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− | {[[आचार्य रामचन्द्र शुक्ल]] कृत 'हिन्दी साहित्य का इतिहास' की अधिकांश सामग्री पुस्तकाकार प्रकाशन के पूर्व 'हिन्दी शब्द- सागर की भूमिका में छपी थी। इस भूमिका में उसका शीर्षक था? | + | {[[आचार्य रामचन्द्र शुक्ल]] कृत 'हिन्दी साहित्य का इतिहास' की अधिकांश सामग्री पुस्तकाकार प्रकाशन के पूर्व 'हिन्दी शब्द- सागर' की भूमिका में छपी थी। इस भूमिका में उसका शीर्षक था? |
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- [[हिन्दी]] साहित्य का उद्भव और विकास | - [[हिन्दी]] साहित्य का उद्भव और विकास | ||
− | +हिन्दी साहित्य का विकास | + | + हिन्दी साहित्य का विकास |
- हिन्दी साहित्य का विकासात्मक इतिहास | - हिन्दी साहित्य का विकासात्मक इतिहास | ||
− | -हिन्दी साहित्य की विकास यात्रा | + | - हिन्दी साहित्य की विकास यात्रा |
− | { | + | {[[अवधी भाषा]] के सर्वाधिक लोकप्रिय महाकाव्य का नाम है? |
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− | -[[ | + | -पद्मावत |
− | + | -मधुमालती | |
− | + | -मृगावती | |
− | -[[ | + | +[[रामचरितमानस]] |
− | + | || [[चित्र:Tulsidas.jpg|right|100px|गोस्वामी तुलसीदास]] 'रामचरितमानस' [[तुलसीदास]] की सबसे प्रमुख कृति है। इसकी रचना संम्वत 1631 ई. की [[रामनवमी]] को [[अयोध्या]] में प्रारम्भ हुई थी किन्तु इसका कुछ अंश [[काशी]] (वाराणसी) में भी निर्मित हुआ था, यह इसके [[किष्किन्धा काण्ड वा. रा.|किष्किन्धा काण्ड]] के प्रारम्भ में आने वाले एक सोरठे से निकलती है, उसमें काशी सेवन का उल्लेख है। इसकी समाप्ति संम्वत 1633 ई. की मार्गशीर्ष, शुक्ल 5, रविवार को हुई थी किन्तु उक्त तिथि गणना से शुद्ध नहीं ठहरती, इसलिए विश्वसनीय नहीं कही जा सकती। यह रचना [[अवधी भाषा|अवधी बोली]] में लिखी गयी है। इसके मुख्य छन्द चौपाई और दोहा हैं, बीच-बीच में कुछ अन्य प्रकार के भी छन्दों का प्रयोग हुआ है। प्राय: 8 या अधिक अर्द्धलियों के बाद दोहा होता है और इन दोहों के साथ कड़वक संख्या दी गयी है। इस प्रकार के समस्त कड़वकों की संख्या 1074 है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[रामचरितमानस]] | |
{"जिस कालखण्ड के भीतर किसी विशेष ढंग की रचनाओं की प्रचुरता दिखाई पड़ी है, वह एक अलग काल माना गया है और उसका नामकरण उन्हीं रचनाओं के अनुसार किया गया है" यह मान्यता किस इतिहासकार की है? | {"जिस कालखण्ड के भीतर किसी विशेष ढंग की रचनाओं की प्रचुरता दिखाई पड़ी है, वह एक अलग काल माना गया है और उसका नामकरण उन्हीं रचनाओं के अनुसार किया गया है" यह मान्यता किस इतिहासकार की है? | ||
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− | -[[डॉ. श्यामसुन्दर दास]] | + | - [[डॉ. श्यामसुन्दर दास]] |
− | +[[आचार्य रामचन्द्र शुक्ल]] | + | + [[आचार्य रामचन्द्र शुक्ल]] |
− | -[[डॉ. हजारीप्रसाद द्विवेदी]] | + | - [[डॉ. हजारीप्रसाद द्विवेदी]] |
