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* सौर मंडल में मंगल ग्रह सूरज से '''चौथे स्थान''' पर है। मंगल ग्रह को युद्ध का भगवान भी कहते हैं। इसे ये नाम अपने लाल रंग के कारण मिला। पृथ्वी से देखने पर, इसको इसकी रक्तिम आभा के कारण '''लाल ग्रह ( Red Planet )''' के रूप मे भी जाना जाता है। इसका रंग लाल, आयरन आक्साइड की अधिकता के कारण है। मार्च महीने का नाम भी मंगल ग्रह से लिया गया है।
 
 
 
* मंगल ग्रह प्राचीनकाल से ही मानव का ध्यान आकर्षित करता रहा है। हमारी पौराणिक कथाओं में इसे '''पृथ्वी का पुत्र''' माना गया है। शिव पुराण में कहा गया है कि यह शिव के पसीने की बूंद से पैदा हुआ और देवता बन कर आकाश में स्थापित हो गया। रोम और यूनान के प्राचीन निवासी लाल रंग के कारण इसे '''युद्द का देवता''' मानते थे।
 
 
 
* यह सूर्य से लगभग 22.80 करोड़ ( 227240000 ) किमी. दूर है। वह सूर्य की परिक्रमा बिल्कुल गोल नहीं बल्कि '''अंडाकार पथ''' पर करता है। इसलिए कभी तो सूर्य से लगभग 24.90 करोड़ किमी. दूर हो जाता है और कभी सूर्य से उसकी दूरी केवल करीब 20.70 करोड किमी. रह जाती है। मंगल के गोले का व्यास 6,794 किमी. है। वह अपनी धुरी पर 24 घंटे, 37 मिनट और 22.1 सेकेंड में घूम जाता है। उसका एक दिन हमारी पृथ्वी के 1.026 दिन के बराबर होता है। वह सूर्य की परिक्रमा हमारी पृथ्वी के दिनों के हिसाब से 686.98 दिन में करता है। यानी, उसका एक वर्ष हमारे 2 वर्षों से भी बड़ा होता है। मंगल ग्रह का दिन में अधिकतम औसत तापमान 27 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम औसत तापमान शून्य से 133 डिग्री सेल्सियस तक नीचे होता है।
 
 
 
* वैज्ञानिक अध्ययनों ने साबित कर दिया कि मंगल भी हमारी पृथ्वी की तरह एक ठोस ग्रह है और यहाँ की सतह रूखी और पथरीली हैं। मंगल की सतह पर मैदान, पहाड़ और घाटियां हैं। वहां धूल के भयंकर तूफान उठते रहते हैं। चाँद की तरह मंगल ग्रह के दक्षिणी गोलार्ध में उच्चभूमि है और उत्तरी गोलार्ध में मैदान हैं। इस ग्रह के भीतरी भाग में 1700 किलोमीटर रेडियस का कोर है, पिघला पथरीला मैन्टल और पतला भूपृष्ठ है। दक्षिणी गोलार्ध में, यह भूपृष्ठ 80 किलोमीटर मोटा है लेकिन उत्तरी गोलार्ध में केवल 35 किलोमीटर मोटा है। दोनों ध्रुवों पर पानी की बर्फ और जमी हुई कार्बन डाइऑक्साइड की टोपियां हैं। मंगल पर जमीन खिसकने की घटनाएँ भी आम तौर पर होती हैं, मंगल ग्रह पर गुरुत्वाकर्षण भी पृथ्वी के मुकाबले काफ़ी कम है। मंगल का वायुमंडल बहुत ही विरल ( पृथ्वी की तुलना में पतला ) है। उसमें 95.3 प्रतिशत कार्बन डाइऑक्साइड ( सबसे बड़ा हिस्सा ), 2.7 प्रतिशत नाइट्रोजन, 1.6 प्रतिशत आर्गन, सूक्ष्म मात्रा में ( 0.15 प्रतिशत ) ऑक्सीजन तथा जल ( 0.03 प्रतिशत ) पाया जाता है।
 
 
 
