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11:46, 17 मई 2011 का अवतरण

  • मिट्टी के घड़े के फोड़े हुए अर्ध खंड को सामान्यतया खप्पर कहते हैं।
  • किंतु इसका तात्पर्य योगसाधकों, औघड़ों तथा कापालिकों द्वारा प्रयुक्त खाद्यपात्र के अर्थ में भी माना जाता है जो नरकपाल निर्मित होता था।
  • संभवत: पूर्वकाल में यह मिट्टी का ही पात्र रहा होगा किंतु आजकल यह दरियाई नारियल का बना देखने में आता है।
  • अनेक योगी काँसे का बना खप्पर रखते हैं।[1]



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. पांडेय, सुधाकर “खण्ड 3”, हिन्दी विश्वकोश, 1963 (हिन्दी), भारतडिस्कवरी पुस्तकालय: नागरी प्रचारिणी सभा वाराणसी, पृष्ठ सं 303।

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