयोजित करने के लिए व्यापक जनादेश चलाया गया।

क्वींस बैटन रिले

क्वींस बैटन रिले, राष्ट्रमंडल खेलों की आधिकारिक शुरुआत के तौर पर आयोजित की जाती है। इसकी शुरुआत 1958 में कार्डिफ से हुई थी। बैटन रिले इस बात का प्रतीक है कि सभी राष्ट्रकुल देश, खेलों के इस महाआयोजन में प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से शामिल हैं। बैटन रिले की शुरुआत लंदन के बकिंघम महल से की जाती है। एथलीट खिलाडियों के लिए महारानी एलीजाबेथ द्वितीय के संदेशयुक्त यह बैटन पहले मानद धावक को दी जाती है। यह बैटन रिले खेलों के शुभारंभ पर जाकर समाप्त होती है। इसके बाद इस बैटन को महारानी या उनके प्रतिनिधियों के हवाले कर दिया जाता है और उसमें रखा महारानी का संदेश सभी को सुनाया जाता है। इसी के साथ रिले दौड़ समाप्त होती है और राष्ट्रमंडल खेलों का शुभारंभ हो जाता है।

19वें राष्ट्रमंडल खेल

3 अक्टूबर से 14 अक्टूबर 2010 को होने वाले 19वें राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी नई दिल्ली को सौंपी गई है। विभिन्न खेलों के लिए आयोजित किया जाने वाला यह अब तक का सबसे बड़ा आयोजन है। भारत पूरे तीन दशकों बाद ऐसे किसी आयोजन का मेजबान बनने जा रहा है। इससे पहले भारत 1982 में एशियाई खेलों की मेजबानी कर चुका है खेलों का शुभारंभ दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम से किया जाएगा। क्वींस बैटन रिले दिल्ली 2010 की शुरुआत 29 अक्टूबर 2009 में लंदन में हुई थी, जब भारत के ओलिंपिक स्वर्ण पदक विजेता अभिनव बिंद्रा को यह बैटन दी गई थी। यह रिले 340 दिनों में अपना सफर पूरा करके नई दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम पहुंचकर समाप्त होगी। इसी स्टेडियम में 19वें राष्ट्रमंडल खेलों की शुरुआत 3 अक्टूबर, 2010 से होगी। इस दौरान बैटन, दुनिया के एक तिहाई देशों से होते हुए 190,000 किलोमीटर से ज्यादा की दूरी तय करेगा। बैटन का यह सफर परिवहन के हर संभव माध्यम जैसे हवा, पानी और जमीन के रास्ते से होते हुए हजारों हाथों से गुजरेगा। यह मैराथन 240 दिनों में 70 देशों से होते हुए भारत पहुंचेगा और यहां पर यह पूरे 100 दिनों तक देश के सभी राज्यों की राजधानी तथा केंद्र शासित राज्यों से होते हुए अंततः आयोजन स्थल दिल्ली पहुंचेगा। क्वींस बैटन 2010 दिल्ली को भारतीयता के भाव, सद्भाव, विकास तथा विविधता के रंग में रंगा गया है। इसे हस्तशिल्प तथा उन्नत किस्म की इंजीनियरिंग व तकनीक का इस्तेमाल करके बनाया गया है। यह बैटन एल्यूमीनियम से त्रिकोणकार बनाई गई है। इसे हेलिक्स के रूप में ऊपर से मोड़ा गया है। इस पर भारत के सभी कोनों में मिलने वाली मिट्टी के रंग का लेपन भी किया गया है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