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<div align="center" style="color:#34341B;">'''[[प्रेमचंद|मुंशी प्रेमचंद]]'''</div>
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<div align="center" style="color:#34341B;">'''[[रबीन्द्रनाथ ठाकुर]]'''</div>
<div id="rollnone"> [[चित्र:Premchand.jpg|right|100px|प्रेमचंद|link=प्रेमचंद]] </div>
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<div id="rollnone"> [[चित्र:Rabindranath-Tagore.jpg|right|100px|रबीन्द्रनाथ ठाकुर|link=रबीन्द्रनाथ ठाकुर]] </div>
*[[भारत]] के '''उपन्यास सम्राट''' मुंशी प्रेमचंद के युग का विस्तार सन 1880 से 1936 तक है। यह कालखण्ड भारत के इतिहास में बहुत महत्त्व का है।
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*रबीन्द्रनाथ ठाकुर का जन्म [[7 मई]], [[1861]] कलकत्ता (वर्तमान [[कोलकाता]]) में '''देवेंद्रनाथ टैगोर और शारदा देवी''' के पुत्र के रूप में एक संपन्न बांग्ला परिवार में हुआ था।
*प्रेमचंद का वास्तविक नाम '''धनपत राय श्रीवास्तव''' था। वे एक सफल लेखक, देशभक्त नागरिक, कुशल वक्ता, ज़िम्मेदार संपादक और संवेदनशील रचनाकार थे।  
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*रबीन्द्रनाथ ठाकुर एक बांग्ला कवि, कहानीकार, गीतकार, संगीतकार, नाटककार, निबंधकार और चित्रकार थे। जिन्हें [[1913]] में साहित्य के लिए [[नोबेल पुरस्कार]] प्रदान किया गया।
*प्रेमचंद का जन्म [[वाराणसी]] से लगभग चार मील दूर, लमही नाम के गाँव में [[31 जुलाई]], 1880 को हुआ। प्रेमचंद के पिताजी '''मुंशी अजायब लाल''' और माता '''आनन्दी देवी''' थीं।
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*'''गल्पगुच्छ की तीन जिल्दों में उनकी सारी चौरासी कहानियाँ''' संगृहीत हैं, जिनमें से केवल दस प्रतिनिधि कहानियाँ चुनना टेढ़ी खीर है।
*प्रेमचंद का कुल दरिद्र कायस्थों का था, जिनके पास क़रीब छ: बीघे ज़मीन थी और जिनका परिवार बड़ा था। प्रेमचंद के पितामह, '''मुंशी गुरुसहाय लाल''', पटवारी थे।
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*रबीन्द्रनाथ ठाकुर अपनी कहानियाँ सबुज पत्र (हरे पत्ते) में छपाते थे। आज भी पाठकों को उनकी कहानियों में 'हरे पत्ते' और 'हरे गाछ' मिल सकते हैं।
*प्रेमचंद ने कुल '''15 उपन्यास''', '''300 से कुछ अधिक कहानियाँ''', 3 नाटक, 10 अनुवाद, 7 बाल-पुस्तकें तथा हज़ारों पृष्ठों के लेख, सम्पादकीय, भाषण, भूमिका, पत्र आदि की रचना की है।
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*रबीन्द्रनाथ ठाकुर एकमात्र कवि हैं जिनकी की दो रचनाएँ दो देशों का राष्ट्रगान बनीं- [[भारत]] का राष्ट्र-गान [[जन गण मन]] और [[बांग्लादेश]] का राष्ट्रीय गान '''आमार सोनार बांग्ला''' गुरुदेव की ही रचनाएँ हैं।
*अंतिम दिनों के एक वर्ष को छोड़कर, उनका पूरा समय वाराणसी और [[लखनऊ]] में गुज़रा, जहाँ उन्होंने अनेक पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया और [[8 अक्टूबर]], [[1936]] को जलोदर रोग से उनका देहावसान हो गया ।  '''[[प्रेमचंद|.... और पढ़ें]]'''
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*[[1912]] में श्री टैगोर ने लंबी अवधि भारत से बाहर बिताई, इसमें वह [[यूरोप]], [[अमेरिका]] और पूर्वी एशिया के देशों में व्याख्यान देते व काव्य पाठ करते रहे और [[भारत]] की स्वतंत्रता के मुखर प्रवक्ता बन गए। '''[[रबीन्द्रनाथ ठाकुर|.... और पढ़ें]]'''
 
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10:16, 18 जनवरी 2011 का अवतरण

एक व्यक्तित्व

रबीन्द्रनाथ ठाकुर
  • रबीन्द्रनाथ ठाकुर का जन्म 7 मई, 1861 कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) में देवेंद्रनाथ टैगोर और शारदा देवी के पुत्र के रूप में एक संपन्न बांग्ला परिवार में हुआ था।
  • रबीन्द्रनाथ ठाकुर एक बांग्ला कवि, कहानीकार, गीतकार, संगीतकार, नाटककार, निबंधकार और चित्रकार थे। जिन्हें 1913 में साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया।
  • गल्पगुच्छ की तीन जिल्दों में उनकी सारी चौरासी कहानियाँ संगृहीत हैं, जिनमें से केवल दस प्रतिनिधि कहानियाँ चुनना टेढ़ी खीर है।
  • रबीन्द्रनाथ ठाकुर अपनी कहानियाँ सबुज पत्र (हरे पत्ते) में छपाते थे। आज भी पाठकों को उनकी कहानियों में 'हरे पत्ते' और 'हरे गाछ' मिल सकते हैं।
  • रबीन्द्रनाथ ठाकुर एकमात्र कवि हैं जिनकी की दो रचनाएँ दो देशों का राष्ट्रगान बनीं- भारत का राष्ट्र-गान जन गण मन और बांग्लादेश का राष्ट्रीय गान आमार सोनार बांग्ला गुरुदेव की ही रचनाएँ हैं।
  • 1912 में श्री टैगोर ने लंबी अवधि भारत से बाहर बिताई, इसमें वह यूरोप, अमेरिका और पूर्वी एशिया के देशों में व्याख्यान देते व काव्य पाठ करते रहे और भारत की स्वतंत्रता के मुखर प्रवक्ता बन गए। .... और पढ़ें

पिछले व्यक्तित्व → प्रेमचंद · शिवाजी