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12:07, 8 जनवरी 2011 के समय का अवतरण
विवरण (Description) | रसखान के दोहे महावन, मथुरा |
दिनांक (Date) | वर्ष - 2009 |
प्रयोग अनुमति (Permission) | © brajdiscovery.org |
अन्य विवरण | हिन्दी साहित्य में कृष्ण भक्त तथा रीतिकालीन कवियों में रसखान का महत्त्वपूर्ण स्थान है। 'रसखान' को रस की ख़ान कहा जाता है। इनके काव्य में भक्ति, श्रृगांर रस दोनों प्रधानता से मिलते हैं। रसखान कृष्ण भक्त हैं और प्रभु के सगुण और निर्गुण निराकार रूप के प्रति श्रद्धालु हैं। रसखान के सगुण कृष्ण लीलाएं करते हैं। |
फ़ाइल का इतिहास
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दिनांक/समय | अंगुष्ठ नखाकार (थंबनेल) | आकार | प्रयोक्ता | टिप्पणी | |
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वर्तमान | 15:42, 19 मार्च 2010 | 1,200 × 902 (250 KB) | Maintenance script (चर्चा | योगदान) | Importing image file |
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फ़ाइल का उपयोग
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- कला-संस्कृति और धर्म सामान्य ज्ञान 114
- चयनित लेख
- पहेली 23 अगस्त 2015
- पहेली अगस्त 2015
- पिहानी
- ब्रजभाषा
- रसखान
- रसखान- व्यंजना शक्ति
- रसखान का दर्शन
- रसखान का प्रकृति वर्णन
- रसखान का भक्तिरस
- रसखान का भाव-पक्ष
- रसखान का रस संयोजन
- रसखान का वात्सल्य रस
- रसखान का शांतरस
- रसखान का श्रृंगार रस
- रसखान की भक्ति-भावना
- रसखान की भाषा
- रसखान के मुक्तक
- रसखान व्यक्तित्व और कृतित्व