"असम की संस्कृति" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
 
(4 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 7 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
*नागारिक विमानों की नियमित उड़ानें गोपीनाथ बाड़दोलाई हवाई अड्डा ([[गुवाहाटी]]), सलोनीबाड़ी (तेजपुर), मोहनबाड़ी (उत्तरी लखीमपुर), कुंभीरग्राम (सिलचर), और रोवरियाह (जोरहाट) से होती हैं।
+
{{लेख विस्तार}}
*[[असम]] में अनेक रंगारंग त्योहार मनाए जाते हैं। 'बिहू' असम का मुख्य पर्व है।  
+
[[चित्र:Bihu-Dance-1.jpg|thumb|300px|[[बिहू]], [[असम]]]]
*यह वर्ष में तीन बार मनाया जाता है- 'रंगाली बिहू' या 'बोहाग बिहू' फ़सल की बुआई की शुरूआत का प्रतीक है।  
+
[[असम]] का सांस्कृतिक जीवन विभिन्न सांस्कृतिक संस्थानों एवं धार्मिक केंद्रों, जैसे सत्र एवं नमोगृह की गतिविधियों से गुंथा हुआ है। पिछले 400 सालों से असम में सत्र ही वहाँ की जनता के धार्मिक एवं सामाजिक कल्याण की देखरेख कर रहे हैं।
 +
====बिहू पर्व====
 +
{{Main|बिहू}}
 +
असमी लोग [[हिन्दू धर्म]] के सभी त्योहारों को मानते हैं, लेकिन उनका सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण पर्व [[बिहू]] है, जो वर्ष में तीन बार मनाया जाता है। मूलत: ये कृषि पर्व हैं, जिन्हें लोग [[धर्म]] और जाति के भेदभाव को भूलकर हर्षोंल्लास से मनाते हैं। 
 +
;पहला और मुख्य बिहू
 +
पहला और मुख्य बिहू पर्व [[वसंत ऋतु]] में मनाया जाने वाला बोहांग बिहू (मध्य [[अप्रैल]] हिन्दू कैलेंडर के हिसाब से [[वैशाख]] [[मास]] का पहला दिन) है, जो नए वर्ष के आगमन की खुशी में मनाया जाता है। इसे रंगोली (यहाँ रंग अर्थ उल्लास एवं आनंद) बिहू के नाम से भी जाना जाता है। यह नृत्य और संगीत का उत्सव है। इस दिन स्त्रियाँ अपने परिवार के सदस्यों को हाथ से बुना हुआ गमछा भेंट में देती हैं।
 +
;दूसरा माघ बिहू
 +
दूसरा माघ बिहू (मध्य [[जनवरी]] हिन्दू कैलेंडर के हिसाब से माघ मास) फ़सल कटने के उपलक्ष्य में मानाया जाता है। भोगाली बिहू (भोग का अर्थ उल्लास एवं भोज) के नाम से प्रसिद्ध यह प्रीतिभोज एवं आग जलाकर खुशियाँ मनाने का पर्व है।
 +
;तीसरा कटि बिहू
 +
तीसरे और अंतिम कटि बिहू (मध्य [[अक्तूबर]]।) को कंगाली बिहू के नाम से जाना जाता है, क्योंकि [[वर्ष]] के इस भाग में आम आदमी का घर अगली फ़सल कटाई से पहले भंडारण के खत्म हो जाने के कारण खाद्यान्न रहित हो जाता है।
 +
 
 +
बुनाई असम के लोगों, विशेषकर महिलाओं के सांस्कृतिक जीवन का एक अभिन्न अंग है। प्रत्येक असमी घर में, चाहे वह किसी भी धर्म, जाति या समाज का हो, कम से कम एक हथकरघा अवश्य देखने को मिल जाएगा। हर स्त्री का महीन रेशम एवं सूती वस्त्रों के उत्पादन की कला में पारंगत होना अनिवार्य है।
 +
;त्योहार
 +
*असम में अनेक रंगारंग त्योहार मनाए जाते हैं। 'बिहू' असम का मुख्य पर्व है।  
 +
*यह वर्ष में तीन बार मनाया जाता है- 'रंगाली बिहू' या 'बोहाग बिहू' फ़सल की बुआई की शुरुआत का प्रतीक है।  
 
*इसी से नए वर्ष का शुभारंभ भी होता है। 'भोगली बिहू' या 'माघ बिहू' फ़सल की कटाई का त्योहार है और 'काती बिहू' या 'कांगली बिहू' शरद ऋतु का एक मेला है।
 
*इसी से नए वर्ष का शुभारंभ भी होता है। 'भोगली बिहू' या 'माघ बिहू' फ़सल की कटाई का त्योहार है और 'काती बिहू' या 'कांगली बिहू' शरद ऋतु का एक मेला है।
 
