"विष्टि" के अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
शिल्पी गोयल (चर्चा | योगदान) |
व्यवस्थापन (चर्चा | योगदान) छो (Text replace - "==टीका टिप्पणी और संदर्भ==" to "{{संदर्भ ग्रंथ}} ==टीका टिप्पणी और संदर्भ==") |
||
पंक्ति 10: | पंक्ति 10: | ||
}} | }} | ||
+ | {{संदर्भ ग्रंथ}} | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
10:45, 21 मार्च 2011 का अवतरण
हिन्दी | ऐसा परिश्रम जिसका पुरस्कार न दिया जाता हो, फलित ज्योतिष के 11 करणों में से सातवाँ करण जिसे विष्टिभद्रा भी कहते हैं, एक प्रकार का पौराणिक व्रत। |
-व्याकरण | धातु। स्त्रीलिंग |
-उदाहरण | भुगतेंगे हम यह विष्टि-भार।[1] |
-विशेष | प्रत्येक मास की 30 तिथियों के 60 करणों में से 8 बार विष्टि/भद्रा होती है। कृष्ण पक्ष→ तृतीया/दशमी का उत्तरार्ध तथा सप्तमी/चतुर्दशी का पूर्वार्ध। शुक्ल पक्ष→चतुर्थी/एकादशी का उत्तरार्ध तथा अष्टमी/पूर्णिमा का पूर्वार्ध। |
-विलोम | |
-पर्यायवाची | व्याप्ति, धन्धा, पेशा, बेगार, व्यवसाय, नरक-वास, भद्रा, प्रेषण, मज़दूरी। |
संस्कृत | (विष् + क्तिन) |
अन्य ग्रंथ | |
संबंधित शब्द | विवर्ण, विवर्त |
संबंधित लेख |
अन्य शब्दों के अर्थ के लिए देखें शब्द संदर्भ कोश