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[[चौंसठ कलाएँ जयमंगल के मतानुसार|जयमंगल के मतानुसार]] चौंसठ कलाओं में से यह एक कला है। देव-पूजनादि के अवसर पर तरह-तरह के रंगे हुए [[चावल]], [[जौ]] आदि वस्तुओ तथा रंगबिरंगे [[पुष्प|फूलों]] को विविध प्रकार से सजाने की कला तण्डुल-कुसुमबलिविकार कही जाती है।  
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10:04, 4 नवम्बर 2011 के समय का अवतरण

जयमंगल के मतानुसार चौंसठ कलाओं में से यह एक कला है। देव-पूजनादि के अवसर पर तरह-तरह के रंगे हुए चावल, जौ आदि वस्तुओ तथा रंगबिरंगे फूलों को विविध प्रकार से सजाने की कला तण्डुल-कुसुमबलिविकार कही जाती है।

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