"मध्यमिका" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
(''''मध्यमिका''' राजस्थान (भारत) में चित्तौड़ के निकट...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
'''मध्यमिका''' [[राजस्थान]] ([[भारत]]) में [[चित्तौड़]] के निकट एक प्राचीन नगरी है।
+
'''मध्यमिका''' [[राजस्थान]], [[भारत]] में [[चित्तौड़]] के निकट एक प्राचीन नगरी है।
 
*इस नगरी को अब 'नगरी' के नाम से ही जाना जाता है।
 
*इस नगरी को अब 'नगरी' के नाम से ही जाना जाता है।
*एक पुरात्मा वीर [[यवन]] ने इस नगरी को घेर लिया था, जो सम्भवत: यवन राजा [[मीनेंडर|मीनाण्डर]] था।
+
*एक पुरात्मा वीर [[यवन]] ने इस नगरी को घेर लिया था, जो सम्भवत: यवन राजा [[मीनेंडर]] था।
 
*तीसरी शताब्दी ई.पू. में यह नगर बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान माना जाता था।
 
*तीसरी शताब्दी ई.पू. में यह नगर बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान माना जाता था।
 
*इसके खण्डहरों में [[मौर्य काल|मौर्यकालीन]] भवन के कुछ चिह्न तथा [[शुंग काल]] के दो शिलालेख प्राप्त हुए हैं।
 
*इसके खण्डहरों में [[मौर्य काल|मौर्यकालीन]] भवन के कुछ चिह्न तथा [[शुंग काल]] के दो शिलालेख प्राप्त हुए हैं।
पंक्ति 13: पंक्ति 13:
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
 
{{राजस्थान के नगर}}
 
{{राजस्थान के नगर}}
 +
{{राजस्थान के ऐतिहासिक स्थान}}
 
[[Category:राजस्थान]]
 
[[Category:राजस्थान]]
 
[[Category:राजस्थान के नगर]]
 
[[Category:राजस्थान के नगर]]
 
[[Category:राजस्थान के ऐतिहासिक नगर]]
 
[[Category:राजस्थान के ऐतिहासिक नगर]]
 
__INDEX__
 
__INDEX__

11:54, 29 अक्टूबर 2011 का अवतरण

मध्यमिका राजस्थान, भारत में चित्तौड़ के निकट एक प्राचीन नगरी है।

  • इस नगरी को अब 'नगरी' के नाम से ही जाना जाता है।
  • एक पुरात्मा वीर यवन ने इस नगरी को घेर लिया था, जो सम्भवत: यवन राजा मीनेंडर था।
  • तीसरी शताब्दी ई.पू. में यह नगर बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान माना जाता था।
  • इसके खण्डहरों में मौर्यकालीन भवन के कुछ चिह्न तथा शुंग काल के दो शिलालेख प्राप्त हुए हैं।
  • इन शिलालेखों में अश्वमेध तथा वाजपेय यज्ञों का उल्लेख है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

भारतीय इतिहास कोश |लेखक: सच्चिदानन्द भट्टाचार्य |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 346 |


संबंधित लेख