"मंगल ग्रह" के अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Mars.jpg|thumb|250px|मंगल ग्रह<br />Mars]]
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#REDIRECT[[मंगल]]
;मंगल ग्रह ( Mars ) = युद्ध का देवता, ( यूनानी : Ares )
 
*[[सौर मंडल]] में मंगल ग्रह [[सूर्य ग्रह|सूर्य]] से '''चौथे स्थान''' पर है और आकार मे सांतवे क्रमांक का बड़ा ग्रह है। मंगल को रात मे नंगी आंखो से देखा जा सकता है। मंगल ग्रह को युद्ध का भगवान भी कहते हैं। इसे ये नाम अपने [[लाल रंग]] के कारण मिला। [[पृथ्वी ग्रह|पृथ्वी]] से देखने पर, इसको इसकी रक्तिम आभा के कारण '''लाल ग्रह''' के रूप मे भी जाना जाता है। इसका रंग लाल, आयरन आक्साइड की अधिकता के कारण है। मंगल को प्रागैतिहासिक काल से जाना जाता रहा है। मंगल का निरिक्षण पृथ्वी की अनेको वेधशालाओ से होता रहा है लेकिन बड़ी बड़ी दूरबीन भी मंगल को एक कठीन लक्ष्य मानती है, यह ग्रह बहुत छोटा है। यह ग्रह विज्ञान फतांसी के लेखको का पृथ्वी से बाहर जीवन के लिये चहेता ग्रह है। लेकिन लावेल द्वारा देखी गयी प्रसिद्ध नहरे और मंगल पर जीवन परिकथाओ जैसा कल्पना मे ही रहा है।
 
* मंगल ग्रह प्राचीनकाल से ही मानव का ध्यान आकर्षित करता रहा है। हमारी पौराणिक कथाओं में इसे '''पृथ्वी का पुत्र''' माना गया है। [[शिव पुराण]] में कहा गया है कि यह [[शिव]] के पसीने की बूंद से पैदा हुआ और देवता बन कर [[आकाश]] में स्थापित हो गया। रोम और यूनान के प्राचीन निवासी लाल रंग के कारण इसे '''युद्द का देवता ( यूनानी: Ares )''' मानते थे। रोमन देवता मार्स कृषि देवता का देवता था। इसलिए [[मार्च]] महीने का नाम भी मंगल ग्रह से लिया गया है।<ref name="mkl"> {{cite web |url=http://dmewari.merapahad.in/mars-planet/ |title=मंगल ग्रह |accessmonthday=21 जनवरी |accessyear=2011 |last=मेवाड़ी |first= देवेन्द |authorlink= |format=पी.एच.पी |publisher=मेरी कलम |language=हिन्दी}}</ref>
 
* यह सूर्य से लगभग 22.80 करोड़ किमी. दूर है ( कक्षा :1.52: 227,940,000 किमी = ए.यू. सूर्य से )। वह सूर्य की परिक्रमा बिल्कुल गोल नहीं बल्कि '''अंडाकार पथ''' पर करता है । इसलिए कभी तो सूर्य से लगभग 24.90 करोड़ किमी. दूर हो जाता है और कभी सूर्य से उसकी दूरी केवल करीब 20.70 करोड किमी. रह जाती है। मंगल के गोले का व्यास 6794 किमी. है और द्रव्यमान 6.4219e23 किलो  है। वह अपनी धुरी पर 24 घंटे, 37 मिनट और 22.1 सेकेंड में घूम जाता है। उसका एक दिन हमारी पृथ्वी के 1.026 दिन के बराबर होता है। वह सूर्य की परिक्रमा हमारी पृथ्वी के दिनों के हिसाब से 686.98 दिन में करता है। यानी, उसका एक वर्ष हमारे 2 वर्षों से भी बड़ा होता है। मंगल की कक्षा दिर्घवृत्त मे है जिसके कारण इसके तापमान मे सूर्य से दूरस्थ बिन्दू और निकटस्थ बिन्दू के मध्य 30 डिग्री सेल्सीयस का अंतर आता है। इससे मंगल के मौसम पर असर होता है। मंगल पर औसत तापमान 218 डिग्री केल्वीन ( - 55 डिग्री सेल्सीयस ) है। इसलिए मंगल ग्रह का दिन में अधिकतम औसत तापमान 27 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम औसत तापमान शून्य से 133 डिग्री सेल्सियस तक नीचे होता है। मंगल पृथ्वी से बहुत छोटा है लेकिन उसकी सतह का क्षेत्रफल पृथ्वी की सतह के क्षेत्रफल के बराबर ही है, क्योंकि मंगल पर सागर नही है । <ref name="mkl"></ref>
 
* वैज्ञानिक अध्ययनों ने साबित कर दिया कि मंगल भी हमारी पृथ्वी की तरह एक ठोस ग्रह है और यहाँ की सतह रूखी और पथरीली हैं। मंगल की सतह पर मैदान, पहाड़ और घाटियां हैं। वहां धूल के भयंकर तूफान उठते रहते हैं। [[चन्द्र ग्रह|चाँद]] की तरह मंगल ग्रह के दक्षिणी गोलार्ध में उच्चभूमि है और उत्तरी गोलार्ध में मैदान हैं। इस ग्रह के भीतरी भाग में 1700 किलोमीटर रेडियस का कोर ( त्रिज्या का केन्द्रक ) है, उसके चारो पिघली चट्टानो का पिघला मैन्टल है जो पृथ्वी से मैंटल से ज्यादा घना है, इनके बाहर एक पतला भूपृष्ठ है। मार्स ग्लोबल सर्वेयर के आंकड़ो से भूपृष्ठ की मोटाई दक्षिणी गोलार्ध में 80 किलोमीटर मोटा है लेकिन उत्तरी गोलार्ध में केवल 35 किलोमीटर मोटा है। चट्टानी ग्रहो मे मंगल का कम घनत्व यह दर्शाता है कि इसके केन्द्रक मे सल्फर की मात्रा लोहे की मात्रा से ज्यादा है। मंगल का दक्षिणी गोलार्ध चन्द्रमा के जैसे क्रेटरो से भरा हुआ उठा हुआ और प्राचीन है। इसके विपरित उत्तरी गोलार्ध नये पठारो बना निचला है। इन दोनो की सीमा पर उंचाई मे एक आकस्मिक उंचाई मे बदलाव दिखायी देता है। इस आकस्मिक उंचाई मे बदलाव के कारण अज्ञात है। मार्श ग्लोबल सर्वेयर यान ने जो 3 आयामी मंगल का नक्शा बनाय है इन सभी रचनाओ को दिखाता है। मंगल के दोनों ध्रुवो पर बर्फ की परत है। यह बर्फ की परत पानी और कार्बन डाय आक्साईड की बर्फ है। उत्तरी गोलार्ध की गर्मीयो मे कारबन डायाअक्साईड की बर्फ पिघल जाती है और पानी की बर्फ की तह रह जाती है। मार्स एक्सप्रेस ने यह अब दक्षिणी गोलार्ध मे भी देखा है। अन्य स्थानो पर भी पानी की बर्फ के होने की आशा है। मंगल पर जमीन खिसकने की घटनाएँ भी आम तौर पर होती हैं, मंगल ग्रह पर गुरुत्वाकर्षण भी पृथ्वी के मुक़ाबले काफ़ी कम है। बुध और चन्द्रमा की तरह मंगल मे भी क्रियाशील प्लेट टेक्टानिक्स नही है क्योंकि मंगल मे मोड़दार पर्वत (पृथ्वी पर हिमालय) नही है। प्लेट की गतिविधी ना होने से सतह के निचे के गर्म स्थान अपनी जगह रहते है, तथा कम गुरुत्व के कारण थारी उभार जैसे उभारो तथा ज्वालामुखी की संभावना ज्यादा रहती है। हालिया ज्वालामुखीय गतिविधी के कोई प्रमाण नही मीले है। मार्स ग्लोबल सर्वेयर के अनुमानो से मंगल मे किसी समय टेक्टानिक गतिविधी रही होंगी। मंगल पृथ्वी से काफी छोटा है, लेकिन मंगल पर उपलब्ध भूमि पृथ्वी पर उपलब्ध भूमी के बराबर है। इतिहास मे मंगल पृथ्वी जैसा रहा होगा। पृथ्वी पर सारी कार्बन डाय आक्साईड कार्बोनेट चट्टान मे उपयोग मे आ गयी थी, लेकिन मंगल पर प्लेट टेक्टानिक्स नही होने से मंगल पर कार्बन डाय आक्साईड के उपयोग और उत्सर्जन का चक्र पूरा नही हो पाता है। इन कारणो से मंगल पर तापमान बढाने लायक ग्रीन हाउस प्रभाव नही बन पाता है ( यह तापमान को 5 डीग्री केल्विन तक ही बढा़ पाता है जो पृथ्वी और शुक्र की तुलना मे काफी कम है )। इस कारण मंगल की सतह पृथ्वी की तुलना मे ठंडी है। मंगल का वायुमंडल बहुत ही विरल ( पृथ्वी की तुलना में पतला ) है। उसमें 95.3 प्रतिशत कार्बन डाइऑक्साइड ( सबसे बड़ा हिस्सा ), 2.7 प्रतिशत [[नाइट्रोजन]], 1.6 प्रतिशत आर्गन, सूक्ष्म मात्रा में ( 0.15 प्रतिशत ) [[ऑक्सीजन]] तथा [[जल]] ( 0.03 प्रतिशत ) पाया जाता है। औसत वायुमंडलीय दबाव 7 मीलीबार है, जो पृथ्वी के 1% के बराबर है लेकिन यह गहराईयो मे 9 मीलीबार से ओलम्पस मान्स पर 1 मीलीबार तक रहता है। लेकिन यह वातावरण तेज हवाओ और महिनो तक चलने वाले धूल के अंधड़ पैदा करने मे सक्षम है।<ref name="mkl"></ref>
 
* मंगल की सतह (पाथ फाईण्डर द्वारा ली गयी तस्वीर) : --  मंगल की सतह पर क्षरण के साफ प्रमाण मीले है जिसमे बाढ़ द्वारा क्षरण या छोटी नदीयो द्वारा क्षरण का समावेश है। किसी समय मंगल पर कोई द्रव पदार्थ जरूर रहा होगा। द्रव जल की संभावना ज्यादा है लेकिन अन्य संभावना भी है। यानो द्वारा भेजे गये आंकड़े बताते है कि मंगल पर बड़ी झीले या सागर भी रहे होंगे। ये आंकड़े क्षरण की इन नहरो की उम्र 5 अरब वर्ष बताते है। मार्स एक्स्प्रेस द्वारा भेजी गयी एक तस्वीर मे जमा हुआ समुद्र दिखायी देता है हो 50 लाख वर्ष पहले द्रव रहा होगा। वैलेस मारीनेरीस घाटी द्रव के बहने से नही बनी है। यह थारसीस उभार द्वारा भूपटल मे आयी दरारो से बनी है।
 
* मंगल पर भूदृश्य काफी रोचक और विविधताओ से भरा है। मंगल पर सौरमण्डल का सबसे बड़ा ज्वालामुखी '''ओलिपस मेसी''' एवं सौरमण्डल का सबसे ऊँचा पर्वत '''निक्स ओलपिया ( Nix Olympia )''' जो कि माउण्ट ऐवरेस्ट से तीन गुना अधिक ऊँचा है जिसकी ऊंचाई 24 किमी ( 78,000 फीट ) है, आधार पर व्यास में 500 किलोमीटर से अधिक है। उस पर एक 4000 किमी. चौड़ा और 10 किमी. ऊंचा एक विशाल थारसीस उभार ( पठार ) है। उसकी '''वेलीज मेरिनेरिस''' घाटी 4000 किमी. लंबाई और 2 - 7 किमी. गहरी घाटीयो की एक प्रणाली है। दक्षिणी गोलार्ध में '''हेलाज प्लेनिटिया''' नामक विशाल क्रेटर है जिसकी चौड़ाई 2000 किमी. और गहराई लगभग 6 किमी. है। और यहाँ घाटियाँ इतनी बड़ी हैं कि अगर यह पृथ्वी पर होती, तो यह न्यूयॉर्क से लॉस एंजिल्स तक फैला होता। मंगल की सतह काफी पूरानी है और क्रेटरो से भरी हुयी है, लेकिन वहां पर कुछ नयी घाटीया, पहाड़ीयां और पठार भी है। यह सब जानकारीयां मगंल भेजे गये यानो ने दी है। पृथ्वी की दूरबीने ( हब्बल सहित ) यह सब देख नही पाते है।
 
* मंगल ग्रह के दो उपग्रह ( चांद ) है :-- '''फोबोस और डीमोस'''। फोबोस मंगल ग्रह के मध्यबिन्दु से 9000 किलोमीटर के फासले पर है और डीमोस 23000 किलोमीटर की दूरी पर। फोबोस का रेडियस 11 किलोमीटर है और डीमोस का 6 किलोमीटर। फोबस पश्चिम से उगता है और दिन में दो बार पूर्व में ढलता है। डीमोस बहुत छोटा - सा चांद है। फोबोस का द्रव्यमान ( किलो ) 1.08e1611 है और डीमोस का 1.80e156 है।  इन दोनो उपग्रहो को 1877 मे हॉल ने खोजा था। <ref name="mkl"></ref>
 
* मंगल यानि लाल ग्रह कँपकँपा देने वाली ठंड, धूल भरी आँधी का गुबार और फिर बवंडर, पृथ्वी के मुक़ाबले ये सब मंगल पर कहीं ज़्यादा है, हालाँकि यह पृथ्वी की तरह जीवन से भरा पूरा नहीं है, लेकिन मंगल की भौगोलिक स्थिति काफ़ी अच्छी है। लेकिन इन सभी अंतरों के बावजूद मंगल सौर परिवार में किसी अन्य ग्रह की तुलना में काफ़ी कुछ पृथ्वी जैसा ही है, यही कारण है कि पृथ्वी के बाद मंगल में जीवन की सम्भावना देखी जाती है क्योकि यहाँ वायुमंडल है और पृथ्वी के समान दो ध्रुव पाए जाते है तथा इसका कक्षातली 25º के कोण पर झुका हुआ है, जिसके कारण यहाँ पृथ्वी के समान ऋतु परिवर्तन होता है। इसके दिन का मान एवं अक्ष का झुकाव पृथ्वी के समान ही है। यही कारण है कि मंगल ग्रह पर अभियान तेज़ होने लगे हैं और यहाँ जीवन की तलाश की जा रही है, अभी भी मंगल ग्रह के बारे में जानकारी हासिल करने की कोशिश की जा रही है, क्योंकि जितनी भी जानकारी अभी है, वो कम है। क्या मंगल पर पृथ्वी जैसा ही बड़ा महासागर है, क्या वहाँ किसी रूप में जीवन है और क्या मनुष्य कभी मंगल पर जाकर स्थायी रूप से रह सकेंगे, इन सब सवालों का जवाब अभी मिलना बाकी है।
 
* चन्द्रमा के अलावा मंगल अकेला ग्रह है जिस पर मानव निर्मित यान पहुंचा है। [[1960]] के दशक में पहली बार अंतरिक्ष यान यहाँ उतरा था, 1990 के आख़िर तक मंगल के सतह की पूरी तस्वीर खींची जा चुकी थी। सबसे पहले मंगल पर 1965 मे मैरीनर - 4 यान भेजा गया था। उसके बाद इस ग्रह पर मार्स 2 ( Mars 2 ) जो मंगल पर उतरा भी था, के अलावा बहुत सारे यान भेजे गये है। 1976 मे दो वाइकिंग यान भी मंगल पर उतरे थे। इसके 20 वर्ष पश्चात 4 जुलाई 1997 को मार्श पाथफाईंडर मंगल पर उतरा था। 2004 मे मार्स एक्स्पेडीसन रोवर प्रोजेक्ट के दो वाहन स्प्रिट तथा ओपरच्युनिटी मंगल पर भौगोलिक आंकड़े और तस्वीरे भेजने उतरे थे। 2008 मे फिनिक्स यान मंगल के उत्तरी पठारो मे पानी की खोज के लिये उतरा था। मंगल की कक्षा मे मार्स रीकानैसेन्स ओर्बीटर मार्स ओडीसी तथा मार्स एक्सप्रेस यान है। भारतीय वैज्ञानिक भविष्य में मंगल अभियान की योजना बना रहे हैं।
 
* वाइकिंग यानो ने मंगल पर जिवन की तलाश की थी लेकिन वैज्ञानिको का मानना है कि मंगल पर जिवन नही है। भविष्य मे कुछ प्रयोग और किये जायेंगे।  6 अगस्त 1996 को, डेविड मैके एट अल की घोषणा की है कि उल्का ALH84001 में के सूक्ष्मजीव मंगल ग्रह पर जीवन के सबूत हो सकते है। हालांकि अभी भी कुछ विवाद है, वैज्ञानिक समुदाय के बहुमत ने इस निष्कर्ष को स्वीकार नहीं किया। अगर मंगल ग्रह पर जीवन था, वह हम अभी यह नहीं मिला है। मंगल पर कमजोर चुंबकिय क्षेत्र कुछ हिस्सो मे मौजूद है। यह खोज मार्श ग्लोबल सर्वेयर ने की थी। मंगल पर भी (पृथ्वी की तरह ही सर्वत्र नही) चुंबकिय क्षेत्र पाये जाते है। शायद यह क्षेत्र किसी समय मंगल पर रहे सार्वत्रिक चुंबकिय क्षेत्र के अवशेष हैं! यह भी यह मंगल पर किसी प्राचीन काल मेजीवन की संभावना का संकेत है।
 
* मंगल ग्रह 27, 28, 29 जनवरी 2010 को हमारी पृथ्वी के काफी करीब था। पृथ्वी से उसकी दूरी इन दिनों केवल 9.8 किमी. रह गई था। सूर्यास्त के बाद पूर्व से आसमान में आगे बढ़ते नारंगी - लाल रंग के मंगल ग्रह को आसानी से पहचाना जा सकता था। बल्कि, वैज्ञानिकों का कहना है कि 29 जनवरी 2010 को मंगल सर्वाधिक चमकदार दिखाई था। उसकी चमक आसमान के सबसे चमकदार तारे ‘सिरियस’ यानी व्याध (लुब्धक) से बस नाममात्र को ही कम था। नीली आभा लिए लुब्धक, नारंगी - लाल मंगल और श्वेत चंद्रमा को एक साथ देखना एक अपूर्व अनुभव था।
 
 
 
 
 
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==संबंधित लेख==
 
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10:09, 8 मई 2011 के समय का अवतरण

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