गोवा
गोवा
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राजधानी | पणजी |
राजभाषा(एँ) | कोंकणी भाषा, मराठी भाषा |
स्थापना | 1987/05/03 |
जनसंख्या | 1347668 |
· घनत्व | 363 /वर्ग किमी |
क्षेत्रफल | 3,702sqkm |
भौगोलिक निर्देशांक | 15.493°N 73.818°E |
· ग्रीष्म | 35 °C |
· शरद | 20 °C |
ज़िले | 2 |
सबसे बड़ा नगर | पणजी |
महानगर | वास्कोडिगामा |
मुख्य पर्यटन स्थल | कोलावा,कालनगुटे, वागाटोर, बागा, हरमल, अंजुना |
लिंग अनुपात | 1000:960 ♂/♀ |
साक्षरता | 82.32% |
· स्त्री | 88.88% |
· पुरुष | 75.51% |
राज्यपाल | शिविंदर सिंह सिद्धु |
मुख्यमंत्री | दिगंबर कामथ |
विधानसभा सदस्य | 40 |
राज्यसभा सदस्य | 1 |
बाहरी कड़ियाँ | अधिकारिक वेबसाइट |
अद्यतन | 16:21, 4 अप्रॅल 2010 (IST)
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गोवा भारतीय प्रायद्वीप के पश्चिमी तट पर स्थित है। गोवा क्षेत्रफल में भारत का सबसे छोटा और जनसंख्या के हिसाब से दूसरा सबसे छोटा राज्य है। पूरी दुनिया में गोवा अपने ख़ूबसूरत समुद्र के किनारों और मशहूर स्थापत्य कला के लिये जाना जाता है। गोवा राज्य, उत्तर में महाराष्ट्र राज्य, पूर्व व दक्षिण में कर्नाटक राज्य और पश्चिम में अरब सागर से घिरा है और पणजी गोवा की राजधानी है। गोवा का क्षेत्रफल 3,702 वर्ग किलोमीटर है, यह समुद्र तट की ओर एक द्वीपयुक्त शहर है, जो मुंबई से 400 किलोमीटर की दूरी पर दक्षिण में मुख्यभूमि में स्थित है।
गोवा पहले पुर्तग़ाल का एक उपनिवेश था। पुर्तग़ालियों ने गोवा पर लगभग 450 साल तक शासन किया और दिसंबर 1961 में यह भारतीय प्रशासन को सौंपा दिया गया। और सन 1987 ई. से गोवा को राज्य का दर्जा मिला। इसके उत्तर में तेरेखोल नदी बहती है जो गोवा को महाराष्ट्र से अलग करती है। इसके दक्षिण में कर्नाटक का उत्तर कन्नड़ ज़िला और पूर्व में पश्चिमी घाट और पश्चिम में अरब सागर है। पणजी, मड़गांव, वास्को, मापुसा, तथा पोंडा राज्य के प्रमुख शहर हैं।
उल्लेख
महाभारत में गोवा का उल्लेख 'गोपराष्ट्र' अर्थात 'गाय चराने वालों का देश' के रूप में मिलता है। दक्षिण कोंकण का उल्लेख गोवा राष्ट्र के रूप में मिलता है। संस्कृत के कुछ प्राचीन स्त्रोतों में गोवा को 'गोपकपुरी' और 'गोपकपट्टन' कहा गया है जिनका उल्लेख अन्य ग्रंथों के अलावा 'हरिवंशम्' और स्कन्द पुराण में प्राप्त होता है। गोवा को बाद में कहीं कहीं 'गोअंचल' भी कहा गया है। अन्य नामों में गोवे, गोवापुरी, गोप का पाटन, और गोमंत प्रमुख हैं। टॉलमी ने गोवा का उल्लेख ईस्वी सन 200 के लगभग 'गोउबा' के रूप में किया है।
अरब के मध्ययुगीन यात्रियों ने इसे 'चंद्रपुर' और 'चंदौर' का नाम दिया है जो मुख्य रूप से एक तटीय नगर था। जिस स्थान का नाम पुर्तग़ालियों ने गोवा रखा वह आज का छोटा सा समुद्र तटीय शहर 'गोअ-वेल्हा' है। कालान्तर में उस क्षेत्र को गोवा कहा जाने लगा जिस पर पुर्तग़ालियों ने क़ब्ज़ा किया।
रचना
