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* '''शुक्र ( वीनस / Venus )''' पृथ्वी का निकटतम ग्रह, सूर्य से दूसरा और सौरमण्डल का छठंवा सबसे बडा ग्रह है। शुक्र पर कोई चुंबकिय क्षेत्र नही है। इसका कोई उपग्रह ( चंद्रमा ) भी नही है। आकाश में शुक्र ग्रह को आसानी से देखा जा सकता है। इसे साँझ का तारा या भोर का तारा ( आकाशीय पिण्ड ) कहा जाता है, क्योंकि इस ग्रह का उदय आकाश में या तो सूर्योदय के पूर्व या संध्या को सूर्यास्त के पश्चात होता है। शुक्र ग्रह आकाश मे सूर्य और चन्द्रमा के बाद सबसे ज्यादा चमकिला ग्रह है।
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;शुक्र ग्रह ( वीनस / Venus )  =  प्रेम और सुंदरता की देवी
* इसे सूर्य की परिक्रमा 224 दिन में करता है। इसका परिक्रमा पथ 108200000 किलोमीटर लम्बा है और व्यास 121036 किलोमीटर है। इसकी कक्षा लगभग वृत्ताकार है। यह अन्य ग्रहों के विपरीत दक्षिणावर्त ( Anticlockwise ) चक्रण करता है।
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* '''शुक्र ( वीनस / Venus )''' पृथ्वी का निकटतम ग्रह, सूर्य से दूसरा और सौरमण्डल का छठंवा सबसे बडा ग्रह है। शुक्र पर कोई चुंबकिय क्षेत्र नही है। इसका कोई उपग्रह ( चंद्रमा ) भी नही है। आकाश में शुक्र को नंगी आंखो से देखा जा सकता है। यह आकाश मे सबसे चमकिला पिंड है।
* शुक्र का घुर्णन काफी अजीब है क्योंकि यह काफी धीमा है। वह एक घुर्णन करने मे 243 पृथ्वी दिवस लगाता है मतलब कि शुक्र मे एक दिन पृथ्वी के 243 दिनो के बराबर होता है। जो कि शुक्र के सुर्य की परिक्रमा मे लगने वाले समय से भी थोडा ज्यादा है। शुक्र पर एक शुक्र दिन शुक्र के एक वर्ष से बडा होता है। शुक्र की परिक्रमा और घुर्णन मे इतने समकालिक है कि पृथ्वी से शुक्र का केवल एक ही हिस्सा दिखायी देता है।
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* शुक्र ग्रह को प्रागैतिहासिक काल से जाना जाता। यह आकाश मे सूर्य और चन्द्रमा के बाद सबसे ज्यादा चमकिला ग्रह / पिंड है। बुध के जैसे ही इसे भी दो नामो भोर का तारा ( यूनानी : Eosphorus ) और शाम का तारा / आकाशीय पिण्ड के ( यूनानी : Hesperus ) नाम से जाना जाता रहा है। ग्रीक खगोलशास्त्री जानते थे कि यह दोनो एक ही है। शुक्र भी एक आंतरिक ग्रह है, यह भी चन्द्रमा की तरह कलाये प्रदर्शित करता है। गैलेलीयो द्वारा शुक्र की कलाओं के निरिक्षण कोपरनिकस के सूर्यकेन्द्री सौरमंडल सिद्धांत के सत्यापन के लिये सबसे मजबूत प्रमाण दिये थे।
* शुक्र पर वायुदाब भी पृथ्वी के वायुदाब से 90 गुणा है। वायुमंडल में सर्वाधिक कार्बन डाई आक्साइड की मात्रा पाई जाती है। शुक्र के यह कई किलोमिटर मोटे सल्फ्युरिक अम्ल के बादलो से घीरा हुआ है। इन बादलो के कारण हम शुक्र की सतह नही देख पाते है। इस वातावरण से शुक्र पर ग्रीनहाउस प्रभाव पडता है जो कि तापमान को 400 सेल्सीयस से 740 सेल्सीयस तक बढा देता है। इस तापमान पर सीसा भी पिघल जाता है। शुक्र की सतह बुध की सतह से भी ज्यादा गर्म है, जबकि शुक्र बुध की तुलना मे सूर्य से दूगनी दूरी पर है। शुक्र के बादलो मे उपरी सतह मे लगभग 350 किमी प्रति घण्टा की गति से हवायें चलती है जबकि निचली सतह मे ये कुछ ही किमी प्रति घण्टा की गति से चलती है। शुक्र पर किसी समय पानी उपस्थित था जो उबलकर अंतरिक्ष मे चला गया। पृथ्वी यदि सूर्य से कुछ और नजदिक ( कुछ किमी ) होती तब पृथ्वी का भी यही हाल होता।
