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*बटियागढ़ ज़िला दमोह [[मध्य प्रदेश]] का एक ऐतिहासिक स्थान है।
*बटियागढ़ ज़िला दमोह [[मध्य प्रदेश]] का एक ऐतिहासिक स्थान इस स्थान पर विक्रमसंवत 1328, 1385 ई. का एक अभिलेख प्राप्त हुआ था<ref>एपिग्राफिका इंडिया-12,42</ref> जिसके बारे में विशेष बात यह है कि इसमें [[मुसलमान|मुसलमानों]] को [[शक]] कहा गया है।   
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*इस स्थान पर विक्रमसंवत 1328, 1385 ई. का एक अभिलेख प्राप्त हुआ था<ref>एपिग्राफिका इंडिया-12,42</ref> जिसके बारे में विशेष बात यह है कि इसमें [[मुसलमान|मुसलमानों]] को [[शक]] कहा गया है।   
*इसमें [[मुहम्मद तुग़लक़]] का उल्लेख है। इसके समय में [[सुल्तान]] की ओर से जुलचीखां नामक सूबेदार चंदेरी में नियुक्त था और सूवेदार का नायक बटियागढ़ में रहता था। उस समय इस नगर को बटिहाड़िम या बड़िहारिन कहते थे।  
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*इसमें [[मुहम्मद तुग़लक़]] का उल्लेख है।  
*इसमें [[दिल्ली]] का एक नाम जोगिनीपुर भी दिया हुआ है। दूसरा शिलालेख विक्रम संवत 1324,1381 ई. का यहाँ के प्राचीन महल के खंडहरों में मिला है जिसमें गियासुद्दीन तुगलक का उल्लेख है जिसके सूबेदार ने इस महल को बनवाया था।  
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*इसके समय में [[सुल्तान]] की ओर से जुलचीखां नामक सूबेदार चंदेरी में नियुक्त था और सूवेदार का नायक बटियागढ़ में रहता था। उस समय इस नगर को बटिहाड़िम या बड़िहारिन कहते थे।  
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*इसमें [[दिल्ली]] का एक नाम जोगिनीपुर भी दिया हुआ है।  
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*दूसरा शिलालेख विक्रम संवत 1324,1381 ई. का यहाँ के प्राचीन महल के खंडहरों में मिला है जिसमें [[गयासुद्दीन तुगलक]] का उल्लेख है जिसके सूबेदार ने इस महल को बनवाया था।  
  
  
  
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==

11:54, 22 सितम्बर 2011 का अवतरण

  • बटियागढ़ ज़िला दमोह मध्य प्रदेश का एक ऐतिहासिक स्थान है।
  • इस स्थान पर विक्रमसंवत 1328, 1385 ई. का एक अभिलेख प्राप्त हुआ था[1] जिसके बारे में विशेष बात यह है कि इसमें मुसलमानों को शक कहा गया है।
  • इसमें मुहम्मद तुग़लक़ का उल्लेख है।
  • इसके समय में सुल्तान की ओर से जुलचीखां नामक सूबेदार चंदेरी में नियुक्त था और सूवेदार का नायक बटियागढ़ में रहता था। उस समय इस नगर को बटिहाड़िम या बड़िहारिन कहते थे।
  • इसमें दिल्ली का एक नाम जोगिनीपुर भी दिया हुआ है।
  • दूसरा शिलालेख विक्रम संवत 1324,1381 ई. का यहाँ के प्राचीन महल के खंडहरों में मिला है जिसमें गयासुद्दीन तुगलक का उल्लेख है जिसके सूबेदार ने इस महल को बनवाया था।



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. एपिग्राफिका इंडिया-12,42

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