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'''जग्गेयापेट''' [[आंध्र प्रदेश]] राज्य में स्थित एक ऐतिहासिक स्थान है। इस स्थल से द्वितीय एवं प्रथम सदी ईस्वी पूर्व के मूल्यवान पुरातात्त्विक महत्त्व के [[अवशेष]] प्राप्त हुए हैं।  
 
'''जग्गेयापेट''' [[आंध्र प्रदेश]] राज्य में स्थित एक ऐतिहासिक स्थान है। इस स्थल से द्वितीय एवं प्रथम सदी ईस्वी पूर्व के मूल्यवान पुरातात्त्विक महत्त्व के [[अवशेष]] प्राप्त हुए हैं।  
 
*जग्गेयापेट से अमरावती शैली के प्रारम्भिक उदाहरण मिले हैं, जिनका समय 150 ई.पू. माना जाता है।  
 
*जग्गेयापेट से अमरावती शैली के प्रारम्भिक उदाहरण मिले हैं, जिनका समय 150 ई.पू. माना जाता है।  
*इनमें मूर्तियों की अलग-अलग इकाइयाँ हैं और एक समूह के रूप में उनका निर्माण नहीं हुआ है। परन्तु यहाँ से प्रारम्भ से ही छरहरे बदन वाली मूर्तियों मिलती हैं, जो कृष्णा घाटी की वर्णनात्मक उभारदार उत्कीर्ण कला की अनिवार्य विशेषता है।  
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*इनमें मूर्तियों की अलग-अलग इकाइयाँ हैं और एक समूह के रूप में उनका निर्माण नहीं हुआ है। परन्तु यहाँ से प्रारम्भ से ही छरहरे बदन वाली मूर्तियाँ मिलती हैं, जो कृष्णा घाटी की वर्णनात्मक उभारदार उत्कीर्ण कला की अनिवार्य विशेषता है।  
 
*इस विशेषता को बाद में पल्लव मूर्ति कला ने अपना लिया।  
 
*इस विशेषता को बाद में पल्लव मूर्ति कला ने अपना लिया।  
 
 
  
  
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11:07, 13 दिसम्बर 2011 के समय का अवतरण

जग्गेयापेट आंध्र प्रदेश राज्य में स्थित एक ऐतिहासिक स्थान है। इस स्थल से द्वितीय एवं प्रथम सदी ईस्वी पूर्व के मूल्यवान पुरातात्त्विक महत्त्व के अवशेष प्राप्त हुए हैं।

  • जग्गेयापेट से अमरावती शैली के प्रारम्भिक उदाहरण मिले हैं, जिनका समय 150 ई.पू. माना जाता है।
  • इनमें मूर्तियों की अलग-अलग इकाइयाँ हैं और एक समूह के रूप में उनका निर्माण नहीं हुआ है। परन्तु यहाँ से प्रारम्भ से ही छरहरे बदन वाली मूर्तियाँ मिलती हैं, जो कृष्णा घाटी की वर्णनात्मक उभारदार उत्कीर्ण कला की अनिवार्य विशेषता है।
  • इस विशेषता को बाद में पल्लव मूर्ति कला ने अपना लिया।


टीका टिप्पणी और संदर्भ


बाहरी कड़ियाँ

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