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* यह सूर्य की परिक्रमा 224 दिन में करता है। इसका परिक्रमा पथ 108200000 किलोमीटर लम्बा है और व्यास 121036 किलोमीटर है। इसकी कक्षा लगभग वृत्ताकार है। यह अन्य ग्रहों के विपरीत दक्षिणावर्त ( Anticlockwise ) चक्रण करता है।
* शुक्र का व्यास ( पृथ्वी के व्यास का 95 %), द्रव्यमान ( पृथ्वी के द्रव्यमान का 80 % ) एवं आकार पृथ्वी के जैसा ही है। दोनो ग्रहो मे क्रेटर ( उल्कापार से बने विशाल गढ्ढे ) कम है। दोनो का घनत्व और रासायनिक संयोजन समान है। इसलिए इसे पृथ्वी का जुडंवा ग्रह तथा भगिनी / बहन भी कहते है।  
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* शुक्र का घुर्णन काफी अजीब है क्योंकि यह काफी धीमा है। वह एक घुर्णन करने मे 243 पृथ्वी दिवस लगाता है मतलब कि शुक्र का एक दिन पृथ्वी के 243 दिनो के बराबर होता है। जो कि शुक्र के सुर्य की परिक्रमा मे लगने वाले समय से भी थोडा ज्यादा है। शुक्र पर एक शुक्र दिन शुक्र के एक वर्ष से बडा होता है। शुक्र की परिक्रमा और घुर्णन मे इतने समकालिक है कि पृथ्वी से शुक्र का केवल एक ही हिस्सा दिखायी देता है।
* ग्रीक मिथको के अनुसार शुक्र यह प्रेम और सुंदरता की देवी है। यह नाम शुक्र ग्रह के सभी ग्रहो मे सबसे ज्यादा चमकिले होने के कारण दिया गया है। हिन्दू मिथको / पुराणों के अनुसार शुक्र असुरो के गुरु है। इनके पिता का नाम कवि और इनकी पत्नी का नाम शतप्रभा है। दैत्य गुरु शुक्र दैत्यों की रक्षा करने हेतु सदैव तत्पर रहते हैं। ये बृहस्पति की तरह ही शास्त्रों के ज्ञाता, तपस्वी और कवि हैं। इन्हें सुंदरता का प्रतीक माना गया है।
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* शुक्र पर वायुदाब भी पृथ्वी के वायुमंडल दबाव से 90 गुना है। जोकि पृथ्वी पर सागरसतह से 1 किमी गहराई के तुल्य है। वायुमंडल में सर्वाधिक कार्बन डाई आक्साइड की मात्रा पाई जाती है। शुक्र के यह कई किलोमिटर मोटे सल्फ्युरिक अम्ल के बादलो से घीरा हुआ है। यह बादल शुक्र ग्रह की सतह ढंक लेते है जिससे हम उसे देख नही पाते है। इस वातावरण से शुक्र पर ग्रीनहाउस प्रभाव पडता है जो कि तापमान को 400 सेल्सीयस से 740 सेल्सीयस तक बढा देता है। इस तापमान पर सीसा भी पिघल जाता है। शुक्र की सतह बुध की सतह से भी ज्यादा गर्म है, जबकि शुक्र बुध की तुलना मे सूर्य से दूगनी दूरी पर है। शुक्र के बादलो मे उपरी सतह मे लगभग 350 किमी प्रति घण्टा की गति से हवायें चलती है जबकि निचली सतह मे ये कुछ ही किमी प्रति घण्टा की गति से चलती है। शुक्र पर किसी समय पानी उपस्थित था जो उबलकर अंतरिक्ष मे चला गया। शुक्र अब काफी सूखा ग्रह है। पृथ्वी यदि सूर्य से कुछ और नजदिक ( कुछ किमी ) होती तब पृथ्वी का भी यही हाल होता।
* शुक्र के पास पहुंचने वाला सबसे पहला अंतरिक्षयान मैरीनर 2 था जो शुक्र के करीब 1962 मे पहुंचा था। उसके बाद पायोनियर , वेनेरा 7 और वेनेरा 9 भी शुक्र तक पहुंचे थे। इस ग्रह तक पहुंचने वाले यानो मे मैगलेन और विनस एक्सप्रेस भी है।
