"अंगारे को तुम ने छुआ -कन्हैयालाल नंदन" के अवतरणों में अंतर
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− | अंगारे को तुम ने छुआ और हाथ में फफोला नहीं हुआ | + | अंगारे को तुम ने छुआ और हाथ में फफोला नहीं हुआ, |
− | इतनी सी बात पर | + | इतनी सी बात पर अंगारे को तोहमत ना लगाओ। |
− | आग भी कभी-कभी अपना धर्म निभाती है | + | आग भी कभी-कभी अपना धर्म निभाती है, |
और जलने वाले की क्षमता देख कर जलाती है। | और जलने वाले की क्षमता देख कर जलाती है। | ||
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अंगारे को तुम ने छुआ और हाथ में फफोला नहीं हुआ, |
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