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*जब चक्की नहीं हुआ करती थी तो धान, मंडुआ, मसाले कुछ भी जैसे पाउडर बनाना या छिलका निकलना आदि काम इसी के द्वारा संपन होते थे।  
 
*जब चक्की नहीं हुआ करती थी तो धान, मंडुआ, मसाले कुछ भी जैसे पाउडर बनाना या छिलका निकलना आदि काम इसी के द्वारा संपन होते थे।  
 
;ओखली के ऊपर कुछ कहावतें भी मशहूर है जैसे-  
 
;ओखली के ऊपर कुछ कहावतें भी मशहूर है जैसे-  
*ओखली में सिर देकर मूसलों को न गिनना
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*ओखली में सिर दिया तो मूसलों से क्या डरना
*ओखली में सिर देकर मूसलों से डरना
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*ओखली में सिर दिया तो मूसलों को क्या गिनना
*ओखली में सिर देकर मूसलों से बचना चाहना
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*ओखली में सिर देना...
*ओखली में सिर देना आदि।
 
  
  

07:57, 10 मई 2011 का अवतरण

  • ओखली धान आदि कूटने के लिए काठ या पत्थर का एक गहरा पात्र होता है।
  • ओखली में धान आदि कूटने के लिए मूसल का प्रयोग होता है।
  • ओखली हर परिवार, हर घर के आँगन में होती थी अब तो कुछ ही घर होंगे जिनके आँगन इससे सजे होंगे ओखली का हमारे जीवन में आदि काल से बहुत ही महत्त्व रहा है।
  • जब चक्की नहीं हुआ करती थी तो धान, मंडुआ, मसाले कुछ भी जैसे पाउडर बनाना या छिलका निकलना आदि काम इसी के द्वारा संपन होते थे।
ओखली के ऊपर कुछ कहावतें भी मशहूर है जैसे-
  • ओखली में सिर दिया तो मूसलों से क्या डरना
  • ओखली में सिर दिया तो मूसलों को क्या गिनना
  • ओखली में सिर देना...



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टीका टिप्पणी और संदर्भ