जनश्रुति के अनुसार गोवा जिसमें कोंकण क्षेत्र भी है और जिसका विस्तार गुजरात से केरल तक माना जाता है, की रचना परशुराम ने की थी। कहावत है कि परशुराम ने एक यज्ञ के दौरान अपने बाणों की वर्षा से समुद्र को कई स्थानों पर पीछे धकेल दिया था। लोगों का कहना है कि इसी वजह से आज भी गोवा में बहुत से स्थानों का नाम वाणावली, वाणस्थली इत्यादि हैं। उत्तरी गोवा में हरमल के पास आज भी भूरे रंग के एक पर्वत को परशुराम के यज्ञ करने का स्थान माना जाता है।
इतिहास और भूगोल
गोवा प्राचीनकाल में गोमांचल, गोपकपट्टनम, गोपपुरी, और गोमांतक आदि कई नामों से विख्यात रहा है। इस प्रदेश की लंबी ऐतिहासिक परंपरा रही है।
ईसा पूर्व पहली शताब्दी में गोवा सातवाहन साम्राज्य का इस पर शासन रहा। 14वीं शताब्दी के अंत में यादवों का साम्राज्य समाप्त हुआ और दिल्ली के ख़िलजी वंश ने इस पर अपना अधिकार किया। इस प्रकार गोवा मुस्लिम शासकों के अधीन रहा। सन 1489 में वास्कोडिगामा द्वारा भारत के लिए समुद्री मार्ग की खोज के बाद पुर्तग़ाली यात्री भारत पहुँचे। सन 1510 में एल्फांसो द अलबुकर्क ने विजयनगर के सम्राट की सहायता से गोवा पर आक्रमण करके इस पर क़ब्ज़ा कर लिया। सन 1542 में जेसुइट संत फ्रांसिस जेवियर के आगमन से गोवा में धर्म परिवर्तन आरंभ हुआ। 17 वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध के कुछ वर्षो को छोड़कर, जब शिवा जी ने गोवा और उसके आसपास के क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया था, पूरे क्षेत्र पर पुर्तग़ालियों का शासन रहा। भारत के स्वतंत्र होने पर भी गोवा पुर्तग़ालियों के ही अधिकार में रहा। अंतत: 19 दिसंबर, 1961 को गोवा को मुक्त कर दिया गया और इसे दमन और दीव के साथ मिलाकर केंद्रशासित प्रदेश बनाया गया। 30 मई, 1987 को गोवा को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला और दमन तथा दीव को अलग केंद्रशासित प्रदेश बना दिया गया।
पश्चिमी समुद्र तट पर स्थित भूतपूर्व पुर्तग़ाली बस्ती जो 1961 से भारत का अभिन्न अंग बन गई। गोआ अतिप्राचीन नगर है। इसका उल्लेख पुराणों तथा अन्य प्राचीन ग्रंथों से भी प्राप्त होता है जहाँ पर इसके कई नाम मिलते हैं—जैसे, गोव, गोवापुरी, गोराष्ट्र, गोपकवन और गोमंतक। गोआ के इतिहास से विदित होता है कि यहाँ पर दक्षिण के प्रसिद्ध कदम्ब नामक राजवंश का अधिकार द्वितीय शती ई. से 1312 ई. तक था। तत्पश्चात् उत्तरी भारत से आने वाले मुसलमान आक्रमणकारियों ने इस पर आधिपत्य स्थापित कर लिया। उनका राज्य यहाँ 1370 ई. तक रहा, जब गोआ विजयनगर साम्राज्य के अंतर्गत कर लिया गया। 1402 ई. में बहमनी राज्य के विघटित हो जाने पर यूसूफ़ आदिलशाह ने गोआ को बीजापुर रियासत में मिला लिया। इस समय गोआ की गणना पश्चिमी समुद्र तट के प्रसिद्ध व्यापारिक केन्द्रों में होती थी। विशेषकर हुरमुज (ईरान) से भारत आने वाले ईरानी घोड़े गोआ के बंदरगाह पर ही उतरते थे। हज यात्रियों के अरब जाने के लिए भी यही एक बंदरगाह था। इस समय व्यापारिक महत्व की दृष्टि से केवल कालीकट को ही गोआ के समकक्ष समझा जाता था। अरब भौगोलिकों ने गोआ को सिकन्दर या संदाबूर नाम से लिखा है। पुर्तगाली इसे गोआ वेल्हा कहते थे। 1498 ई. में पुर्तगाली नाविक वास्कोडिगामा के कालीकट पर उतरने के पश्चात् पुर्तगालियों ने भारत के पश्चिमी तटवर्ती अनेक स्थानों पर अपना अधिकार कर लिया। 