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इसके अतिरिक्त बेलन नहर प्रणाली, तुमरिया जलाशय ([[नैनीताल]]), ललितपुर नहर प्रणाली, केन नहर प्रणाली, सपरार, अर्जुन एवं कबरई बाँध की नहरों का विस्तार किया गया है। बौर (नैनीताल), पिलीभीत जलाशय (नैनीताल), [[चित्तौड़गढ़]] (गोंडा), चितिया (गोंडा), भूसाखण्ड ([[वाराणसी]]), टकिया ([[बहराइच]]), बहमुल (नैनीताल), सेवती ([[मिर्ज़ापुर]]), नवलगढ़ (गोंडा) एवं तुण्दपारी ([[इलाहाबाद]]) जलाशय भी निर्मित किए गए हैं। इनसे नहरें निकालकर सिंचाई की जाती है।  
 
इसके अतिरिक्त बेलन नहर प्रणाली, तुमरिया जलाशय ([[नैनीताल]]), ललितपुर नहर प्रणाली, केन नहर प्रणाली, सपरार, अर्जुन एवं कबरई बाँध की नहरों का विस्तार किया गया है। बौर (नैनीताल), पिलीभीत जलाशय (नैनीताल), [[चित्तौड़गढ़]] (गोंडा), चितिया (गोंडा), भूसाखण्ड ([[वाराणसी]]), टकिया ([[बहराइच]]), बहमुल (नैनीताल), सेवती ([[मिर्ज़ापुर]]), नवलगढ़ (गोंडा) एवं तुण्दपारी ([[इलाहाबाद]]) जलाशय भी निर्मित किए गए हैं। इनसे नहरें निकालकर सिंचाई की जाती है।  
  
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11:37, 10 जनवरी 2011 का अवतरण

नहरों के वितरण एवं विस्तार क दृष्टि से उत्तर प्रदेश का अग्रणीय स्थान है। यहाँ की कुल सिंचित भूमि का लगभग 30 प्रतिशत भाग नहरों के द्वारा सिंचित होता है। यहाँ की नहरें भारत की प्राचीनतम नहरों में से एक हैं। प्रदेश की प्रमुख नहरें निम्नलिखित हैं:-

इसके अतिरिक्त बेलन नहर प्रणाली, तुमरिया जलाशय (नैनीताल), ललितपुर नहर प्रणाली, केन नहर प्रणाली, सपरार, अर्जुन एवं कबरई बाँध की नहरों का विस्तार किया गया है। बौर (नैनीताल), पिलीभीत जलाशय (नैनीताल), चित्तौड़गढ़ (गोंडा), चितिया (गोंडा), भूसाखण्ड (वाराणसी), टकिया (बहराइच), बहमुल (नैनीताल), सेवती (मिर्ज़ापुर), नवलगढ़ (गोंडा) एवं तुण्दपारी (इलाहाबाद) जलाशय भी निर्मित किए गए हैं। इनसे नहरें निकालकर सिंचाई की जाती है।


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