"अंगारे को तुम ने छुआ -कन्हैयालाल नंदन" के अवतरणों में अंतर
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अंगारे को तुम ने छुआ और हाथ में फफोला नहीं हुआ | अंगारे को तुम ने छुआ और हाथ में फफोला नहीं हुआ | ||
− | इतनी सी बात पर | + | इतनी सी बात पर अंगारे को तोहमत ना लगाओ |
आग भी कभी-कभी अपना धर्म निभाती है | आग भी कभी-कभी अपना धर्म निभाती है | ||
और जलने वाले की क्षमता देख कर जलाती है। | और जलने वाले की क्षमता देख कर जलाती है। |
12:20, 23 अगस्त 2011 का अवतरण
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अंगारे को तुम ने छुआ और हाथ में फफोला नहीं हुआ |
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