एक्स्प्रेशन त्रुटि: अनपेक्षित उद्गार चिन्ह "२"।

"पद्मावती (स्थान)" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
('*मध्य प्रदेश के ग्वालियर के समीप वर्तमान पद्मपवै...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
पंक्ति 10: पंक्ति 10:
  
 
*पद्मावती तृतीय-चतुर्थ शती में नाग राजाओं की राजधानी थी।  
 
*पद्मावती तृतीय-चतुर्थ शती में नाग राजाओं की राजधानी थी।  
*यहाँ के लोग [[शिव]] के अनन्य भक्त थे। वे अपने कन्धों पर शिवलिंग वहन करते थे, अतः उन्हें भारशिव कहा गया।  
+
*यहाँ के लोग [[शिव]] के अनन्य भक्त थे, वे अपने कन्धों पर शिवलिंग वहन करते थे, अतः उन्हें भारशिव कहा गया।  
 
*नाग राजाओं के अनेक सिक्के यहाँ से प्राप्त हुए हैं तथा प्रथम शताब्दी से आठवीं शताब्दी तक के अनेक ऐतिहासिक अवशेष भी मिले हैं।  
 
*नाग राजाओं के अनेक सिक्के यहाँ से प्राप्त हुए हैं तथा प्रथम शताब्दी से आठवीं शताब्दी तक के अनेक ऐतिहासिक अवशेष भी मिले हैं।  
 
*इनमें प्रमुख अवशेष ईंटों से बना एक विशाल भवन है।  
 
*इनमें प्रमुख अवशेष ईंटों से बना एक विशाल भवन है।  

07:10, 15 अप्रैल 2011 का अवतरण

  • मध्य प्रदेश के ग्वालियर के समीप वर्तमान पद्मपवैया नामक स्थान ही प्राचीन काल का पद्मावती नगर था।
  • कुछ विद्वानों के अनुसार यह नगर विदर्भ में सिन्धु एवं पारा (पार्वती) नामक दो नदियों के संगम पर स्थित था।
  • इसकी पहचान आधुनिक विजयनगर से की गई है, जो नलपुर या नरवर से 25 मील आगे विद्यानगर का एक भ्रष्ट रूप है।
  • भवभूति ने (मालवी माधव, प्रथम अंक में) इस नगरी के सौंदर्य तथा वैभव विलास का वर्णन किया है।
  • इस स्थान को उनकी जन्मस्थली माना जाता है।
  • यह भवन कई खण्डों का था।
  • यह भवन राजप्रासाद प्रतीत होता है।
  • गुप्त सम्राट समुद्रगुप्त की प्रयाग-प्रशास्ति में राजा गणपति नाग का उल्लेख है, जिसे समुद्रगुप्त ने हराकर अपने अधीन कर लिया था।
  • विसेंट स्मिथ के अनुसार पद्मावती गणपतिनाग की राजधानी थी।
  • पद्मावती तृतीय-चतुर्थ शती में नाग राजाओं की राजधानी थी।
  • यहाँ के लोग शिव के अनन्य भक्त थे, वे अपने कन्धों पर शिवलिंग वहन करते थे, अतः उन्हें भारशिव कहा गया।
  • नाग राजाओं के अनेक सिक्के यहाँ से प्राप्त हुए हैं तथा प्रथम शताब्दी से आठवीं शताब्दी तक के अनेक ऐतिहासिक अवशेष भी मिले हैं।
  • इनमें प्रमुख अवशेष ईंटों से बना एक विशाल भवन है।
  • भारत में इस स्थान के अतिरिक्त केवल अहिच्छत्र में ही इस प्रकार के विशालकाय भवनों के अवशेष मिले हैं।
  • लगता है कि ये भवन नाग वास्तुकला के उदाहरण हैं, क्योंकि दोनों ही स्थानों पर नाग नरेशों का आधिपत्य था।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