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* शुक्र की सतह से अधिकांश रोलिंग मैदानों हैं। वहां काफी सारे समुद्र जैसे गहरे क्षेत्र है जैसे अटलांटा, गुयेनेवेरे, लावीनिया। कुछ उंचे पठारी क्षेत्र है जैसे ईश्तर पठार जो उत्तरी गोलार्ध मे है और आस्ट्रेलीया के आकार का है; अफ्रोदीते पठार जो भूमध्यरेखा पर है और दक्षिण अमरीका के आकार का है। इश्तर पठार का क्षेत्र उंचा है, इसमे एक क्षेत्र लक्ष्मी प्लेनम है जो शुक्र के पर्वतो से घीरा है। इनमे से एक महाकाय पर्वत मैक्सवेल मान्टेस है।
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* मैग्लेन यान से प्राप्त आंकड़े बताते है कि शुक्र की सतह का अधिकतर भाग लावा प्रवाह से ढंका है। उस पर काफी सारे मृत ज्वालामुखी है जैसे सीफ मान्स। हाल ही मे प्राप्त आंकड़े बताते है कि शुक्र अभी भी ज्वालामुखी सक्रिय है लेकिन कुछ ही क्षेत्रो मे; अधिकतर भाग लाखो वर्षो से शांत है। शुक्र पर छोटे क्रेटर नही है। ऐसा प्रतित होता है कि उल्काये शुक्र के वातावरण मे सतह से टकराने से पहले ही जल जाती है। शुक्र की सतह पर क्रेटर गुच्छो मे है जो यह बताती है कि बड़ी उल्का सतह से टकराने से पहले छोटे टूकड़ो मे बंट जाती है। शुक्र के प्राचीनतम क्षेत्र 8000 लाख वर्ष पूराने है। ज्वालामुखीयो ने शुक्र के पुराने बड़े क्रेटरो को भर दिया है। शुक्र का अंतरिक भाग पृथ्वी जैसा है, 3000 किमी त्रिज्या की लोहे का केन्द्र; उसके आसपास पत्थर की परत। ताजा आंकड़ो के अनुसार शुक्र की पपड़ी ज्यादा मोटी और मजबूत है। पृथ्वी के जैसे ही शुक्र पर सतह पर दबाव बनता है और भूकंप आते है।
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* शुक्र का व्यास ( पृथ्वी के व्यास का 95 %), द्रव्यमान ( पृथ्वी के द्रव्यमान का 80 % ) एवं आकार पृथ्वी से थोड़ा ही छोटा है। दोनो ग्रहो मे क्रेटर ( उल्कापार से बने विशाल गढ्ढे ) कम है। दोनो का घनत्व और रासायनिक संयोजन समान है। इसलिए इसे पृथ्वी का जुडंवा ग्रह तथा भगिनी / बहन भी कहते है। इन समानताओ से यह सोचा जाता था कि बादलो के निचे शुक्र ग्रह पृथ्वी के जैसे होगा और शायद वहां पर जिवन होगा। लेकिन बाद के निरिक्षणो से ज्ञात हुआ कि शुक्र पृथ्वी से काफी अलग है और यहां जिवन की संभावना न्युनतम है।
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* ग्रीक मिथको के अनुसार शुक्र ग्रह प्रेम और सुंदरता की देवी है। यह नाम शुक्र ग्रह के सभी ग्रहो मे सबसे ज्यादा चमकिले होने के कारण दिया गया है। ( इसे यूनानी मे Aphrodite तथा बेबीलोन निवासी मे Ishtar कहते थे। ) हिन्दू मिथको / पुराणों के अनुसार शुक्र असुरो के गुरु है। इनके पिता का नाम कवि और इनकी पत्नी का नाम शतप्रभा है। दैत्य गुरु शुक्र दैत्यों की रक्षा करने हेतु सदैव तत्पर रहते हैं। ये बृहस्पति की तरह ही शास्त्रों के ज्ञाता, तपस्वी और कवि हैं। इन्हें सुंदरता का प्रतीक माना गया है।