1510 ई. में पुर्तगाली गवर्नर अलबुकर्क ने इस नगर पर आक्रमण करके उसे हस्तगत कर लिया। यूसूफ़ आदिलशाह के बारम्बार पुर्तगालियों से मोर्चा लेते रहने पर भी अन्त में गोआ पुर्तगालियों के क़ब्ज़े में आ गया। इसी काल में इन लोगों का भारत के पश्चिमी तट के अनेक स्थानों पर अधिकार हो गया, किन्तु उन्हें डच, अंग्रेज़ों तथा मराठों का सामना करना था। पुर्तगाली बस्तियों पर 1603 ई. में डचों ने हमला किया। 1683 ई. में शिवाजी के पुत्र शंभाजी ने सालसट इत्यादि स्थानों पर आक्रमण करके पुर्तगालियों को बहुत हानि पहुँचाई। 1739 ई. में मराठा सरदार चिमनाजी आपा ने पुर्तगाली राज्य पर ज़ोर का आक्रमण किया और उसका अधिकांश जीत लिया। इसका एक भाग तत्पश्चात् अंग्रेज़ों के हाथ में चला गया। गोआ पुर्तगाल की अवशिष्ट बस्तियों में से एक था और यह स्थिति 1961 तक रही, जब भारत ने अपने इस अभिन्न अंग को साढ़े चार सौ वर्ष के विजातीय शासन के पश्चात् पुनः अपना लिया।
गोवा का प्राचीन हिन्दू शहर, जिसके अवशेष का एक अंश ही बचा हुआ है, का निर्माण द्वीप के सुदूर दक्षिणी बिन्दु पर हुआ था और यह आरम्भिक हिन्दू दन्तकथाओं और इतिहास में प्रसिद्ध था। पुराणों और अभिलेखों में इसका नाम गोवे, गोवपुरी व गोमत के रूप में आता है। मध्यकालीन अरबी भूगोलविद् इसे सिंदाबूर या संदाबूर के नाम से और पुर्तगाली वेल्हा गोवा के रूप में जानते थे। दूसरी शताब्दी से 1312 तक इस पर कदम्ब वंश और 1312 से 1367 तक दक्कन के मुस्लिम आक्रमणकारियों का शासन रहा। इसके बाद इस पर विजयनगर के हिन्दू साम्राज्य का क़ब्ज़ा हो गया और बाद में बहमनी वंश ने इसे जीत लिया, जिन्होंने 1440 में पुराने गोवा की स्थापना की। 1482 के बाद बहमनी राज्य के विभाजन के बाद गोवा बीजापुर के मुस्लिम शासक यूसूफ़ आदिल ख़ाँ के अधीन आ गया, जो पुर्तगालियों के भारत आगमन के समय इसके शासक थे। इस शहर पर मार्च 1510 में अल्फ़ांसो दे अल्बुक़र्क़ के नेतृत्व में पुर्तगालियों का आक्रमण हुआ। गोवा बिना किसी संघर्ष के पुर्तगालियों के क़ब्ज़े में आ गया और अल्बुक़र्क़ ने एक विजेता की तरह इस शहर में प्रवेश किया। तीन महीने के बाद यूसूफ़ आदिल ख़ाँ 60 हज़ार की सेना लेकर वापस लौटे और बंदरगाह के मार्ग पर क़ब्ज़ा कर लिया और पुर्तगालियों को मई से अगस्त तक अपने जहाज़ों पर रुकने पर मज़बूर कर दिया, इसके बाद ही मानसून की समाप्ति के कारण वे वापस समुद्र में पहुँच सके। नवम्बर में अल्बुक़र्क़ ज़्यादा बड़ी सेना के साथ लौटे और एक दुःसाहसी प्रतिरोध पर विजय प्राप्त कर उन्होंने शहर पर पुनः क़ब्ज़ा कर लिया और सभी मुसलमानों को मार डाला तथा एक हिन्दू तिमोजा को गोवा का प्रशासक नियुक्त किया। गोवा पुर्तगालियों का एशिया में पहला क्षेत्रीय क़ब्ज़ा था। अल्बुक़र्क़ और उनके उत्तराधिकारियों ने द्वीप के 30 ग्रामीण समुदाय के संविधान और रीति-रिवाज़ों में लगभग किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं किया, सिवाय सती प्रथा के, जिसे उन्होंने समाप्त कर दिया। गोवा पूर्व दिशा में समूचे पुर्तगाली साम्राज्य की राजधानी बन गया। इसे लिस्बन के समान नागरिक अधिकार दिए गए और 1575 से 1600 के बीच यह उन्नति के सर्वोच्च शिखर पर पहुँचा। इसके बाद भारतीय सीमा में डच आगमन के साथ गोवा का पतन होने लगा। 