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10:20, 6 जून 2011 का अवतरण
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- संपूर्ण मिज़ोरम अधिसूचित पिछडा क्षेत्र है और इसे ‘उद्योग विहीन क्षेत्र’ के तहत वर्गीकृत किया गया है। 1989 में मिज़ोरम सरकार की औद्योगिक नीति की घोषणा के बाद पिछले दशक में यहाँ कुछ आधुनिक लघु उद्योगों की स्थापना हुई है। मिज़ोरम ने उद्योगों का और तेजी से विकास करने के लिए वर्ष 2000 में नई औद्योगिक नीति की घोषणा की। इसमें इलेक्ट्रॉनिक तथा सूचना प्रौद्योगिकी, बांस तथा इमारती लकडी पर आधारित उत्पाद, खाद्य तथा फलों का प्रसंस्करण, वस्त्र, हथकरघा तथा हस्तशिल्प जैसे लघु और कुटीर उद्योग शामिल हैं।
- औद्योगिक नीति में राज्य से बाहर के निवेश को आकर्षित करने के लिए ऐसे सभी बडे, मध्यम तथा लघु पैमाने के उद्योगों को, जिनमें कि स्थानीय लोग भागीदारी हों, की स्थापना के लिए साझे उपक्रम लगाने की अनुमति दी गई है। विद्यमान औद्योगिक संपदाओं के विकास के अतिरिक्त संरचनात्मक विकास कार्य जैसे कि लुंआगमुआल, आइजोल में औद्योगिक प्रोत्साहन संस्थान (आई.आई.डी.सी.), निर्यात प्रोत्साहन, औद्योगिक पार्क, लेंगरी, एकीकृत संरचनात्मक केंद्र (आई.आई.डी.सी.), पुकपुई, लुंगत्तेई तथा खाद्य पार्क, छिंगछिप आदि योजनायें पूरी होने वाली हैं।
- चाय की वैज्ञानिक तरीके से खेती प्रारंभ की गई है। निर्यातोन्मुखी औद्योगिक इकाइयों (ई.ओ.यूज.) की स्थापना को बढावा देने के लिए 'एप्परेल प्रशिक्षण तथा डिजाइन केंद्र' और रत्नों की कटाई तथा पॉलिश करने की इकाइयां लगाने की योजना है। कुटीर उद्योगों में हथकरघा तथा हस्तशिल्प को उच्च प्राथमिकता दी गयी है तथा ये दोनों क्षेत्र मिज़ोरम तथा इसके पड़ोसी राज्यों मेघालय तथा नागालैंड में उपभोक्ताओं की मांग को पूरा करने के लिए फल-फूल रहे हैं।
- राज्य की शांतिपूर्ण स्थिति, म्यांमार तथा बांग्लादेश की सीमाओं के व्यापार के लिए खुलने तथा भारत की सरकार की ‘पूर्व की ओर देखो नीति’ के कारण मिज़ोरम देश का दूरस्थ राज्य मात्र नहीं रहेगा। इनिकट भविष्य में मिज़ोरम में औद्योगिक की गति में भारी तेजी आएगी।
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