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* 1962 मे शुक्र ग्रह की यात्रा करने वाला पहला अंतरिक्ष यान मैरीनर 2 था। उसके बाद 20 से ज्यादा शुक्र ग्रह की यात्रा पर जा चूके हैं जिसमे पायोनियर, विनस और सोवियत यान वेनेरा 7 है जो कि किसी दूसरे ग्रह पर उतरने वाला पहला यान था। वेनेरा 9 शुक्र की सतह की तस्वीरे भेजने वाला पहला यान था। अमरीका के यान मैगेलन ने शुक्र की कक्षा मे परिक्रमा करते हुये उसकी सतह का राडार की सहायता से पहला नक्शा बनाया था। युरोपियन अंतरिक्ष एजेण्सी का विनसएक्सप्रेस यान अभी शुक्र की कक्षा मे है।
  
  

12:58, 29 जनवरी 2011 का अवतरण

शुक्र ग्रह
Venus
शुक्र ग्रह ( वीनस / Venus ) = प्रेम और सुंदरता की देवी
  • शुक्र ( वीनस / Venus ) पृथ्वी का निकटतम ग्रह, सूर्य से दूसरा और सौरमण्डल का छठंवा सबसे बडा ग्रह है। शुक्र पर कोई चुंबकिय क्षेत्र नही है। इसका कोई उपग्रह ( चंद्रमा ) भी नही है। आकाश में शुक्र को नंगी आंखो से देखा जा सकता है। यह आकाश मे सबसे चमकिला पिंड है।
  • शुक्र ग्रह को प्रागैतिहासिक काल से जाना जाता। यह आकाश मे सूर्य और चन्द्रमा के बाद सबसे ज्यादा चमकिला ग्रह / पिंड है। बुध के जैसे ही इसे भी दो नामो भोर का तारा ( यूनानी : Eosphorus ) और शाम का तारा / आकाशीय पिण्ड के ( यूनानी : Hesperus ) नाम से जाना जाता रहा है। ग्रीक खगोलशास्त्री जानते थे कि यह दोनो एक ही है। शुक्र भी एक आंतरिक ग्रह है, यह भी चन्द्रमा की तरह कलाये प्रदर्शित करता है। गैलेलीयो द्वारा शुक्र की कलाओं के निरिक्षण कोपरनिकस के सूर्यकेन्द्री सौरमंडल सिद्धांत के सत्यापन के लिये सबसे मजबूत प्रमाण दिये थे।
  • यह सूर्य की परिक्रमा 224 दिन में करता है। इसका परिक्रमा पथ 108200000 किलोमीटर लम्बा है और व्यास 121036 किलोमीटर है। इसकी कक्षा लगभग वृत्ताकार है। यह अन्य ग्रहों के विपरीत दक्षिणावर्त ( Anticlockwise ) चक्रण करता है।
  • शुक्र का घुर्णन काफी अजीब है क्योंकि यह काफी धीमा है। वह एक घुर्णन करने मे 243 पृथ्वी दिवस लगाता है मतलब कि शुक्र का एक दिन पृथ्वी के 243 दिनो के बराबर होता है। जो कि शुक्र के सुर्य की परिक्रमा मे लगने वाले समय से भी थोडा ज्यादा है। शुक्र पर एक शुक्र दिन शुक्र के एक वर्ष से बडा होता है। शुक्र की परिक्रमा और घुर्णन मे इतने समकालिक है कि पृथ्वी से शुक्र का केवल एक ही हिस्सा दिखायी देता है।
  • शुक्र पर वायुदाब भी पृथ्वी के वायुमंडल दबाव से 90 गुना है। जोकि पृथ्वी पर सागरसतह से 1 किमी गहराई के तुल्य है। वायुमंडल में सर्वाधिक कार्बन डाई आक्साइड की मात्रा पाई जाती है। शुक्र के यह कई किलोमिटर मोटे सल्फ्युरिक अम्ल के बादलो से घीरा हुआ है। यह बादल शुक्र ग्रह की सतह ढंक लेते है जिससे हम उसे देख नही पाते है। इस वातावरण से शुक्र पर ग्रीनहाउस प्रभाव पडता है जो कि तापमान को 400 सेल्सीयस से 740 सेल्सीयस तक बढा देता है। इस तापमान पर सीसा भी पिघल जाता है। शुक्र की सतह बुध की सतह से भी ज्यादा गर्म है, जबकि शुक्र बुध की तुलना मे सूर्य से दूगनी दूरी पर है। शुक्र के बादलो मे उपरी सतह मे लगभग 350 किमी प्रति घण्टा की गति से हवायें चलती है जबकि निचली सतह मे ये कुछ ही किमी प्रति घण्टा की गति से चलती है। शुक्र पर किसी समय पानी उपस्थित था जो उबलकर अंतरिक्ष मे चला गया। शुक्र अब काफी सूखा ग्रह है। पृथ्वी यदि सूर्य से कुछ और नजदिक ( कुछ किमी ) होती तब पृथ्वी का भी यही हाल होता।