1603 और 1639 में डच बेड़े के द्वारा घेर लिया गया, हालाँकि इस पर कभी क़ब्ज़ा नहीं हो सका और 1635 में एक महामारी के कारण तबाह हो गया। 1683 में मुग़ल सेना ने इसे मराठा आक्रमणकारियों के क़ब्ज़े में जाने से बचाया और 1739 में पूरे क्षेत्र पर इन्हीं आक्रमणकारियों का हमला हुआ और नए वाइसराय के बेड़े के अनपेक्षित आगमन के कारण ही बच सका। प्रशासन के मुख्यालय को पहले मोर्मूगाँव (वर्तमान मर्मगाँव) और फिर 1759 में पंजिम (अब पणजी) ले जाया गया। स्थानीय निवासियों के पुराने गोवा से नए गोवा को प्रवास का मुख्य कारण हैज़ा नामक महामारी थी। 1695 और 1775 के बीच पुराने गोवा की जनसंख्या 20,000 से 1,600 के बीच झूलती रही और 1835 में इस शहर में केवल कुछ पादरी, नन और गिरजाघरवासी ही रह गए। 19वीं सदी में नेपोलियन के पुर्तगाल पर क़ब्ज़े के कारण 1809 में अंग्रेज़ों का अस्थायी अधिकार; कान्डे डि टोरेस नोवास का गवर्नर काल (1855-1864), जिन्होंने कई सुधारों की शुरुआत की और शताब्दी के दूसरे अर्द्धांश में हुए सैनिक विद्रोह जैसी घटनाओं ने यहाँ की बस्तियों को प्रभावित किया। इनमें सबसे महत्वपूर्ण 3 दिसम्बर 1895 में हुआ विद्रोह है, जिसने पुर्तगाल को एक अभियान दल भेजने पर मज़बूर कर दिया। इस अभियान दल के साथ आए अल्फ़ांसो हेनरीक्स डुक्यू डि ओपार्टो ने मार्च से मई 1896 मे गवर्नर के अधिकारों का प्रयोग किया। 1948 और 1949 में भारत के गोवा पर दावे के बाद पुर्तगाल पर गोवा और इस उपमहाद्वीप में उसके अन्य सम्पत्तियों को छोड़ने का दबाव बढ़ता गया। 1954 के मध्य में गोवा के राष्ट्रवादियों ने दादरा और नगर हवेली की बस्तियों पर क़ब्ज़ा कर लिया और भारत समर्थक प्रशासन की स्थापना की। एक अन्य संकट की घड़ी तब आई, जब भारत के सत्याग्रहियों (अहिंसक प्रदर्शनकारी) ने गोवा में घुसने का प्रयास किया। पहले पहल तो सत्याग्रहियों को वापस भेज दिया गया, लेकिन बाद में, जब बहुत ज़्यादा संख्या में लोगों ने सीमा पार करने का प्रयत्न किया, तो पुर्तगाली अधिकारियों को बल का प्रयोग करना पड़ा और कई मौतें हुई। इससे 18 अगस्त 1955 को पुर्तगाल और भारत के बीच राजनीतिक सम्बन्ध टूट गए। भारत और पुर्तगाल के बीच तनाव 18 सितम्बर 1961 को अपने चरम पर पहुँचा और नौसेना एवं वायुसेना की मदद से भारतीय सेना ने गोवा, दमन और दीव पर क़ब्ज़ा कर लिया। 1962 में संविधान संशोधन द्वारा पुर्तगाली भारत को भारतीय गणराज्य मे शामिल कर लिया गया। जनसंख्या (2001) राज्य कुल 13,43,998; ग्रामीण 6,75,129; शहरी 6,68,869 ।
कृषि
यहाँ की मुख्य खाद्य फ़सल चावल हैं। इसके अतिरिक्त दालें, रागी और अन्य खाद्य फ़सलें भी उगाई जाती हैं। नारियल, काजू, सुपारी तथा गन्ने जैसी नकदी फ़सलों के साथ-साथ यहाँ अनन्नास, आम और केला भी होता है। राज्य में 1,424 वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में घने वन हैं।
सिचाई और बिजली