* मंगल पर सौरमण्डल का सबसे बड़ा ज्वालामुखी '''ओलिपस मेसी''' एवं सौरमण्डल का सबसे ऊँचा पर्वत ''' निक्स ओलपिया ( Nix Olympia )''' जो कि माउण्ट ऐवरेस्ट से तीन गुना अधिक ऊँचा है जिसकी ऊंचाई 24 किमी. है। उस पर एक 4000 किमी. चौड़ा और 10 किमी. ऊंचा पठार है। उसकी '''वेलीज मेरिनेरिस''' घाटी 4000 किमी. लंबी और 2 - 7 किमी. गहरी है। दक्षिणी गोलार्ध में '''हेलाज प्लेनिटिया''' नामक विशाल क्रेटर है जिसकी चौड़ाई 2000 किमी. और गहराई लगभग 6 किमी. है। और यहाँ घाटियाँ इतनी बड़ी हैं कि अगर यह पृथ्वी पर होती, तो यह न्यूयॉर्क से लॉस एंजिल्स तक फैला होता।
 
 
 
* मंगल ग्रह के दो उपग्रह ( चांद ) है :-- '''फोबोस और डीमोस'''। फोबोस मंगल ग्रह के मध्यबिन्दु से 9000 किलोमीटर के फासले पर है और डीमोस 23000 किलोमीटर की दूरी पर। फोबोस का रेडियस 11 किलोमीटर है और डीमोस का 6 किलोमीटर। फोबस पश्चिम से उगता है और दिन में दो बार पूर्व में ढलता है। डीमोस बहुत छोटा - सा चांद है। भारतीय वैज्ञानिक भविष्य में मंगल अभियान की योजना बना रहे हैं।
 
 
 
* मंगल यानि लाल ग्रह कँपकँपा देने वाली ठंड, धूल भरी आँधी का गुबार और फिर बवंडर, पृथ्वी के मुकाबले ये सब मंगल पर कहीं ज़्यादा है, हालाँकि यह पृथ्वी की तरह जीवन से भरा पूरा नहीं है, लेकिन मंगल की भौगोलिक स्थिति काफ़ी अच्छी है। लेकिन इन सभी अंतरों के बावजूद मंगल सौर परिवार में किसी अन्य ग्रह की तुलना में काफ़ी कुछ पृथ्वी जैसा ही है, यही कारण है कि पृथ्वी के बाद मंगल में जीवन की सम्भावना देखी जाती है क्योकि यहाँ वायुमंडल है और पृथ्वी के समान दो ध्रुव पाए जाते है तथा इसका कक्षातली 25º के कोण पर झुका हुआ है, जिसके कारण यहाँ पृथ्वी के समान ऋतु परिवर्तन होता है। इसके दिन का मान एवं अक्ष का झुकाव पृथ्वी के समान ही है। यही कारण है कि मंगल ग्रह पर अभियान तेज़ होने लगे हैं और यहाँ जीवन की तलाश की जा रही है, अभी भी मंगल ग्रह के बारे में जानकारी हासिल करने की कोशिश की जा रही है, क्योंकि जितनी भी जानकारी अभी है, वो कम है । क्या मंगल पर पृथ्वी जैसा ही बड़ा महासागर है, क्या वहाँ किसी रूप में जीवन है और क्या मनुष्य कभी मंगल पर जाकर स्थायी रूप से रह सकेंगे, इन सब सवालों का जवाब अभी मिलना बाकी है ।  1960 के दशक में पहली बार अंतरिक्ष यान यहाँ उतरा था, 1990 के आख़िर तक मंगल के सतह की पूरी तस्वीर खींची जा चुकी थी ।
 
 
 
* मंगल ग्रह 27, 28, 29 जनवरी 2010 को हमारी पृथ्वी के काफी करीब था। पृथ्वी से उसकी दूरी इन दिनों केवल 9.8 किमी. रह गई था। सूर्यास्त के बाद पूर्व से आसमान में आगे बढ़ते नारंगी - लाल रंग के मंगल ग्रह को आसानी से पहचाना जा सकता था। बल्कि, वैज्ञानिकों का कहना है कि 29 जनवरी 2010 को मंगल सर्वाधिक चमकदार दिखाई था। उसकी चमक आसमान के सबसे चमकदार तारे ‘सिरियस’ यानी व्याध ( लुब्धक ) से बस नाममात्र को ही कम था। नीली आभा लिए लुब्धक, नारंगी - लाल मंगल और श्वेत चंद्रमा को एक साथ देखना एक अपूर्व अनुभव था।
 
 
 
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10:09, 8 मई 2011 के समय का अवतरण

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