"फुरहरी" के अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) |
|||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
|उदाहरण= | |उदाहरण= | ||
|विशेष=<poem>नहिं नहाय नहिं जाय घर, चित चिहट्यौ उहि तीर, | |विशेष=<poem>नहिं नहाय नहिं जाय घर, चित चिहट्यौ उहि तीर, | ||
− | परसि फुरहरी लै फिरति, विहँसति धँसति न नीर!<ref>{{cite web |url=http://www.sahityakunj.net/LEKHAK/P/PratibhaSaksena/Privacy_kahan.htm |title=प्राइवेसी कहाँ! |accessmonthday=31 जनवरी |accessyear=2011 |last=सक्सेना |first=डॉ. प्रतिभा |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=साहित्य कुञ्ज |language=हिन्दी}}</ref></poem> | + | परसि '''फुरहरी''' लै फिरति, विहँसति धँसति न नीर!<ref>{{cite web |url=http://www.sahityakunj.net/LEKHAK/P/PratibhaSaksena/Privacy_kahan.htm |title=प्राइवेसी कहाँ! |accessmonthday=31 जनवरी |accessyear=2011 |last=सक्सेना |first=डॉ. प्रतिभा |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=साहित्य कुञ्ज |language=हिन्दी}}</ref></poem> |
|विलोम= | |विलोम= | ||
|पर्यायवाची=स्फुरण, ठिठुरन, भय कंपन, सिहरन, थरथरी, थरार्हट, दहल आदि। | |पर्यायवाची=स्फुरण, ठिठुरन, भय कंपन, सिहरन, थरथरी, थरार्हट, दहल आदि। |
08:30, 14 फ़रवरी 2011 का अवतरण
हिन्दी | फुर-फुर ध्वनि, पक्षियों के फड़फड़ाने से उत्पन्न धवनि, भय या ठंड आदि के कारण उत्पन्न कँपकँपी, थरथराहट, सींक का टुकड़ा या छोटी तीली जिसके सिर पर ज़रा-सी रुई लपेटी गयी हो और उसे तेल या ओषधि आदि में डुबाकर काम में लिया जाए। |
-व्याकरण | स्त्रीलिंग |
-उदाहरण | |
-विशेष | नहिं नहाय नहिं जाय घर, चित चिहट्यौ उहि तीर, |
-विलोम | |
-पर्यायवाची | स्फुरण, ठिठुरन, भय कंपन, सिहरन, थरथरी, थरार्हट, दहल आदि। |
संस्कृत | |
अन्य ग्रंथ | |
संबंधित शब्द | फुनगी |
संबंधित लेख |
अन्य शब्दों के अर्थ के लिए देखें शब्द संदर्भ कोश
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ सक्सेना, डॉ. प्रतिभा। प्राइवेसी कहाँ! (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) साहित्य कुञ्ज। अभिगमन तिथि: 31 जनवरी, 2011।