राज्य में 'सेलाउलिम' और 'अंजुनेम' जैसे बांधों और अन्य लघु सिंचाई परियोजनाओं के होने से सिंचित क्षेत्र बढ़ता जा रहा है। इन परियोजनाओं से अब तक कुल 43,000 हेक्टेयर की सिंचाई क्षमता उपलब्ध हो सकी है। राज्य के सभी गांवों में बिजली पहुँचाई जा चुकी है और शत-प्रतिशत विद्युतीकरण का लक्ष्य प्राप्त किया जा चुका है।
उद्योग तथा खनिज
- राज्य में लघु उद्योगों की संख्या 7110 है।
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- 20 औद्योगिक परिसर हैं। राज्य के खनिज उत्पादों में फैरो मैंगनीज, बॉक्साइट, लौह-अयस्क आदि शामिल हैं और इनके निर्यात से राज्य की अर्थवस्था में महत्वपूर्ण योगदान मिलता है।
परिवहन
- राज्य में राष्ट्रीय राजमार्गों की लंबाई 224 किलोमीटर तथा प्रांतीय राजमार्गों की लंबाई 232 किलोमीटर है। इसके अलावा 815 किलोमीटर ज़िला मार्ग हैं।
- गोवा कोंकण रेलवे के माध्यम से मुंबई, मंगलोर और तिरुवनंतपुरम से जुड़ा है। इस रेलमार्ग पर अनेक तेज-रफ्तार रेलगाडियां शुरू की गई हैं। वास्कोडिगामा दक्षिण मध्य रेलवे के बैंगलौर और बेलगांव स्टेशनों से जुड़ा है। इस मार्ग का प्रयोग माल यातायात के लिए होता है।
- डबोलिम हवाई अड्डे से मुंबई, दिल्ली, तिरुवनंतपुरम, कोच्चि, चेन्नई, अगाती और बैंगलौर के लिए नियमित विमान सेवाएं हैं।
- मरमुगांव राज्य का प्रमुख बंदरगाह है। यहाँ मालवाहक जहाजों के लिए सुविधाएं उपलब्ध है। इसके अलावा पणजी, तिराकोल, चपोरा बेतूल और तालपोना में भी छोटे बंदरगाह हैं, मगर इनमें से पणजी प्रमुख व्यस्त बंदरगाह है। यहाँ जहाजों के लिए एक पत्तन (पोर्ट) भी प्रारम्भ हो गया है।
पर्यटन स्थल
- अंजुना बीच गोवा
- बेसिलिका ऑफ बॉम जीसस
- गोवा के महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल हैं- कोलावा,कालनगुटे, वागाटोर, बागा, हरमल, अंजुना और मीरामार समुद्र तट:,
- पुराने गोवा में बैसीलिका ऑफ बोम जीसस और से-केथेड्रल चर्च;
- कावलेम, मारडोल, मंगेशी तथा बनडोरा मंदिर;
- अगुडा तेरेखोल, चपोरा और काबो डि रामा किले;
- प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध दूधसागर और हरवालेम जलप्रपात तथा माएम झील हैं।
- राज्य में समृद्ध वन्यप्राणी उद्यान हैं, जैसे- बोंडला, कोटीगांव तथा मोलेम वन्यप्राणी उद्यान और चोराव में डा. सलीम अली पक्षी उद्यान, जिसका कुल क्षेत्रफल 354 वर्ग किलोमीटर है।
ज़िले
गोवा राज्य 2 जिलों में विभाजित है, जिनका क्षेत्रफल, जनसंख्या इस प्रकार है-
- उत्तरी गोवा - क्षेत्रफल 1,736 वर्ग कि.मी.- जनसंख्या 758,573 (2001 जनगणना के अनुसार) और मुख्यालय पणजी है।
- दक्षिणी गोवा - क्षेत्रफल 1,966 वर्ग कि.मी.- जनसंख्या 589,095 (2001 जनगणना के अनुसार) और मुख्यालय मारगांव है।
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बाहरी कडियाँ
वीथिका
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अंजुना बीच, गोवा
Anjuna Beach, Goa -
अगुडा क़िला, गोवा
Aguada Fort, Goa -
अंजुना बीच, गोव
Anjuna Beach, Goa -
चपोरा क़िला, गोवा
Chapora Fort, Goa -
अंजुना बीच, गोवा
Anjuna Beach, Goa -
मंगेशी मन्दिर, गोवा
Mangeshi Temple, Goa -
दूधसागर झरना, गोवा
Dudhsagar Waterfall, Goa -
गोवा विश्वविद्यालय
Goa University
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