  • शुक्र की सतह से अधिकांश रोलिंग मैदानों हैं। वहां काफी सारे समुद्र जैसे गहरे क्षेत्र है जैसे अटलांटा, गुयेनेवेरे, लावीनिया। कुछ उंचे पठारी क्षेत्र है जैसे ईश्तर पठार जो उत्तरी गोलार्ध मे है और आस्ट्रेलीया के आकार का है; अफ्रोदीते पठार जो भूमध्यरेखा पर है और दक्षिण अमरीका के आकार का है। इश्तर पठार का क्षेत्र उंचा है, इसमे एक क्षेत्र लक्ष्मी प्लेनम है जो शुक्र के पर्वतो से घीरा है। इनमे से एक महाकाय पर्वत मैक्सवेल मान्टेस है।
  • मैग्लेन यान से प्राप्त आंकड़े बताते है कि शुक्र की सतह का अधिकतर भाग लावा प्रवाह से ढंका है। उस पर काफी सारे मृत ज्वालामुखी है जैसे सीफ मान्स। हाल ही मे प्राप्त आंकड़े बताते है कि शुक्र अभी भी ज्वालामुखी सक्रिय है लेकिन कुछ ही क्षेत्रो मे; अधिकतर भाग लाखो वर्षो से शांत है। शुक्र पर छोटे क्रेटर नही है। ऐसा प्रतित होता है कि उल्काये शुक्र के वातावरण मे सतह से टकराने से पहले ही जल जाती है। शुक्र की सतह पर क्रेटर गुच्छो मे है जो यह बताती है कि बड़ी उल्का सतह से टकराने से पहले छोटे टूकड़ो मे बंट जाती है। शुक्र के प्राचीनतम क्षेत्र 8000 लाख वर्ष पूराने है। ज्वालामुखीयो ने शुक्र के पुराने बड़े क्रेटरो को भर दिया है। शुक्र का अंतरिक भाग पृथ्वी जैसा है, 3000 किमी त्रिज्या की लोहे का केन्द्र; उसके आसपास पत्थर की परत। ताजा आंकड़ो के अनुसार शुक्र की पपड़ी ज्यादा मोटी और मजबूत है। पृथ्वी के जैसे ही शुक्र पर सतह पर दबाव बनता है और भूकंप आते है।
  • शुक्र का व्यास ( पृथ्वी के व्यास का 95 %), द्रव्यमान ( पृथ्वी के द्रव्यमान का 80 % ) एवं आकार पृथ्वी से थोड़ा ही छोटा है। दोनो ग्रहो मे क्रेटर ( उल्कापार से बने विशाल गढ्ढे ) कम है। दोनो का घनत्व और रासायनिक संयोजन समान है। इसलिए इसे पृथ्वी का जुडंवा ग्रह तथा भगिनी / बहन भी कहते है। इन समानताओ से यह सोचा जाता था कि बादलो के निचे शुक्र ग्रह पृथ्वी के जैसे होगा और शायद वहां पर जिवन होगा। लेकिन बाद के निरिक्षणो से ज्ञात हुआ कि शुक्र पृथ्वी से काफी अलग है और यहां जिवन की संभावना न्युनतम है।
  • ग्रीक मिथको के अनुसार शुक्र ग्रह प्रेम और सुंदरता की देवी है। यह नाम शुक्र ग्रह के सभी ग्रहो मे सबसे ज्यादा चमकिले होने के कारण दिया गया है। ( इसे यूनानी मे Aphrodite तथा बेबीलोन निवासी मे Ishtar कहते थे। ) हिन्दू मिथको / पुराणों के अनुसार शुक्र असुरो के गुरु है। इनके पिता का नाम कवि और इनकी पत्नी का नाम शतप्रभा है। दैत्य गुरु शुक्र दैत्यों की रक्षा करने हेतु सदैव तत्पर रहते हैं। ये बृहस्पति की तरह ही शास्त्रों के ज्ञाता, तपस्वी और कवि हैं। इन्हें सुंदरता का प्रतीक माना गया है।
  • 1962 मे शुक्र ग्रह की यात्रा करने वाला पहला अंतरिक्ष यान मैरीनर 2 था। उसके बाद 20 से ज्यादा शुक्र ग्रह की यात्रा पर जा चूके हैं जिसमे पायोनियर, विनस और सोवियत यान वेनेरा 7 है जो कि किसी दूसरे ग्रह पर उतरने वाला पहला यान था। वेनेरा 9 शुक्र की सतह की तस्वीरे भेजने वाला पहला यान था। अमरीका के यान मैगेलन ने शुक्र की कक्षा मे परिक्रमा करते हुये उसकी सतह का राडार की सहायता से पहला नक्शा बनाया था। युरोपियन अंतरिक्ष एजेण्सी का विनसएक्सप्रेस यान अभी शुक्र की कक्षा मे है।



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