"रविवार व्रत की आरती" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
पंक्ति 13: पंक्ति 13:
 
{{आरती स्तुति स्त्रोत}}
 
{{आरती स्तुति स्त्रोत}}
 
[[Category:आरती_स्तुति_स्त्रोत]]
 
[[Category:आरती_स्तुति_स्त्रोत]]
[[Category:हिन्दू धर्म कोश]]
+
[[Category:हिन्दू धर्म]] [[Category:हिन्दू धर्म कोश]]  
 
__INDEX__
 
__INDEX__

14:27, 20 फ़रवरी 2011 का अवतरण

कहुं लगि आरती दास करेंगे, सकल जगत जाकी जोत विराजे।
सात समुद्र जाके चरणनि बसे, कहा भये जल कुम्भ भरे हो राम।
कोटि भानु जाके नख की शोभा, कहा भयो मन्दिर दीप धरे हो राम।
भार अठारह रामा बलि जाके, कहा भयो शिर पुष्प धरे हो राम।
छप्पन भोग जाके नितप्रति लागे, कहा भयो नैवेद्य धरे हो राम।
अमित कोटि जाके बाजा बाजे, कहा भयो झनकार करे हो राम।
चार वेद जाको मुख की शोभा, कहा भयो ब्रह्म वेद पढ़े हो राम।
शिव सनकादिक आदि ब्रह्मादिक, नारद मुनि जाको ध्यान धरे हो राम।
हिम मन्दार जाके पवन झकोरें, कहा भयो शिर चंवर ढुरे हो राम।
लख चौरासी बन्ध छुड़ाए, केवल हरियश नामदेव गाए हो राम।

इन्हें भी देखें: बुधवार व्रत की आरती एवं शुक्रवार व्रत की आरती

संबंधित लेख