− | -[[रामविलास शर्मा|डॉ. रामविलास शर्मा]] | + | - [[रामविलास शर्मा|डॉ. रामविलास शर्मा]] |
{[[हजारी प्रसाद द्विवेदी|आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी]] के उस इतिहास ग्रंथ का नाम बतलाइए जिसमें मात्र आदिकालीन हिन्दी साहित्य सम्बन्धी सामग्री संग्रहीत है? | {[[हजारी प्रसाद द्विवेदी|आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी]] के उस इतिहास ग्रंथ का नाम बतलाइए जिसमें मात्र आदिकालीन हिन्दी साहित्य सम्बन्धी सामग्री संग्रहीत है? | ||
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− | -[[हिन्दी]] साहित्य की भूमिका | + | - [[हिन्दी]] साहित्य की भूमिका |
− | -हिन्दी साहित्य उद्भव और विकास | + | - हिन्दी साहित्य उद्भव और विकास |
− | -मध्यकालीन धर्मसाधना | + | - मध्यकालीन धर्मसाधना |
− | +हिन्दी साहित्य का आदिकाल | + | + हिन्दी साहित्य का आदिकाल |
{[[आचार्य रामचन्द्र शुक्ल]] ने किन दो प्रमुख तथ्यों को ध्यान में रखकर 'हिन्दी साहित्य के इतिहास' के काल खण्डों का नामकरण किया है? | {[[आचार्य रामचन्द्र शुक्ल]] ने किन दो प्रमुख तथ्यों को ध्यान में रखकर 'हिन्दी साहित्य के इतिहास' के काल खण्डों का नामकरण किया है? | ||
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− | -ग्रंथों की प्रसिद्धि | + | - ग्रंथों की प्रसिद्धि |
− | +ग्रंथों की प्रचुरता एवं ग्रंथों की प्रसिद्धि | + | + ग्रंथों की प्रचुरता एवं ग्रंथों की प्रसिद्धि |
− | -ग्रंथों की उपलब्धता | + | - ग्रंथों की उपलब्धता |
− | -रचनाकारों की संख्या | + | - रचनाकारों की संख्या |
{इनमें किस इतिहासकार ने सर्वप्रथम रीतिकालीन कवियों के सर्वाधिक परिचयात्मक विवरण दिए है? | {इनमें किस इतिहासकार ने सर्वप्रथम रीतिकालीन कवियों के सर्वाधिक परिचयात्मक विवरण दिए है? | ||
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− | -डॉ. विश्वनाथ प्रसाद मिश्र | + | - डॉ. विश्वनाथ प्रसाद मिश्र |
− | -डॉ. नगेन्द्र | + | - डॉ. नगेन्द्र |
− | -डॉ.रामशंकर शुक्ल 'रसाल' | + | - डॉ.रामशंकर शुक्ल 'रसाल' |
− | +मिश्रबन्धु | + | + मिश्रबन्धु |
{'हिन्दी साहित्य का अतीत: भाग- एक' के लेखक का नाम है? | {'हिन्दी साहित्य का अतीत: भाग- एक' के लेखक का नाम है? | ||
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− | -[[आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी]] | + | - [[आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी]] |
− | +डॉ. विश्वनाथ प्रसाद मिश्र | + | + डॉ. विश्वनाथ प्रसाद मिश्र |
− | -डॉ. माताप्रसाद गुप्त | + | - डॉ. माताप्रसाद गुप्त |
− | -डॉ. विद्यानिवास मिश्र | + | - डॉ. विद्यानिवास मिश्र |
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{प्रेम लक्षणा भक्ति को किस भक्ति शाखा ने अपनी साधना का मुख्य आधार बनाया है? | {प्रेम लक्षणा भक्ति को किस भक्ति शाखा ने अपनी साधना का मुख्य आधार बनाया है? |
14:04, 11 जनवरी 2011 का अवतरण
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