*लगभग सभी त्योहार धार्मिक कारणों से मनाए जाते हैं।  
 
*लगभग सभी त्योहार धार्मिक कारणों से मनाए जाते हैं।  
*वैष्णव लोग प्रमुख वैष्णव संतों की जयंती तथा पुण्यतिथि पर भजन गाते हैं और परंपरागत नाट्य शैली में 'भावना' नामक नाटकों का मंचन करते हैं।  
+
*[[वैष्णव]] लोग प्रमुख वैष्णव संतों की जयंती तथा पुण्यतिथि पर भजन गाते हैं और परंपरागत नाट्य शैली में 'भावना' नामक नाटकों का मंचन करते हैं।  
*[[कामाख्या पीठ|कामाख्या मंदिर]] में अंबुबाशी और उमानंदा तथा शिव मंदिरों के पास अन्य स्थानों पर शिवरात्रि मेला, दीपावली, अशोक अष्टमी मेला, पौष मेला, परशुराम मेला, अंबुकाशी मेला, दोल-जात्रा, ईद, क्रिसमस और दुर्गा पूजा, आदि धार्मिक त्योहार राज्य भर में श्रद्धा के साथ मनाए जाते हैं।
+
*[[कामाख्या पीठ|कामाख्या मंदिर]] में अंबुबाशी और उमानंदा तथा [[शिव]] मंदिरों के पास अन्य स्थानों पर [[शिवरात्रि]] मेला, [[दीपावली]], अशोक अष्टमी मेला, पौष मेला, परशुराम मेला, अंबुकाशी मेला, दोल-जात्रा, [[ईद]], क्रिसमस और दुर्गा पूजा, आदि धार्मिक त्योहार राज्य भर में श्रद्धा के साथ मनाए जाते हैं।
 
 
  
{{प्रचार}}
 
  
 
{{लेख प्रगति
 
{{लेख प्रगति
पंक्ति 24: पंक्ति 36:
 
[[Category:असम]]
 
[[Category:असम]]
 
[[Category:असम की संस्कृति]]
 
[[Category:असम की संस्कृति]]
 +
[[Category:संस्कृति कोश]]
 
__INDEX__
 
__INDEX__

13:06, 12 अप्रैल 2012 के समय का अवतरण

Plus.gif इस लेख में और पाठ सामग्री का जोड़ा जाना अत्यंत आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"

असम का सांस्कृतिक जीवन विभिन्न सांस्कृतिक संस्थानों एवं धार्मिक केंद्रों, जैसे सत्र एवं नमोगृह की गतिविधियों से गुंथा हुआ है। पिछले 400 सालों से असम में सत्र ही वहाँ की जनता के धार्मिक एवं सामाजिक कल्याण की देखरेख कर रहे हैं।

बिहू पर्व

असमी लोग हिन्दू धर्म के सभी त्योहारों को मानते हैं, लेकिन उनका सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण पर्व बिहू है, जो वर्ष में तीन बार मनाया जाता है। मूलत: ये कृषि पर्व हैं, जिन्हें लोग धर्म और जाति के भेदभाव को भूलकर हर्षोंल्लास से मनाते हैं।

पहला और मुख्य बिहू

पहला और मुख्य बिहू पर्व वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला बोहांग बिहू (मध्य अप्रैल हिन्दू कैलेंडर के हिसाब से वैशाख मास का पहला दिन) है, जो नए वर्ष के आगमन की खुशी में मनाया जाता है। इसे रंगोली (यहाँ रंग अर्थ उल्लास एवं आनंद) बिहू के नाम से भी जाना जाता है। यह नृत्य और संगीत का उत्सव है। इस दिन स्त्रियाँ अपने परिवार के सदस्यों को हाथ से बुना हुआ गमछा भेंट में देती हैं।

दूसरा माघ बिहू

दूसरा माघ बिहू (मध्य जनवरी हिन्दू कैलेंडर के हिसाब से माघ मास) फ़सल कटने के उपलक्ष्य में मानाया जाता है। भोगाली बिहू (भोग का अर्थ उल्लास एवं भोज) के नाम से प्रसिद्ध यह प्रीतिभोज एवं आग जलाकर खुशियाँ मनाने का पर्व है।

तीसरा कटि बिहू

तीसरे और अंतिम कटि बिहू (मध्य अक्तूबर।) को कंगाली बिहू के नाम से जाना जाता है, क्योंकि वर्ष के इस भाग में आम आदमी का घर अगली फ़सल कटाई से पहले भंडारण के खत्म हो जाने के कारण खाद्यान्न रहित हो जाता है।

बुनाई असम के लोगों, विशेषकर महिलाओं के सांस्कृतिक जीवन का एक अभिन्न अंग है। प्रत्येक असमी घर में, चाहे वह किसी भी धर्म, जाति या समाज का हो, कम से कम एक हथकरघा अवश्य देखने को मिल जाएगा। हर स्त्री का महीन रेशम एवं सूती वस्त्रों के उत्पादन की कला में पारंगत होना अनिवार्य है।

त्योहार
  • असम में अनेक रंगारंग त्योहार मनाए जाते हैं। 'बिहू' असम का मुख्य पर्व है।
  • यह वर्ष में तीन बार मनाया जाता है- 'रंगाली बिहू' या 'बोहाग बिहू' फ़सल की बुआई की शुरुआत का प्रतीक है।
  • इसी से नए वर्ष का शुभारंभ भी होता है। 'भोगली बिहू' या 'माघ बिहू' फ़सल की कटाई का त्योहार है और 'काती बिहू' या 'कांगली बिहू' शरद ऋतु का एक मेला है।
  • लगभग सभी त्योहार धार्मिक कारणों से मनाए जाते हैं।
  • वैष्णव लोग प्रमुख वैष्णव संतों की जयंती तथा पुण्यतिथि पर भजन गाते हैं और परंपरागत नाट्य शैली में 'भावना' नामक नाटकों का मंचन करते हैं।
  • कामाख्या मंदिर में अंबुबाशी और उमानंदा तथा शिव मंदिरों के पास अन्य स्थानों पर शिवरात्रि मेला, दीपावली, अशोक अष्टमी मेला, पौष मेला, परशुराम मेला, अंबुकाशी मेला, दोल-जात्रा, ईद, क्रिसमस और दुर्गा पूजा, आदि धार्मिक त्योहार राज्य भर में श्रद्धा के साथ मनाए जाते हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख