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#REDIRECT[[शुक्र]]
* '''शुक्र (  वीनस / Venus )''' पृथ्वी का निकटतम ग्रह, सूर्य से दूसरा और सौरमण्डल का छठंवा सबसे बडा ग्रह है। शुक्र पर कोई चुंबकिय क्षेत्र नही है। इसका कोई उपग्रह ( चंद्रमा ) भी नही है। यह सबसे चमकीला ग्रह है। इसे साँझ का तारा या भोर का तारा ( आकाशीय पिण्ड ) कहा जाता है।
 
* सूर्य की परिक्रमा 224 दिन में करता है। इसका परिक्रमा पथ 108¸200¸000 किलोमीटर लम्बा है और व्यास 12¸103.6 किलोमीटर है। इसकी कक्षा लगभग वृत्ताकार है। यह अन्य ग्रहों के विपरीत दक्षिणावर्त ( Anticlockwise ) चक्रण करता है।
 
* शुक्र का घुर्णन काफी अजीब है क्योंकि यह काफी धीमा है। वह एक घुर्णन करने मे 243 पृथ्वी दिवस लगाता है मतलब कि शुक्र मे एक दिन पृथ्वी के 243 दिनो के बराबर होता है। जो कि शुक्र के सुर्य की परिक्रमा मे लगने वाले समय से भी थोडा ज्यादा है। शुक्र पर एक शुक्र दिन शुक्र के एक वर्ष से बडा होता है। शुक्र की परिक्रमा और घुर्णन मे इतने समकालिक है कि पृथ्वी से शुक्र का केवल एक ही हिस्सा दिखायी देता है।
 
* शुक्र पर वायुदाब भी पृथ्वी के वायुदाब से 90 गुणा है। वायुमंडल में सर्वाधिक कार्बन डाई आक्साइड की मात्रा पाई जाती है। शुक्र के यह कई किलोमिटर मोटे सल्फ्युरिक अम्ल के बादलो से घीरा हुआ है। इन बादलो के कारण हम शुक्र की सतह नही देख पाते है। इस वातावरण से शुक्र पर ग्रीनहाउस प्रभाव पडता है जो कि तापमान को 400 सेल्सीयस से 740 सेल्सीयस तक बढा देता है। इस तापमान पर सीसा भी पिघल जाता है। शुक्र की सतह बुध की सतह से भी ज्यादा गर्म है, जबकि शुक्र बुध की तुलना मे सूर्य से दूगनी दूरी पर है। शुक्र के बादलो मे उपरी सतह मे लगभग 350 किमी प्रति घण्टा की गति से हवायें चलती है जबकि निचली सतह मे ये कुछ ही किमी प्रति घण्टा की गति से चलती है। शुक्र पर किसी समय पानी उपस्थित था जो उबलकर अंतरिक्ष मे चला गया। पृथ्वी यदि सूर्य से कुछ और नजदिक ( कुछ किमी ) होती तब पृथ्वी का भी यही हाल होता।
 
* शुक्र का व्यास ( पृथ्वी के व्यास का 95 %), द्रव्यमान ( पृथ्वी के द्रव्यमान का 80 % ) एवं आकार पृथ्वी के जैसा ही है। दोनो ग्रहो मे क्रेटर ( उल्कापार से बने विशाल गढ्ढे ) कम है। दोनो का घनत्व और रासायनिक संयोजन समान है। इसलिए इसे पृथ्वी का जुडंवा ग्रह तथा भगिनी / बहन भी कहते है।
 
* ग्रीक मिथको के अनुसार शुक्र यह प्रेम और सुंदरता की देवी है। यह नाम शुक्र ग्रह के सभी ग्रहो मे सबसे ज्यादा चमकिले होने के कारण दिया गया है। हिन्दू मिथको के अनुसार शुक्र असुरो के गुरू है। शुक्र ग्रह आकाश मे सूर्य और चन्द्रमा के बाद सबसे ज्यादा चमकिला ग्रह है।
 
* शुक्र के पास पहुंचने वाला सबसे पहला अंतरिक्षयान मैरीनर 2 था जो शुक्र के करीब 1962 मे पहुंचा था। उसके बाद पायोनियर , वेनेरा 7 और वेनेरा 9 भी शुक्र तक पहुंचे थे। इस ग्रह तक पहुंचने वाले यानो मे मैगलेन और विनस एक्सप्रेस भी है।
 
 
 
 
 
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10:59, 8 मई 2011 के समय का अवतरण

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